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भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र के योगदान एवं उसकी मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र का योगदान 1. आर्थिक विकास और जीडीपी में योगदान सेवा क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका जीडीपी में योगदान लगभग 55-60% है। यह क्षेत्र भारत के आर्थिक विकास में एक प्रमुख चालक के रूप में कार्य करता है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्Read more
भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र का योगदान
1. आर्थिक विकास और जीडीपी में योगदान
सेवा क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका जीडीपी में योगदान लगभग 55-60% है। यह क्षेत्र भारत के आर्थिक विकास में एक प्रमुख चालक के रूप में कार्य करता है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 में सेवा क्षेत्र का जीडीपी में योगदान 58% था, जो इस क्षेत्र की मजबूती को दर्शाता है।
2. रोजगार सृजन
सेवा क्षेत्र रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह क्षेत्र लगभग 30-35% कार्यबल को रोजगार प्रदान करता है। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी (IT), टेलीकम्युनिकेशन, वित्तीय सेवाएँ, और पर्यटन जैसे उप-क्षेत्र शामिल हैं। उदाहरण के लिए, IT और IT-enabled services (ITES) क्षेत्र ने लाखों रोजगार सृजित किए हैं, और कंपनियों जैसे Infosys, Tata Consultancy Services (TCS), और Wipro ने इसमें महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
3. विदेशी मुद्रा अर्जन
सेवा क्षेत्र विदेशी मुद्रा अर्जन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विशेष रूप से IT सेवाएँ और व्यापार प्रक्रिया आउटसोर्सिंग (BPO) क्षेत्र निर्यात में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। वित्तीय वर्ष 2022-23 में IT और व्यावसायिक सेवाओं ने लगभग USD 150 अरब का विदेशी मुद्रा अर्जन किया, जो व्यापार घाटे को संतुलित करने में सहायक है।
4. शहरीकरण और अवसंरचना विकास
सेवा क्षेत्र की वृद्धि शहरीकरण और अवसंरचना विकास से जुड़ी हुई है। बढ़ती हुई मांग के कारण रियल एस्टेट और निर्माण सेवाएँ विस्तार कर रही हैं। यह शहरीकरण परिवहन और लॉजिस्टिक्स जैसी संबंधित उद्योगों को भी बढ़ावा देता है।
5. नवाचार और तकनीकी प्रगति
सेवा क्षेत्र नवाचार और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देता है। IT क्षेत्र विशेष रूप से तकनीकी प्रगति में अग्रणी है, जिसमें सॉफ़्टवेयर समाधान, डिजिटल प्लेटफार्म, और उच्च-तकनीक सेवाएँ शामिल हैं। हाल के वर्षों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग, और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी तकनीकों ने भारत को वैश्विक तकनीकी केंद्र बना दिया है।
सेवा क्षेत्र की मुख्य विशेषताएँ
1. अमूर्तता (Intangibility)
सेवाएँ अमूर्त होती हैं, अर्थात् इन्हें छूया या स्वामित्व में नहीं लिया जा सकता। उदाहरण के लिए, एक वित्तीय सलाह या परामर्श सेवा को भौतिक रूप से नहीं पकड़ सकते। इस अमूर्तता के कारण, सेवा की गुणवत्ता और ग्राहक अनुभव पर ध्यान देना महत्वपूर्ण होता है।
2. अनुप्रेरण (Inseparability)
सेवाएँ अक्सर उत्पादन और उपभोग के दौरान एक साथ होती हैं। उदाहरण के लिए, एक चिकित्सा परामर्श या शिक्षण सत्र वास्तविक समय में होता है और इसे सेवा प्रदाता से अलग नहीं किया जा सकता। यह सेवा प्रदाता और उपभोक्ता के बीच सीधी बातचीत की आवश्यकता को दर्शाता है।
3. नाशवानता (Perishability)
सेवाएँ संग्रहीत या सूचीबद्ध नहीं की जा सकतीं। उदाहरण के लिए, एक होटल का कमरा या एक विमान सीट जो किसी विशेष दिन बुक नहीं की जाती, बाद में बेची नहीं जा सकती। इस कारण से, सेवा प्रदाताओं को मांग और आपूर्ति को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना पड़ता है, अक्सर गतिशील मूल्य निर्धारण और आरक्षण प्रणालियों के माध्यम से।
4. विविधता (Heterogeneity)
सेवाएँ विभिन्न होती हैं और यह सेवा प्रदाता, स्थान, और तरीका पर निर्भर करती हैं। उदाहरण के लिए, एक होटल में ठहरने की गुणवत्ता स्टाफ, स्थान, और सेवा मानकों पर निर्भर कर सकती है। यह विविधता मानकीकरण और गुणवत्ता नियंत्रण की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
5. श्रम-गहनता (Labor-Intensive)
सेवा क्षेत्र अक्सर श्रम-गहन होता है और इसमें मानव संसाधनों पर निर्भरता अधिक होती है। उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, और आतिथ्य क्षेत्र में कुशल कर्मचारियों की आवश्यकता होती है। यह विशेषता कुशल श्रम और प्रशिक्षण की निर्भरता को दर्शाती है।
इन बिंदुओं से स्पष्ट होता है कि सेवा क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसकी विशेषताएँ इस क्षेत्र की जटिलताओं और इसकी बढ़ती भूमिका को समझने में मदद करती हैं।
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