Home/mppsc: prodyogiki me anuprayog evam jagrukta/Page 2
- Recent Questions
- Most Answered
- Answers
- No Answers
- Most Visited
- Most Voted
- Random
- Bump Question
- New Questions
- Sticky Questions
- Polls
- Followed Questions
- Favorite Questions
- Recent Questions With Time
- Most Answered With Time
- Answers With Time
- No Answers With Time
- Most Visited With Time
- Most Voted With Time
- Random With Time
- Bump Question With Time
- New Questions With Time
- Sticky Questions With Time
- Polls With Time
- Followed Questions With Time
- Favorite Questions With Time
राम मनोहर लोहिया की 'लघु इकाई प्रोद्योगिकी' की अवधारणा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
राम मनोहर लोहिया की 'लघु इकाई प्रौद्योगिकी' की अवधारणा राम मनोहर लोहिया, भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी विचारक, ने 'लघु इकाई प्रौद्योगिकी' (Small Unit Technology) की अवधारणा प्रस्तुत की, जो उनके समाजवादी दृष्टिकोण और स्थानीय स्वायत्तता के सिद्धांतों पर आधारित थी। इस अवधारणा का मुख्य उद्देश्य आRead more
राम मनोहर लोहिया की ‘लघु इकाई प्रौद्योगिकी’ की अवधारणा
राम मनोहर लोहिया, भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी विचारक, ने ‘लघु इकाई प्रौद्योगिकी’ (Small Unit Technology) की अवधारणा प्रस्तुत की, जो उनके समाजवादी दृष्टिकोण और स्थानीय स्वायत्तता के सिद्धांतों पर आधारित थी। इस अवधारणा का मुख्य उद्देश्य आर्थिक और सामाजिक संरचना को अधिक न्यायसंगत और सस्टेनेबल बनाना था।
‘लघु इकाई प्रौद्योगिकी’ के प्रमुख तत्व:
संक्षेप में, राम मनोहर लोहिया की ‘लघु इकाई प्रौद्योगिकी’ की अवधारणा का उद्देश्य आर्थिक और तकनीकी गतिविधियों को विकेंद्रित करना, स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना, और समग्र समाज में समानता और स्थिरता को बढ़ावा देना था। यह अवधारणा उनके समाजवादी दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी, जो बड़े औद्योगिक मॉडल की बजाय छोटे, आत्मनिर्भर और टिकाऊ समाधान पर जोर देती है।
See less"ऊर्जा की इकाई वही है जो कार्य की है।" क्या यह वाक्य सही है या गलत ?
वाक्य: "ऊर्जा की इकाई वही है जो कार्य की है।" उत्तर: सही विवरण: ऊर्जा और कार्य की परिभाषा: ऊर्जा: ऊर्जा किसी वस्तु के कार्य करने की क्षमता को दर्शाती है। यह विभिन्न रूपों में मौजूद होती है, जैसे कि गतिज ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा, तापीय ऊर्जा आदि। कार्य: कार्य तब किया जाता है जब कोई बल किसी वस्तु पर लगायाRead more
वाक्य: “ऊर्जा की इकाई वही है जो कार्य की है।”
उत्तर: सही
विवरण:
ऊर्जा और कार्य की परिभाषा:
मापन की इकाई:
हाल के उदाहरण:
निष्कर्ष: ऊर्जा और कार्य वास्तव में एक ही भौतिक मात्रा के विभिन्न पहलू हैं, और इनकी इकाई, जूल, इस समरूपता को दर्शाती है। अतः, वाक्य “ऊर्जा की इकाई वही है जो कार्य की है” सही है।
See lessसाबुनीकरण से आप क्या समझते हैं? साबुन कठोर जल में कार्य क्यों नहीं करता है? समझाइये।
परिचय साबुनीकरण एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें वसा या तेल और एक मजबूत क्षार, जैसे सोडियम हाइड्रॉक्साइड (लाइ) या पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड, के बीच प्रतिक्रिया होती है। यह प्रक्रिया साबुन और ग्लिसरीन का निर्माण करती है। साबुनीकरण का सिद्धांत सोप-मेकिंग (साबुन निर्माण) के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसकाRead more
परिचय
साबुनीकरण एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें वसा या तेल और एक मजबूत क्षार, जैसे सोडियम हाइड्रॉक्साइड (लाइ) या पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड, के बीच प्रतिक्रिया होती है। यह प्रक्रिया साबुन और ग्लिसरीन का निर्माण करती है। साबुनीकरण का सिद्धांत सोप-मेकिंग (साबुन निर्माण) के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों, साफ़-सफाई उत्पादों, और औद्योगिक प्रक्रियाओं में किया जाता है।
साबुनीकरण की प्रक्रिया
कठोर जल में साबुन का कार्य क्यों नहीं होता है?
