उत्तराखण्ड राज्य में जल विद्युत उत्पादन से जुड़े विवाद क्या हैं? [उत्तर सीमाः 125 शब्द ] [UKPSC 2012]
विश्व व्यापार संगठन (WTO) की स्थापना वैश्विक व्यापार को सुव्यवस्थित करने, टैरिफ और व्यापार बाधाओं को कम करने, और वाणिज्यिक विवादों को हल करने के उद्देश्य से की गई। इसका उद्देश्य मुक्त और निष्पक्ष व्यापार सुनिश्चित करना है, ताकि विकासशील देशों को भी वैश्विक व्यापार से लाभ हो सके। स्थापना प्रक्रिया WTRead more
विश्व व्यापार संगठन (WTO) की स्थापना वैश्विक व्यापार को सुव्यवस्थित करने, टैरिफ और व्यापार बाधाओं को कम करने, और वाणिज्यिक विवादों को हल करने के उद्देश्य से की गई। इसका उद्देश्य मुक्त और निष्पक्ष व्यापार सुनिश्चित करना है, ताकि विकासशील देशों को भी वैश्विक व्यापार से लाभ हो सके।
स्थापना प्रक्रिया
WTO की स्थापना की प्रक्रिया 1948 में शुरू हुई जब जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ्स एंड ट्रेड (GATT) लागू हुआ। उरुग्वे दौर (1986-1994) के वार्ता सत्रों के बाद, 1 जनवरी 1995 को WTO का गठन हुआ। हाल के उदाहरण में, WTO ने COVID-19 के दौरान वैक्सीन आपूर्ति से जुड़े व्यापार विवादों को हल करने में अहम भूमिका निभाई।
निष्कर्ष: WTO की स्थापना वैश्विक व्यापार को स्थिर और निष्पक्ष बनाने के लिए की गई थी, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में सुधार हो सके।
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उत्तराखण्ड राज्य में जल विद्युत उत्पादन से जुड़े विवाद उत्तराखंड में जल विद्युत उत्पादन के कई विवाद हैं, जो पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों से जुड़े हैं। पर्यावरणीय विवाद: बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं के कारण नदियों का प्राकृतिक प्रवाह बाधित होता है, जिससे पर्यावरणीय असंतुलन और जैव विविधता को नुकसान होRead more
उत्तराखण्ड राज्य में जल विद्युत उत्पादन से जुड़े विवाद
उत्तराखंड में जल विद्युत उत्पादन के कई विवाद हैं, जो पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों से जुड़े हैं।
पर्यावरणीय विवाद: बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं के कारण नदियों का प्राकृतिक प्रवाह बाधित होता है, जिससे पर्यावरणीय असंतुलन और जैव विविधता को नुकसान होता है। 2021 में चमोली आपदा के बाद जल विद्युत परियोजनाओं पर सवाल उठे, क्योंकि ये परियोजनाएं भूस्खलन और ग्लेशियर टूटने की घटनाओं को बढ़ावा देती हैं।
सामाजिक विवाद: स्थानीय समुदायों को जमीन के अधिग्रहण और पुनर्वास से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हाल के उदाहरण में, 2023 में चारधाम परियोजना के तहत बांध निर्माण का विरोध हुआ, क्योंकि इससे स्थानीय लोगों की आजीविका और संस्कृति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था।
निष्कर्ष: पर्यावरणीय क्षति और पुनर्वास संबंधी चिंताओं के कारण जल विद्युत परियोजनाएं विवादों में हैं।
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