सरकार की आर्थिक नीति के उपकरणों के रूप में राजकोषीय नीति एवं मौद्रिक नीति एक-दूसरे की पूरक होती हैं। इस कथन को समझाइये। [उत्तर सीमा: 250 शब्द] [UKPSC 2012]
एक बाजार संचालित अर्थव्यवस्था का अर्थ बाजार संचालित अर्थव्यवस्था वह है, जिसमें मांग और आपूर्ति के आधार पर कीमतों का निर्धारण होता है, और उत्पादों व सेवाओं का उत्पादन और वितरण निजी क्षेत्र द्वारा नियंत्रित होता है। इसमें सरकार का हस्तक्षेप न्यूनतम होता है। उदाहरण के तौर पर, अमेरिका और चीन की अर्थव्यवRead more
एक बाजार संचालित अर्थव्यवस्था का अर्थ
बाजार संचालित अर्थव्यवस्था वह है, जिसमें मांग और आपूर्ति के आधार पर कीमतों का निर्धारण होता है, और उत्पादों व सेवाओं का उत्पादन और वितरण निजी क्षेत्र द्वारा नियंत्रित होता है। इसमें सरकार का हस्तक्षेप न्यूनतम होता है। उदाहरण के तौर पर, अमेरिका और चीन की अर्थव्यवस्थाएं बाजार संचालित हैं।
इनकी कमियाँ
- आर्थिक असमानता: बाजार संचालित प्रणाली में समृद्धि और संसाधनों का वितरण असमान होता है, जिससे गरीबी और आर्थिक असमानता बढ़ सकती है।
- सामाजिक कल्याण की उपेक्षा: बाजार में केवल लाभ के आधार पर निर्णय होते हैं, जिससे सामाजिक कल्याण और पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे अनदेखे रह सकते हैं।
- मांग का उतार-चढ़ाव: बाजार में अस्थिरता और मांग के बदलाव से आर्थिक संकट उत्पन्न हो सकते हैं।
निष्कर्ष: बाजार संचालित अर्थव्यवस्था में विकास की गति तेज हो सकती है, लेकिन सामाजिक और पर्यावरणीय असंतुलन को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
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राजकोषीय नीति और मौद्रिक नीति राजकोषीय नीति और मौद्रिक नीति दोनों ही सरकार के आर्थिक नीति उपकरण हैं, जो एक-दूसरे के पूरक के रूप में काम करते हैं। राजकोषीय नीति सरकार के राजस्व (कर संग्रह) और व्यय के फैसलों से संबंधित है। इसका उद्देश्य आर्थिक वृद्धि, सामाजिक कल्याण और मांग सृजन को बढ़ावा देना होता हैRead more
राजकोषीय नीति और मौद्रिक नीति
राजकोषीय नीति और मौद्रिक नीति दोनों ही सरकार के आर्थिक नीति उपकरण हैं, जो एक-दूसरे के पूरक के रूप में काम करते हैं।
संपर्क और पूरकता:
राजकोषीय नीति और मौद्रिक नीति एक-दूसरे के पूरक के रूप में काम करती हैं। राजकोषीय नीति द्वारा अगर सरकारी खर्च बढ़ाया जाता है तो मौद्रिक नीति को ब्याज दरों को नियंत्रित करके वित्तीय आपूर्ति में संतुलन बनाए रखना पड़ता है। 2020 में भारत में राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज और मौद्रिक नीति के माध्यम से RBI द्वारा ब्याज दरों में कटौती एक साथ मिलकर अर्थव्यवस्था को स्थिर करने का प्रयास किया गया।
निष्कर्ष:
See lessजब राजकोषीय नीति मांग बढ़ाती है, तो मौद्रिक नीति उस मांग के लिए पर्याप्त तरलता और नियंत्रित ब्याज दरें प्रदान करती है, जिससे समग्र आर्थिक संतुलन बना रहता है। दोनों नीतियाँ मिलकर देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए काम करती हैं।