निष्कर्ष
साबुनीकरण एक महत्वपूर्ण रासायनिक प्रक्रिया है जो वसा और तेलों को साबुन में परिवर्तित करती है। हालांकि, कठोर जल में साबुन की प्रभावशीलता कम हो जाती है क्योंकि यह कैल्शियम और मैग्नीशियम आयनों के साथ अवक्षेपित नमक (साबुन स्कम) बनाता है। हाल के समाधान जैसे जल सॉफ़्टनर्स का उपयोग करके इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे साबुन और डिटर्जेंट की कार्यक्षमता में सुधार होता है।
See lessविद्युत धारा के तापीय प्रभाव के व्यावहारिक अनुप्रयोगों की व्याख्या कीजिए।
विद्युत धारा के तापीय प्रभाव के व्यावहारिक अनुप्रयोगों की व्याख्या परिचय विद्युत धारा के तापीय प्रभाव (Joule Heating) वह प्रक्रिया है जिसमें विद्युत ऊर्जा गर्मी में बदल जाती है जब धारा किसी चालक के माध्यम से प्रवाहित होती है। इस प्रभाव का उपयोग विभिन्न व्यावहारिक अनुप्रयोगों में किया जाता है, जो दैनRead more
विद्युत धारा के तापीय प्रभाव के व्यावहारिक अनुप्रयोगों की व्याख्या
परिचय
विद्युत धारा के तापीय प्रभाव (Joule Heating) वह प्रक्रिया है जिसमें विद्युत ऊर्जा गर्मी में बदल जाती है जब धारा किसी चालक के माध्यम से प्रवाहित होती है। इस प्रभाव का उपयोग विभिन्न व्यावहारिक अनुप्रयोगों में किया जाता है, जो दैनिक जीवन और औद्योगिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
प्रमुख अनुप्रयोग
निष्कर्ष
विद्युत धारा के तापीय प्रभाव का उपयोग विभिन्न व्यावहारिक अनुप्रयोगों में किया जाता है, जो न केवल घरेलू जीवन को सरल बनाते हैं बल्कि औद्योगिक और चिकित्सा प्रक्रियाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हाल के उदाहरण बताते हैं कि इस प्रभाव का उपयोग आधुनिक तकनीकों और उन्नत प्रणालियों में कैसे किया जा रहा है, जो ऊर्जा दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने में सहायक हैं।
See lessरासायनिक अपक्षय क्या है?
