उष्ण कटिबंधीय चक्रवात का एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिये। [उत्तर सीमा: 125 शब्द] [UKPSC 2012]
नई आर्थिक नीति के परिप्रेक्ष्य में भारत में आर्थिक नियोजन की भूमिका नई आर्थिक नीति (1991) ने भारत की अर्थव्यवस्था को आधुनिक, बाजार-आधारित और वैश्विक दृष्टिकोण में ढालने के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए। इसके तहत उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के उपायों को लागू किया गया। इस संदर्भ में आर्थिक नियोजन कीRead more
नई आर्थिक नीति के परिप्रेक्ष्य में भारत में आर्थिक नियोजन की भूमिका
नई आर्थिक नीति (1991) ने भारत की अर्थव्यवस्था को आधुनिक, बाजार-आधारित और वैश्विक दृष्टिकोण में ढालने के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए। इसके तहत उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के उपायों को लागू किया गया। इस संदर्भ में आर्थिक नियोजन की भूमिका को नए परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है, जहाँ अब सरकार संसाधनों के वितरण और विकास के लिए योजनाएँ तैयार करती है, लेकिन साथ ही बाजार को प्रमुख भूमिका सौंपती है।
- नियोजन की भूमिका:
- भारत सरकार ने अपनी पांच वर्षीय योजनाओं के जरिए विकास प्राथमिकताओं का निर्धारण किया। 1991 के बाद, यह नियोजन अब विकास के क्षेत्रों और संरचनात्मक सुधारों में केंद्रित हुआ।
- आर्थिक सुधार योजनाओं में मूल्य स्थिरीकरण, बाजार सुधार, और विदेशी निवेश आकर्षित करना जैसे कदम शामिल थे। उदाहरण के लिए, जीएसटी और मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं ने उद्योग और व्यापार के विकास को प्रोत्साहित किया।
- मूल्यांकन:
- सकारात्मक पक्ष: नई आर्थिक नीति ने निजी क्षेत्र और बाजार की ताकतों को बढ़ावा दिया, जिससे विकास दर में वृद्धि हुई। आईटी, सॉफ़्टवेयर और सेवा क्षेत्र में वृद्धि इसके प्रमुख उदाहरण हैं। 2019-2020 में भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई।
- नकारात्मक पक्ष: हालांकि, यह नीति सामाजिक असमानताओं को बढ़ाने और किसान, गरीब और मध्यम वर्ग के लिए चुनौतियाँ पैदा करने वाली रही। निजीकरण ने कई बार सार्वजनिक कल्याण के उद्देश्य को कमजोर किया।
निष्कर्ष:
नई आर्थिक नीति ने भारत को आर्थिक सुधार और वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद की, लेकिन इसके साथ सामाजिक और क्षेत्रीय असमानताएँ भी बढ़ी हैं। इसलिए, आर्थिक नियोजन का उद्देश्य अब समावेशी और सतत विकास होना चाहिए।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तीव्र और विनाशकारी तूफान होता है, जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में समुद्र की गर्म सतह पर उत्पन्न होता है। इसकी उत्पत्ति सामान्यतः 5° से 20° उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों के बीच होती है। इन चक्रवातों में तेज़ हवाएँ, भारी वर्षा, और समुद्री तूफान शामिल होते हैं। उष्णकटिबंधीय चक्रवातRead more
उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तीव्र और विनाशकारी तूफान होता है, जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में समुद्र की गर्म सतह पर उत्पन्न होता है। इसकी उत्पत्ति सामान्यतः 5° से 20° उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों के बीच होती है। इन चक्रवातों में तेज़ हवाएँ, भारी वर्षा, और समुद्री तूफान शामिल होते हैं।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात का निर्माण तब होता है जब गर्म, नम हवा ऊपर उठती है और ठंडी हवा की जगह लेती है। इसके परिणामस्वरूप कम दबाव का क्षेत्र बनता है, जो हवा को तेजी से खींचता है। चक्रवात की संरचना में एक स्पष्ट केंद्र या “आइ” होता है, जहाँ हवा की गति कम होती है।
ये चक्रवात बहुत विनाशकारी हो सकते हैं, जिससे बाढ़, भूस्खलन, और व्यापक नुकसान होता है। उदाहरण के लिए, भारतीय महासागर में आए चक्रवात जैसे “ओखी” और “हुदहुद” इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
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