प्रश्न का उत्तर अधिकतम 15 से 20 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 03 अंक का है। [MPPSC 2023] बायोडीजल उत्पादन में किसका उपयोग किया जाता है?
राम मनोहर लोहिया की 'लघु इकाई प्रौद्योगिकी' की अवधारणा राम मनोहर लोहिया, भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी विचारक, ने 'लघु इकाई प्रौद्योगिकी' (Small Unit Technology) की अवधारणा प्रस्तुत की, जो उनके समाजवादी दृष्टिकोण और स्थानीय स्वायत्तता के सिद्धांतों पर आधारित थी। इस अवधारणा का मुख्य उद्देश्य आRead more
राम मनोहर लोहिया की ‘लघु इकाई प्रौद्योगिकी’ की अवधारणा
राम मनोहर लोहिया, भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी विचारक, ने ‘लघु इकाई प्रौद्योगिकी’ (Small Unit Technology) की अवधारणा प्रस्तुत की, जो उनके समाजवादी दृष्टिकोण और स्थानीय स्वायत्तता के सिद्धांतों पर आधारित थी। इस अवधारणा का मुख्य उद्देश्य आर्थिक और सामाजिक संरचना को अधिक न्यायसंगत और सस्टेनेबल बनाना था।
‘लघु इकाई प्रौद्योगिकी’ के प्रमुख तत्व:
- विकेंद्रीकरण: लोहिया का मानना था कि बड़े पैमाने की औद्योगिक परियोजनाओं की बजाय छोटे और स्थानीय स्तर पर संचालित प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे आर्थिक गतिविधियाँ स्थानीय स्तर पर केंद्रित होंगी, जिससे स्थानीय समाज और अर्थव्यवस्था को लाभ होगा और केंद्रीकृत शक्ति की प्रवृत्ति कम होगी।
- उपयुक्त प्रौद्योगिकी: लोहिया ने छोटे और सस्ते प्रौद्योगिकी समाधान की वकालत की, जो स्थानीय आवश्यकताओं और संसाधनों के अनुरूप हों। ऐसी प्रौद्योगिकियाँ ग्रामीण और अर्ध-शहरी समुदायों के लिए अधिक उपयुक्त होती हैं, जो उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनाती हैं।
- ग्रामीण सशक्तिकरण: ‘लघु इकाई प्रौद्योगिकी’ का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाना था। छोटे पैमाने पर संचालित प्रौद्योगिकियाँ ग्रामीणों को अपने संसाधनों का बेहतर उपयोग करने और स्थानीय स्तर पर रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा देने में मदद करती हैं।
- सतत विकास और समानता: इस अवधारणा के माध्यम से लोहिया ने सतत विकास और समानता की दिशा में काम किया। उन्होंने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि तकनीकी प्रगति पर्यावरणीय क्षति या सामाजिक असमानता के बिना हो, और संसाधनों का वितरण अधिक संतुलित हो।
संक्षेप में, राम मनोहर लोहिया की ‘लघु इकाई प्रौद्योगिकी’ की अवधारणा का उद्देश्य आर्थिक और तकनीकी गतिविधियों को विकेंद्रित करना, स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना, और समग्र समाज में समानता और स्थिरता को बढ़ावा देना था। यह अवधारणा उनके समाजवादी दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी, जो बड़े औद्योगिक मॉडल की बजाय छोटे, आत्मनिर्भर और टिकाऊ समाधान पर जोर देती है।
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बायोडीजल एक स्वच्छ, नवीकरणीय ईंधन है जिसे मुख्य रूप से जैविक स्रोतों जैसे तेलों और वसा से उत्पादित किया जाता है। यह परंपरागत डीजल का एक विकल्प है और इसे आसानी से डीजल इंजन में बिना किसी बड़े संशोधन के उपयोग किया जा सकता है। बायोडीजल का उत्पादन ट्रांसएस्टरीफिकेशन नामक रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम सेRead more
बायोडीजल एक स्वच्छ, नवीकरणीय ईंधन है जिसे मुख्य रूप से जैविक स्रोतों जैसे तेलों और वसा से उत्पादित किया जाता है। यह परंपरागत डीजल का एक विकल्प है और इसे आसानी से डीजल इंजन में बिना किसी बड़े संशोधन के उपयोग किया जा सकता है। बायोडीजल का उत्पादन ट्रांसएस्टरीफिकेशन नामक रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से होता है, जिसमें तेलों या वसा को फैटी एसिड मिथाइल एस्टर (FAME) में परिवर्तित किया जाता है, जो बायोडीजल का मुख्य घटक है।
बायोडीजल उत्पादन के प्रमुख स्रोत:
बायोडीजल उत्पादन में वनस्पति तेल का प्रमुख योगदान होता है। इन तेलों का स्रोत मुख्य रूप से सोयाबीन, ताड़, सूरजमुखी, कैनोला और रेपसीड जैसे फसलों से होता है। उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया में ताड़ के तेल का व्यापक उपयोग किया जाता है, जहां सरकार ने 2023 में B30 कार्यक्रम के तहत 30% बायोडीजल को पारंपरिक डीजल के साथ मिश्रित करने का लक्ष्य रखा।
