प्रश्न का उत्तर अधिकतम 50 शब्दों/5 से 6 पंक्तियाँ में दीजिए। यह प्रश्न 05 अंक का है। [MPPSC 2023] पर्यावरणीय शिक्षा के कार्यक्रमों (प्रोग्राम्स) पर टिप्पणी कीजिये।
पवित्र उपवन: परिभाषा और संरक्षण में योगदान परिचय पवित्र उपवन (Sacred Groves) वे वन या वनस्पति क्षेत्र हैं जिन्हें स्थानीय समुदाय धार्मिक, सांस्कृतिक या आध्यात्मिक महत्व के कारण संरक्षित करते हैं। इन क्षेत्रों की सुरक्षा किसी भी प्रकार के शोषण, जैसे वनों की कटाई, शिकार, और चराई से की जाती है, क्योंकिRead more
पवित्र उपवन: परिभाषा और संरक्षण में योगदान
परिचय पवित्र उपवन (Sacred Groves) वे वन या वनस्पति क्षेत्र हैं जिन्हें स्थानीय समुदाय धार्मिक, सांस्कृतिक या आध्यात्मिक महत्व के कारण संरक्षित करते हैं। इन क्षेत्रों की सुरक्षा किसी भी प्रकार के शोषण, जैसे वनों की कटाई, शिकार, और चराई से की जाती है, क्योंकि इन्हें धार्मिक मान्यता प्राप्त होती है। पवित्र उपवन विश्वभर की विभिन्न संस्कृतियों और समुदायों में पाए जाते हैं, और इनका संरक्षण पारिस्थितिकीय संतुलन और जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण होता है।
पवित्र उपवन की विशेषताएँ
- सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व
- पवित्र उपवन स्थानीय देवताओं, आत्माओं या पूर्वजों से जुड़े होते हैं, और यहाँ पूजा, अनुष्ठान, और त्योहारों का आयोजन होता है। इनका संरक्षण सांस्कृतिक प्रथाओं से जुड़ा होता है।
- हाल का उदाहरण: कोडागू के पवित्र उपवन (कर्नाटका, भारत) स्थानीय देवताओं को समर्पित हैं और कोडवा समुदाय की सांस्कृतिक परंपराओं का हिस्सा हैं। इन उपवनों को सांस्कृतिक मान्यता प्राप्त है और स्थानीय अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- पर्यावरणीय महत्व
- पवित्र उपवन जैव विविधता का संचार करते हैं और कई दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों का आश्रय स्थल होते हैं। इनका संरक्षण पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
- हाल का उदाहरण: खड़िलकर पवित्र उपवन (महाराष्ट्र, भारत) में औषधीय पौधों और संकटग्रस्त प्रजातियों की विविधता पाई जाती है, जो इन क्षेत्रों के पारिस्थितिकीय महत्व को दर्शाती है।
- पारंपरिक प्रबंधन प्रथाएँ
- पवित्र उपवन की देखभाल आमतौर पर पारंपरिक नियमों और परंपराओं द्वारा की जाती है, जो सतत उपयोग और संरक्षण को सुनिश्चित करती हैं। ये प्रथाएँ सामुदायिक-आधारित होती हैं और प्रकृति के प्रति गहरी श्रद्धा को दर्शाती हैं।
- हाल का उदाहरण: मिज़ोरम में पारंपरिक कृषि प्रथा के तहत, स्थानीय समुदाय कुछ वन क्षेत्रों को पवित्र उपवन के रूप में सुरक्षित रखते हैं, जिससे इन क्षेत्रों का संरक्षण होता है।
संरक्षण में योगदान
- जैव विविधता का संरक्षण
- पवित्र उपवन जैव विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये क्षेत्र अनेक प्रजातियों के आवास होते हैं और संकटग्रस्त प्रजातियों को संरक्षण प्रदान करते हैं।
- हाल का उदाहरण: मेघालय के पवित्र उपवन (पूर्वोत्तर भारत) अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध हैं, जिसमें विशिष्ट पौधों की प्रजातियाँ और हूलॉक गिबन्स जैसे दुर्लभ वन्य जीव शामिल हैं।
- पारिस्थितिकीय सेवाएँ
- पवित्र उपवन पारिस्थितिकीय सेवाएँ प्रदान करते हैं जैसे कि मिट्टी संरक्षण, जल प्रबंधन, और जलवायु नियंत्रण। इनका संरक्षण आसपास के पारिस्थितिक तंत्र की सेहत बनाए रखने में मदद करता है।
- हाल का उदाहरण: पश्चिमी घाट के पवित्र उपवन भारत में जलाशयों के प्रबंधन और स्थानीय जलवायु को नियंत्रित करने में योगदान करते हैं, जो कृषि प्रथाओं और जल संसाधनों के लिए फायदेमंद है।
- सांस्कृतिक और सामाजिक लाभ
- पवित्र उपवन सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक एकता को सुदृढ़ करते हैं, जिससे समुदायों को उनके विरासत से जोड़कर रखना और संरक्षण प्रयासों में सहभागिता को प्रोत्साहित करते हैं।