रासायनिक अपक्षय (Chemical Weathering) वह प्रक्रिया है जिसमें चट्टानों और खनिजों की रासायनिक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से उनकी संरचना और संघटन में बदलाव होता है, जिससे उनका विघटन और विघटन होता है। यह भौतिक अपक्षय से भिन्न है, जिसमें चट्टानों की यांत्रिक रूप से टूट-फूट होती है। मुख्य बिंदु: परिभाषा और पRead more
रासायनिक अपक्षय (Chemical Weathering) वह प्रक्रिया है जिसमें चट्टानों और खनिजों की रासायनिक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से उनकी संरचना और संघटन में बदलाव होता है, जिससे उनका विघटन और विघटन होता है। यह भौतिक अपक्षय से भिन्न है, जिसमें चट्टानों की यांत्रिक रूप से टूट-फूट होती है।
मुख्य बिंदु:
निष्कर्ष
रासायनिक अपक्षय वह प्रक्रिया है जिसमें चट्टानों और खनिजों के रासायनिक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से उनकी संरचना और संघटन में परिवर्तन होता है। हाल के उदाहरण जैसे ग्रांड कैन्यन, खजुराहो मंदिर और ग्रेट बैरियर रीफ इस मुद्दे के विविध प्रभावों को उजागर करते हैं। रासायनिक अपक्षय को समझना और प्रबंधित करना प्राकृतिक परिदृश्यों, ऐतिहासिक स्मारकों और अवसंरचनाओं की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है, साथ ही सतत पर्यावरणीय प्रथाओं को लागू करना भी महत्वपूर्ण है।
See lessअम्लराज (Aqua-regia) क्या होता है? इसके उपयोग लिखिए।
अम्लराज (Aqua-regia): परिभाषा और उपयोग अम्लराज (Aqua-regia) एक अत्यधिक संक्षारक और धुएँ वाला तरल मिश्रण है जो रसायन विज्ञान में बहुमूल्य धातुओं को घोलने की अपनी अद्वितीय क्षमता के लिए जाना जाता है। इसका नाम "राजसी जल" (royal water) पड़ा है क्योंकि यह सोने और प्लेटिनम जैसी धातुओं को घोल सकता है, जो आRead more
अम्लराज (Aqua-regia): परिभाषा और उपयोग
अम्लराज (Aqua-regia) एक अत्यधिक संक्षारक और धुएँ वाला तरल मिश्रण है जो रसायन विज्ञान में बहुमूल्य धातुओं को घोलने की अपनी अद्वितीय क्षमता के लिए जाना जाता है। इसका नाम “राजसी जल” (royal water) पड़ा है क्योंकि यह सोने और प्लेटिनम जैसी धातुओं को घोल सकता है, जो आमतौर पर अन्य अम्लों के प्रति प्रतिरोधी होती हैं।
1. अम्लराज क्या है?
2. अम्लराज के उपयोग
**3. हाल के उदाहरण और अनुप्रयोग
**4. सुरक्षा और संभालना
निष्कर्ष
अम्लराज रसायन विज्ञान में एक महत्वपूर्ण यौगिक है जो विशेष रूप से धातुओं के घोलने और शुद्धिकरण के लिए उपयोगी है। इसका उपयोग सोने और प्लेटिनम की शुद्धता, विश्लेषणात्मक रसायन विज्ञान, सतह की सफाई, और ऐतिहासिक वस्तुओं की मरम्मत में किया जाता है। हाल के अनुप्रयोगों में इलेक्ट्रॉनिक्स पुनरावृत्ति और नैनोटेक्नोलॉजी शामिल हैं, जो अम्लराज की प्रासंगिकता और उपयोगिता को प्रदर्शित करते हैं।
See lessकॉसेल और लुईस का अष्टक नियम समझाइये।
कॉसेल और लुईस का अष्टक नियम कॉसेल और लुईस का अष्टक नियम (Octet Rule) एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो रसायन शास्त्र में परमाणुओं और अणुओं की स्थिरता और रासायनिक बंधनों को समझने में सहायक होता है। यह नियम बताता है कि अधिकांश तत्व स्थिरता प्राप्त करने के लिए अपनी बाहरी इलेक्ट्रॉन परत में आठ इलेक्ट्रॉन हासRead more
कॉसेल और लुईस का अष्टक नियम
कॉसेल और लुईस का अष्टक नियम (Octet Rule) एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो रसायन शास्त्र में परमाणुओं और अणुओं की स्थिरता और रासायनिक बंधनों को समझने में सहायक होता है। यह नियम बताता है कि अधिकांश तत्व स्थिरता प्राप्त करने के लिए अपनी बाहरी इलेक्ट्रॉन परत में आठ इलेक्ट्रॉन हासिल करने की कोशिश करते हैं। इस नियम को गिल्बर्ट न्यूटन लुईस और अर्नस्ट लॉरेंस कॉसेल ने विकसित किया था।
1. कॉसेल और लुईस का अष्टक नियम क्या है?
