उत्तराखण्ड राज्य में जल विद्युत उत्पादन से जुड़े विवाद क्या हैं? [उत्तर सीमाः 125 शब्द ] [UKPSC 2012]
नंदादेवी चोटी, भारत की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है, जिसकी ऊँचाई 7,816 मीटर है। यह हिमालय पर्वतमाला में स्थित है, उत्तराखंड में। यह दो प्रमुख पर्वत श्रृंखलाओं, नंदा देवी और नंदा कोट के बीच स्थित है, और इसे ग्लेशियर्स, गहरी घाटियों और अद्वितीय जैव विविधता के लिए जाना जाता है।
नंदादेवी चोटी, भारत की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है, जिसकी ऊँचाई 7,816 मीटर है। यह हिमालय पर्वतमाला में स्थित है, उत्तराखंड में। यह दो प्रमुख पर्वत श्रृंखलाओं, नंदा देवी और नंदा कोट के बीच स्थित है, और इसे ग्लेशियर्स, गहरी घाटियों और अद्वितीय जैव विविधता के लिए जाना जाता है।
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उत्तराखण्ड राज्य में जल विद्युत उत्पादन से जुड़े विवाद उत्तराखंड में जल विद्युत उत्पादन के कई विवाद हैं, जो पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों से जुड़े हैं। पर्यावरणीय विवाद: बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं के कारण नदियों का प्राकृतिक प्रवाह बाधित होता है, जिससे पर्यावरणीय असंतुलन और जैव विविधता को नुकसान होRead more
उत्तराखण्ड राज्य में जल विद्युत उत्पादन से जुड़े विवाद
उत्तराखंड में जल विद्युत उत्पादन के कई विवाद हैं, जो पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों से जुड़े हैं।
पर्यावरणीय विवाद: बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं के कारण नदियों का प्राकृतिक प्रवाह बाधित होता है, जिससे पर्यावरणीय असंतुलन और जैव विविधता को नुकसान होता है। 2021 में चमोली आपदा के बाद जल विद्युत परियोजनाओं पर सवाल उठे, क्योंकि ये परियोजनाएं भूस्खलन और ग्लेशियर टूटने की घटनाओं को बढ़ावा देती हैं।
सामाजिक विवाद: स्थानीय समुदायों को जमीन के अधिग्रहण और पुनर्वास से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हाल के उदाहरण में, 2023 में चारधाम परियोजना के तहत बांध निर्माण का विरोध हुआ, क्योंकि इससे स्थानीय लोगों की आजीविका और संस्कृति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था।
निष्कर्ष: पर्यावरणीय क्षति और पुनर्वास संबंधी चिंताओं के कारण जल विद्युत परियोजनाएं विवादों में हैं।
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