प्रश्न का उत्तर अधिकतम 200 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 11 अंक का है। [MPPSC 2023] साबुनीकरण से आप क्या समझते हैं? साबुन कठोर जल में कार्य क्यों नहीं करता है? समझाइये।
रिमोट सेंसिंग: परिभाषा और वर्गीकरण रिमोट सेंसिंग क्या है? रिमोट सेंसिंग एक तकनीक है जिसके माध्यम से पृथ्वी की सतह की जानकारी दूरस्थ उपकरणों के माध्यम से प्राप्त की जाती है। इसमें उपग्रहों, विमानों, और ड्रोन पर लगे सेंसर का उपयोग कर चित्र और अन्य डेटा एकत्र किए जाते हैं। यह तकनीक न केवल भूमि उपयोग कीRead more
रिमोट सेंसिंग: परिभाषा और वर्गीकरण
रिमोट सेंसिंग क्या है?
रिमोट सेंसिंग एक तकनीक है जिसके माध्यम से पृथ्वी की सतह की जानकारी दूरस्थ उपकरणों के माध्यम से प्राप्त की जाती है। इसमें उपग्रहों, विमानों, और ड्रोन पर लगे सेंसर का उपयोग कर चित्र और अन्य डेटा एकत्र किए जाते हैं। यह तकनीक न केवल भूमि उपयोग की निगरानी करती है, बल्कि पर्यावरणीय, भूगर्भीय और अन्य प्रकार की जानकारी भी प्रदान करती है।
कार्यक्षेत्र के आधार पर वर्गीकरण
रिमोट सेंसिंग को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है:
- ऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग:
- इसमें दृश्य और इन्फ्रारेड तरंगों का उपयोग होता है।
- उदाहरण: Landsat उपग्रहों द्वारा प्राप्त चित्र, जो वनस्पति, जल स्रोत और शहरी क्षेत्र का विश्लेषण करने में मदद करते हैं।
- रेडियोमेट्रिक रिमोट सेंसिंग:
- इसमें विभिन्न प्रकार की रेडियो तरंगों का उपयोग होता है।
- उदाहरण: RADAR तकनीक, जो बादल और रात के समय की स्थिति का विश्लेषण करने में सक्षम होती है।
- थर्मल रिमोट सेंसिंग:
- इसमें गर्मी (थर्मल) इन्फ्रारेड सेंसर का उपयोग होता है।
- उदाहरण: MODIS (Moderate Resolution Imaging Spectroradiometer) द्वारा प्रदान की गई थर्मल इमेजरी, जो वनाग्नि और मौसम की निगरानी करती है।
- लिडार रिमोट सेंसिंग:
- इसमें लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (LIDAR) तकनीक का उपयोग होता है।
- उदाहरण: 3D मॉडलिंग और उपग्रह मानचित्रण के लिए लिडार डेटा का उपयोग किया जाता है।
रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोग की सीमा
रिमोट सेंसिंग के अनुप्रयोग अत्यधिक विविध हैं:
- वातावरणीय निगरानी: वनस्पति की वृद्धि, जलवायु परिवर्तन, और प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी।
- उदाहरण: भारतीय उपग्रह INSAT-3DR द्वारा चक्रवातों और तूफानों की पूर्वानुमान और ट्रैकिंग।
- भूगर्भीय अध्ययन: भूमि उपयोग परिवर्तन, मृदा गुणसूत्र और भूकंपीय गतिविधियाँ।
- उदाहरण: भू-उपयोग के विश्लेषण के लिए IRS उपग्रहों का उपयोग।
- संसाधन प्रबंधन: जल, खनिज, और ऊर्जा संसाधनों का प्रबंधन।
- उदाहरण: जल स्रोतों की निगरानी के लिए Landsat उपग्रह डेटा का उपयोग।
- आपातकालीन प्रबंधन: प्राकृतिक आपदाओं के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया और राहत कार्य।
- उदाहरण: 2023 के भूकंप के बाद क्षेत्र की स्थिति की त्वरित समीक्षा के लिए सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग।
रिमोट सेंसिंग की तकनीक ने आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और इसके अनुप्रयोग की सीमा निरंतर बढ़ रही है।
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परिचय साबुनीकरण एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें वसा या तेल और एक मजबूत क्षार, जैसे सोडियम हाइड्रॉक्साइड (लाइ) या पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड, के बीच प्रतिक्रिया होती है। यह प्रक्रिया साबुन और ग्लिसरीन का निर्माण करती है। साबुनीकरण का सिद्धांत सोप-मेकिंग (साबुन निर्माण) के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसकाRead more
परिचय
साबुनीकरण एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें वसा या तेल और एक मजबूत क्षार, जैसे सोडियम हाइड्रॉक्साइड (लाइ) या पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड, के बीच प्रतिक्रिया होती है। यह प्रक्रिया साबुन और ग्लिसरीन का निर्माण करती है। साबुनीकरण का सिद्धांत सोप-मेकिंग (साबुन निर्माण) के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों, साफ़-सफाई उत्पादों, और औद्योगिक प्रक्रियाओं में किया जाता है।
साबुनीकरण की प्रक्रिया
कठोर जल में साबुन का कार्य क्यों नहीं होता है?
निष्कर्ष
साबुनीकरण एक महत्वपूर्ण रासायनिक प्रक्रिया है जो वसा और तेलों को साबुन में परिवर्तित करती है। हालांकि, कठोर जल में साबुन की प्रभावशीलता कम हो जाती है क्योंकि यह कैल्शियम और मैग्नीशियम आयनों के साथ अवक्षेपित नमक (साबुन स्कम) बनाता है। हाल के समाधान जैसे जल सॉफ़्टनर्स का उपयोग करके इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे साबुन और डिटर्जेंट की कार्यक्षमता में सुधार होता है।
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