पशु वसा जैसे टैलो, लार्ड और मुर्गी की चर्बी का भी बायोडीजल उत्पादन में उपयोग किया जाता है। ये मांस प्रसंस्करण उद्योग के उप-उत्पाद होते हैं। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में पशु वसा का उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है क्योंकि ये कम लागत में उपलब्ध होते हैं और कचरे का पुनर्चक्रण करने में भी सहायक होते हैं।
उपयोग किया हुआ खाना पकाने का तेल बायोडीजल का एक और महत्वपूर्ण स्रोत है। इस तेल का पुनर्चक्रण करके बायोडीजल का उत्पादन किया जाता है, जो पर्यावरणीय रूप से अनुकूल और टिकाऊ होता है। यूरोपीय संघ में, कचरे से बायोडीजल उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाता है, और इसका उपयोग EU की नवीकरणीय ऊर्जा निर्देश के तहत किया जा रहा है।
शैवाल को भविष्य में बायोडीजल के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत माना जा रहा है क्योंकि इसमें उच्च मात्रा में तेल पाया जाता है और यह तेजी से बढ़ते हैं। अल्गी-आधारित बायोडीजल उत्पादन पर शोध चल रहा है, और 2023 में इंडियन ऑयल ने अल्गी से बायोडीजल के उत्पादन के लिए अनुसंधान संस्थानों के साथ साझेदारी की।
अखाद्य तिलहन जैसे जatropha, पोंगामिया, और अरंडी के बीज का उपयोग विशेष रूप से उन क्षेत्रों में किया जाता है जहाँ कृषि भूमि सीमित है। भारत में, जatropha तेल बायोडीजल उत्पादन के लिए एक प्रमुख स्रोत के रूप में पहचाना गया है। राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 के तहत भारत सरकार ने बंजर भूमि पर जatropha की खेती को प्रोत्साहित किया है। 2022 में, भारतीय रेलवे ने जatropha तेल से बने बायोडीजल मिश्रण का सफल परीक्षण किया।
हाल के वर्षों में सूक्ष्मजीवीय तेल से बायोडीजल उत्पादन में रुचि बढ़ी है। कुछ सूक्ष्मजीव, जैसे यीस्ट और फंगी, तेल जमा कर सकते हैं जो बायोडीजल में परिवर्तित हो सकते हैं। यह तकनीक अभी भी अनुसंधान चरण में है, लेकिन इसे भविष्य में बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए एक संभावित विकल्प माना जा रहा है।
उत्पादन प्रक्रिया: ट्रांसएस्टरीफिकेशन
बायोडीजल का उत्पादन ट्रांसएस्टरीफिकेशन प्रक्रिया के माध्यम से होता है, जिसमें तेल या वसा को अल्कोहल (सामान्यतः मेथनॉल) के साथ एक उत्प्रेरक (जैसे सोडियम हाइड्रॉक्साइड या पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड) की उपस्थिति में प्रतिक्रिया कराई जाती है। इस प्रक्रिया से ग्लिसरीन और फैटी एसिड मिथाइल एस्टर (FAME) का निर्माण होता है, जो बायोडीजल का रासायनिक नाम है। ग्लिसरीन एक उपयोगी उप-उत्पाद है जिसे साबुन और सौंदर्य प्रसाधनों में उपयोग किया जाता है।
हाल के उदाहरण:
राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 के तहत, भारत ने 2030 तक 20% एथेनॉल मिश्रण और 5% बायोडीजल मिश्रण का लक्ष्य रखा है। 2023 में, भारत ने कई राज्यों में बायोडीजल मिश्रण कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें मुख्य रूप से अखाद्य तिलहन जैसे जatropha और पोंगामिया पर ध्यान दिया गया।
2023 में, यूरोपीय संघ ने अपने RED II निर्देश को संशोधित किया, जो कचरे से उत्पादित बायोडीजल, जैसे उपयोग किए हुए खाना पकाने के तेल और पशु वसा से बने बायोडीजल, के उपयोग को बढ़ावा देता है।
2023 में, अमेरिका ने अपनी बायोडीजल उत्पादन क्षमता को बढ़ाया, जिसमें मुख्य रूप से सोयाबीन तेल का उपयोग किया गया। अमेरिकी सरकार ने जलवायु कार्रवाई योजना के हिस्से के रूप में बायोडीजल के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रोत्साहन दिए हैं।
निष्कर्ष
बायोडीजल उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। वनस्पति तेल, पशु वसा, उपयोग किया हुआ खाना पकाने का तेल, अखाद्य तिलहन और शैवाल और सूक्ष्मजीवीय तेल जैसे स्रोतों के उपयोग से हम न केवल जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम कर सकते हैं, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा समाधान भी प्रदान कर सकते हैं।
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