2. लुईस का अष्टक नियम
3. कॉसेल का अष्टक नियम
4. हाल के उदाहरण और व्यावहारिक अनुप्रयोग
निष्कर्ष
कॉसेल और लुईस का अष्टक नियम रसायन शास्त्र में एक बुनियादी सिद्धांत है जो तत्वों की स्थिरता और बंधन की प्रकृति को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह नियम दर्शाता है कि तत्व अपनी बाहरी इलेक्ट्रॉन परत में आठ इलेक्ट्रॉन प्राप्त करने के लिए रासायनिक बंधनों का निर्माण करते हैं। हाल के उदाहरण, जैसे गैसीय तत्वों की स्थिरता और रासायनिक संश्लेषण में अष्टक नियम का अनुप्रयोग, इस सिद्धांत की प्रासंगिकता और महत्व को प्रदर्शित करते हैं।
See lessकिरण प्रकाशिकी में प्रयोग की जाने वाली कार्तीय (कार्टिशियन) चिह्न परिपाटी का वर्णन करें।
किरण प्रकाशिकी में कार्तीय (कार्टिशियन) चिह्न परिपाटी कार्तीय (कार्टिशियन) चिह्न परिपाटी (Cartesian Sign Convention) एक मानक नियम है जो कि किरण प्रकाशिकी (ray optics) में उपयोग किया जाता है। यह परिपाटी लेंस और दर्पणों के विश्लेषण को सरल बनाती है और वस्तुओं, चित्रों, और फोकल लम्बाई जैसे भौतिक गुणों कRead more
किरण प्रकाशिकी में कार्तीय (कार्टिशियन) चिह्न परिपाटी
कार्तीय (कार्टिशियन) चिह्न परिपाटी (Cartesian Sign Convention) एक मानक नियम है जो कि किरण प्रकाशिकी (ray optics) में उपयोग किया जाता है। यह परिपाटी लेंस और दर्पणों के विश्लेषण को सरल बनाती है और वस्तुओं, चित्रों, और फोकल लम्बाई जैसे भौतिक गुणों के लिए सकारात्मक और नकारात्मक चिह्न निर्धारित करने में मदद करती है। नीचे इस परिपाटी का विस्तृत वर्णन किया गया है, हाल के उदाहरणों के साथ:
1. कार्तीय चिह्न परिपाटी की परिभाषा
2. कार्तीय चिह्न परिपाटी के नियम
3. लेंस और दर्पण सूत्रों में कार्तीय चिह्न परिपाटी का प्रयोग
**4. हाल के उदाहरण
निष्कर्ष
कार्तीय (कार्टिशियन) चिह्न परिपाटी किरण प्रकाशिकी में वस्तुओं और चित्रों की दूरी, फोकल लम्बाई, और वक्रता की त्रिज्या के लिए एक मानक चिह्न प्रणाली प्रदान करती है। यह परिपाटी गणनाओं और विश्लेषणों में सुसंगतता और सटीकता सुनिश्चित करती है, और इसके व्यावहारिक अनुप्रयोग विभिन्न आधुनिक उपकरणों और प्रौद्योगिकियों में देखे जा सकते हैं।
See lessजड़त्व की अवधारणा समझाइये।
जड़त्व की अवधारणा जड़त्व (Inertia) भौतिकी का एक मौलिक सिद्धांत है जो किसी वस्तु के अपने गति की स्थिति को बदलने के प्रति प्रतिरोध को वर्णित करता है। यह सिद्धांत न्यूटन की यांत्रिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और वस्तुओं के बलों के प्रति प्रतिक्रिया को समझने में सहायक होता है। यहाँ जड़त्व की अवधारRead more
जड़त्व की अवधारणा
जड़त्व (Inertia) भौतिकी का एक मौलिक सिद्धांत है जो किसी वस्तु के अपने गति की स्थिति को बदलने के प्रति प्रतिरोध को वर्णित करता है। यह सिद्धांत न्यूटन की यांत्रिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और वस्तुओं के बलों के प्रति प्रतिक्रिया को समझने में सहायक होता है। यहाँ जड़त्व की अवधारणा की विस्तृत व्याख्या की गई है, हाल के उदाहरणों के साथ:
