In Uttarakhand, the tourism sector is both a direct and an indirect victim of environmental degradation. Describe this assertion. [Answer Limit: 50 words] [UKPSC 2012]
भुगतान संतुलन में असाम्य का जन्म भुगतान संतुलन एक देश के आर्थिक लेन-देन का रिकॉर्ड होता है, जिसमें निर्यात-आयात, विदेशी निवेश, और सार्वजनिक ऋण शामिल होते हैं। भुगतान संतुलन में असाम्य तब उत्पन्न होती है जब आयात और निर्यात में असंतुलन, विदेशी पूंजी का निवेश, या ऋण भुगतान में गड़बड़ी होती है। मुख्य काRead more
भुगतान संतुलन में असाम्य का जन्म
भुगतान संतुलन एक देश के आर्थिक लेन-देन का रिकॉर्ड होता है, जिसमें निर्यात-आयात, विदेशी निवेश, और सार्वजनिक ऋण शामिल होते हैं। भुगतान संतुलन में असाम्य तब उत्पन्न होती है जब आयात और निर्यात में असंतुलन, विदेशी पूंजी का निवेश, या ऋण भुगतान में गड़बड़ी होती है।
मुख्य कारणों में शामिल हैं:
- विनिमय दर में अस्थिरता: भारतीय रुपया के अवमूल्यन के कारण आयात महंगे हो सकते हैं, जिससे व्यापार घाटा बढ़ सकता है।
- उधारी की बढ़ती मात्रा: अत्यधिक विदेशी कर्ज और ऋण सेवा भुगतान भी भुगतान संतुलन को प्रभावित करता है।
- आर्थिक संकट: जैसे COVID-19 महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में मंदी और निर्यात में गिरावट।
- निर्वातों के कारण आर्थिक असंतुलन: जैसे कम उत्पादन क्षमता, आधुनिकता में कमी, और विदेशी मुद्रा के प्रवाह में कमी।
भुगतान संतुलन सुधारने की नीतियाँ
- विनिमय दर नीति: भुगतान संतुलन में असाम्य को नियंत्रित करने के लिए मुद्रास्फीति दर और विनिमय दर को नियंत्रित करना ज़रूरी है। उदाहरण के लिए, RBI ने सुरक्षा उपाय और नियंत्रण की प्रक्रिया अपनाई।
- आर्थिक सुधार: निर्यात को बढ़ावा देना और आयात पर नियंत्रण जैसे उपायों से संतुलन सुधारा जा सकता है।
- विदेशी पूंजी आकर्षित करना: FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) और FII (विदेशी संस्थागत निवेश) के जरिए वित्तीय घाटे को कम किया जा सकता है।
- आंतरिक उत्पादकता बढ़ाना: घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं, जैसे मेक इन इंडिया।
निष्कर्ष:
भुगतान संतुलन में असाम्य की समस्या का समाधान विनिमय दर नियंत्रण, निर्यात संवर्धन, और विदेशी निवेश आकर्षण से किया जा सकता है।
The tourism industry in Uttarakhand contributes to environmental degradation through overuse of resources, deforestation, and loss of biodiversity due to increasing visitor numbers. Additionally, inadequate infrastructure and waste management exacerbate pollution, harming the natural landscape. ThisRead more
The tourism industry in Uttarakhand contributes to environmental degradation through overuse of resources, deforestation, and loss of biodiversity due to increasing visitor numbers. Additionally, inadequate infrastructure and waste management exacerbate pollution, harming the natural landscape. This degradation ultimately undermines tourism’s sustainability, affecting both the economy and the environment.
See less