- हाल का उदाहरण: योरूबा लोगों के पवित्र उपवन (नाइजीरिया) न केवल धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं बल्कि संरक्षण गतिविधियों और पारंपरिक पारिस्थितिकीय ज्ञान के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
- पर्यावरणीय परिवर्तनों के प्रति लचीलापन
- पवित्र उपवन पर्यावरणीय तनावों जैसे वनों की कटाई या जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति अधिक लचीले होते हैं। ये संकट के समय सुरक्षित आश्रय स्थल के रूप में कार्य करते हैं।
- हाल का उदाहरण: केरल के पवित्र उपवन जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के खिलाफ लचीलापन दिखाते हैं, और इनका संरक्षण विभिन्न प्रजातियों के लिए स्थिर वातावरण प्रदान करता है।
चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा
- आधुनिकीकरण और भूमि दबाव
- तेजी से शहरीकरण और कृषि विस्तार पवित्र उपवनों को खतरे में डालते हैं, क्योंकि इन क्षेत्रों पर विकास कार्य किए जाते हैं।
- प्रतिक्रिया: पवित्र उपवन संरक्षण परियोजना, भारत पारंपरिक संरक्षण प्रथाओं को आधुनिक प्रबंधन तकनीकों के साथ जोड़कर इन क्षेत्रों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है।
- पारंपरिक ज्ञान का क्षय
- जैसे-जैसे समुदाय आधुनिक होते हैं, पवित्र उपवनों से संबंधित पारंपरिक ज्ञान खोने का खतरा रहता है।
- प्रतिक्रिया: पारंपरिक पारिस्थितिकीय ज्ञान को दस्तावेज़बद्ध करने और पुनर्जीवित करने के प्रयास चल रहे हैं, जिनमें सामुदायिक सहभागिता और शैक्षिक कार्यक्रम शामिल हैं।
निष्कर्ष
पवित्र उपवन सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, और पारिस्थितिकीय मान्यता का एक अनूठा संयोजन होते हैं। ये जैव विविधता, पारिस्थितिकीय सेवाओं, और सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि ये आधुनिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, पारंपरिक प्रथाओं और आधुनिक प्रबंधन तकनीकों का एकीकृत दृष्टिकोण उनकी सुरक्षा और स्थिरता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण होगा।
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पर्यावरणीय शिक्षा के कार्यक्रमों (प्रोग्राम्स) पर टिप्पणी परिचय पर्यावरणीय शिक्षा (Environmental Education) का उद्देश्य लोगों को पर्यावरणीय मुद्दों, उनके प्रभाव, और सतत विकास के तरीकों के बारे में जानकारी और समझ प्रदान करना है। यह शिक्षा लोगों को पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभानेRead more
पर्यावरणीय शिक्षा के कार्यक्रमों (प्रोग्राम्स) पर टिप्पणी
परिचय
पर्यावरणीय शिक्षा (Environmental Education) का उद्देश्य लोगों को पर्यावरणीय मुद्दों, उनके प्रभाव, और सतत विकास के तरीकों के बारे में जानकारी और समझ प्रदान करना है। यह शिक्षा लोगों को पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करती है। पर्यावरणीय शिक्षा के कार्यक्रम विभिन्न स्तरों पर संचालित होते हैं, जिसमें स्कूल, कॉलेज, और सामुदायिक कार्यक्रम शामिल हैं।
मुख्य उद्देश्य और तत्व
निष्कर्ष
पर्यावरणीय शिक्षा के कार्यक्रम न केवल लोगों को पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति जागरूक करते हैं बल्कि उन्हें सक्रिय रूप से इन मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रेरित भी करते हैं। हाल के उदाहरण, जैसे स्वच्छ भारत मिशन, ग्रीन स्कूल पहल, और प्लास्टिक मुक्त अभियान, यह दर्शाते हैं कि कैसे ये कार्यक्रम सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण में योगदान कर रहे हैं। इन पहलों के माध्यम से, हम पर्यावरणीय शिक्षा को एक महत्वपूर्ण सामाजिक और शैक्षिक आवश्यकता के रूप में पहचान सकते हैं, जो न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी लाभकारी है।
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