1. जड़त्व की परिभाषा
2. न्यूटन का प्रथम गति नियम
3. मास और जड़त्व
4. जड़त्व के व्यावहारिक उपयोग
5. अंतरिक्ष अन्वेषण में जड़त्व
6. आधुनिक प्रौद्योगिकी में जड़त्व
निष्कर्ष
जड़त्व एक मौलिक भौतिकी का सिद्धांत है जो वस्तुओं के गति की स्थिति में बदलाव के प्रति प्रतिरोध को दर्शाता है। यह सिद्धांत न्यूटन के प्रथम गति नियम से संबंधित है और इसका व्यावहारिक उपयोग वाहन सुरक्षा, अंतरिक्ष अन्वेषण, और आधुनिक प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हाल के उदाहरण जड़त्व की अवधारणा की महत्वपूर्णता को स्पष्ट करते हैं और इसे विभिन्न क्षेत्रों में कैसे लागू किया जाता है, यह दर्शाते हैं।
See lessबायोडीजल उत्पादन में किसका उपयोग किया जाता है?
बायोडीजल एक स्वच्छ, नवीकरणीय ईंधन है जिसे मुख्य रूप से जैविक स्रोतों जैसे तेलों और वसा से उत्पादित किया जाता है। यह परंपरागत डीजल का एक विकल्प है और इसे आसानी से डीजल इंजन में बिना किसी बड़े संशोधन के उपयोग किया जा सकता है। बायोडीजल का उत्पादन ट्रांसएस्टरीफिकेशन नामक रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम सेRead more
बायोडीजल एक स्वच्छ, नवीकरणीय ईंधन है जिसे मुख्य रूप से जैविक स्रोतों जैसे तेलों और वसा से उत्पादित किया जाता है। यह परंपरागत डीजल का एक विकल्प है और इसे आसानी से डीजल इंजन में बिना किसी बड़े संशोधन के उपयोग किया जा सकता है। बायोडीजल का उत्पादन ट्रांसएस्टरीफिकेशन नामक रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से होता है, जिसमें तेलों या वसा को फैटी एसिड मिथाइल एस्टर (FAME) में परिवर्तित किया जाता है, जो बायोडीजल का मुख्य घटक है।
बायोडीजल उत्पादन के प्रमुख स्रोत:
बायोडीजल उत्पादन में वनस्पति तेल का प्रमुख योगदान होता है। इन तेलों का स्रोत मुख्य रूप से सोयाबीन, ताड़, सूरजमुखी, कैनोला और रेपसीड जैसे फसलों से होता है। उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया में ताड़ के तेल का व्यापक उपयोग किया जाता है, जहां सरकार ने 2023 में B30 कार्यक्रम के तहत 30% बायोडीजल को पारंपरिक डीजल के साथ मिश्रित करने का लक्ष्य रखा।
पशु वसा जैसे टैलो, लार्ड और मुर्गी की चर्बी का भी बायोडीजल उत्पादन में उपयोग किया जाता है। ये मांस प्रसंस्करण उद्योग के उप-उत्पाद होते हैं। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में पशु वसा का उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है क्योंकि ये कम लागत में उपलब्ध होते हैं और कचरे का पुनर्चक्रण करने में भी सहायक होते हैं।
उपयोग किया हुआ खाना पकाने का तेल बायोडीजल का एक और महत्वपूर्ण स्रोत है। इस तेल का पुनर्चक्रण करके बायोडीजल का उत्पादन किया जाता है, जो पर्यावरणीय रूप से अनुकूल और टिकाऊ होता है। यूरोपीय संघ में, कचरे से बायोडीजल उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाता है, और इसका उपयोग EU की नवीकरणीय ऊर्जा निर्देश के तहत किया जा रहा है।
शैवाल को भविष्य में बायोडीजल के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत माना जा रहा है क्योंकि इसमें उच्च मात्रा में तेल पाया जाता है और यह तेजी से बढ़ते हैं। अल्गी-आधारित बायोडीजल उत्पादन पर शोध चल रहा है, और 2023 में इंडियन ऑयल ने अल्गी से बायोडीजल के उत्पादन के लिए अनुसंधान संस्थानों के साथ साझेदारी की।
अखाद्य तिलहन जैसे जatropha, पोंगामिया, और अरंडी के बीज का उपयोग विशेष रूप से उन क्षेत्रों में किया जाता है जहाँ कृषि भूमि सीमित है। भारत में, जatropha तेल बायोडीजल उत्पादन के लिए एक प्रमुख स्रोत के रूप में पहचाना गया है। राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 के तहत भारत सरकार ने बंजर भूमि पर जatropha की खेती को प्रोत्साहित किया है। 2022 में, भारतीय रेलवे ने जatropha तेल से बने बायोडीजल मिश्रण का सफल परीक्षण किया।
हाल के वर्षों में सूक्ष्मजीवीय तेल से बायोडीजल उत्पादन में रुचि बढ़ी है। कुछ सूक्ष्मजीव, जैसे यीस्ट और फंगी, तेल जमा कर सकते हैं जो बायोडीजल में परिवर्तित हो सकते हैं। यह तकनीक अभी भी अनुसंधान चरण में है, लेकिन इसे भविष्य में बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए एक संभावित विकल्प माना जा रहा है।
उत्पादन प्रक्रिया: ट्रांसएस्टरीफिकेशन
बायोडीजल का उत्पादन ट्रांसएस्टरीफिकेशन प्रक्रिया के माध्यम से होता है, जिसमें तेल या वसा को अल्कोहल (सामान्यतः मेथनॉल) के साथ एक उत्प्रेरक (जैसे सोडियम हाइड्रॉक्साइड या पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड) की उपस्थिति में प्रतिक्रिया कराई जाती है। इस प्रक्रिया से ग्लिसरीन और फैटी एसिड मिथाइल एस्टर (FAME) का निर्माण होता है, जो बायोडीजल का रासायनिक नाम है। ग्लिसरीन एक उपयोगी उप-उत्पाद है जिसे साबुन और सौंदर्य प्रसाधनों में उपयोग किया जाता है।
हाल के उदाहरण:
राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 के तहत, भारत ने 2030 तक 20% एथेनॉल मिश्रण और 5% बायोडीजल मिश्रण का लक्ष्य रखा है। 2023 में, भारत ने कई राज्यों में बायोडीजल मिश्रण कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें मुख्य रूप से अखाद्य तिलहन जैसे जatropha और पोंगामिया पर ध्यान दिया गया।
2023 में, यूरोपीय संघ ने अपने RED II निर्देश को संशोधित किया, जो कचरे से उत्पादित बायोडीजल, जैसे उपयोग किए हुए खाना पकाने के तेल और पशु वसा से बने बायोडीजल, के उपयोग को बढ़ावा देता है।
2023 में, अमेरिका ने अपनी बायोडीजल उत्पादन क्षमता को बढ़ाया, जिसमें मुख्य रूप से सोयाबीन तेल का उपयोग किया गया। अमेरिकी सरकार ने जलवायु कार्रवाई योजना के हिस्से के रूप में बायोडीजल के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रोत्साहन दिए हैं।
निष्कर्ष
बायोडीजल उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। वनस्पति तेल, पशु वसा, उपयोग किया हुआ खाना पकाने का तेल, अखाद्य तिलहन और शैवाल और सूक्ष्मजीवीय तेल जैसे स्रोतों के उपयोग से हम न केवल जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम कर सकते हैं, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा समाधान भी प्रदान कर सकते हैं।
See less