प्रश्न का उत्तर अधिकतम 200 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 11 अंक का है। [MPPSC 2023] भारत में लोकसेवकों में अनुशासन और उन पर नियन्त्रण काने में ‘लोकसेवकों के लिये आचार संहिता’ क्या भूमिका निभाती है? समझाइये।
सिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा के द्वास के प्रमुख कारणों का वर्णन परिचय सिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा का द्वास एक गंभीर चिंता का विषय है, जो सरकारी प्रशासन की दक्षता और जनता के विश्वास को प्रभावित करता है। यह समस्या कई कारकों के संयोजन से उत्पन्न होती है। इन कारणों को समझना महत्वपूर्ण है ताकि प्रभावी सुधRead more
सिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा के द्वास के प्रमुख कारणों का वर्णन
परिचय
सिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा का द्वास एक गंभीर चिंता का विषय है, जो सरकारी प्रशासन की दक्षता और जनता के विश्वास को प्रभावित करता है। यह समस्या कई कारकों के संयोजन से उत्पन्न होती है। इन कारणों को समझना महत्वपूर्ण है ताकि प्रभावी सुधारात्मक उपाय किए जा सकें।
1. राजनीतिक हस्तक्षेप
- परिभाषा: राजनीतिक हस्तक्षेप का तात्पर्य उन परिस्थितियों से है जब राजनेता सिविल सेवाओं के कामकाज और निर्णयों पर अनावश्यक दबाव डालते हैं, जिससे सत्यनिष्ठा प्रभावित होती है।
- हाल का उदाहरण: 2024 में उत्तर प्रदेश में वरिष्ठ IAS अधिकारियों के स्थानांतरण की विवादास्पद घटनाओं ने दिखाया कि राजनीतिक दबाव प्रशासनिक निर्णयों को प्रभावित कर सकता है, जिससे सिविल सेवाओं की निष्पक्षता और सत्यनिष्ठा प्रभावित होती है।
2. भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी
- परिभाषा: भ्रष्टाचार में व्यक्तिगत लाभ के लिए शक्ति का दुरुपयोग शामिल है, जिसमें रिश्वतखोरी और धन की हेराफेरी शामिल हैं, जो सिविल सेवकों के नैतिक मानकों को कमजोर करती हैं।
- हाल का उदाहरण: दिल्ली शराब नीति घोटाला (2023), जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों को शराब लाइसेंस के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगा, यह प्रदर्शित करता है कि भ्रष्टाचार किस प्रकार सिविल सेवाओं की सत्यनिष्ठा को कमजोर करता है।
3. जवाबदेही की कमी
- परिभाषा: जवाबदेही की कमी का मतलब है कि सिविल सेवकों के कार्यों के लिए प्रभावी उत्तरदायित्व के तंत्र की कमी, जो सत्यनिष्ठा में गिरावट का कारण बनती है।
- हाल का उदाहरण: असम में NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स) के मामले (2024) में अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की कमी ने जवाबदेही के तंत्र की कमी को उजागर किया, जो सिविल सेवाओं की सत्यनिष्ठा को प्रभावित करता है।
4. अपर्याप्त प्रशिक्षण और पेशेवर विकास
- परिभाषा: अपर्याप्त प्रशिक्षण और पेशेवर विकास का मतलब है कि सिविल सेवकों को नैतिक मानकों और उचित आचरण की समझ की कमी हो सकती है।
- हाल का उदाहरण: दिल्ली दंगों (2024) के दौरान कुछ राज्य पुलिस बलों में प्रशिक्षण की कमी ने प्रबंधन और नैतिकता में विफलताओं को उजागर किया, यह दिखाते हुए कि प्रशिक्षण और विकास कार्यक्रमों में सुधार की आवश्यकता है।
5. कम वेतन और खराब कार्य स्थितियाँ
- परिभाषा: कम वेतन और खराब कार्य स्थितियाँ असंतोष को जन्म देती हैं और सिविल सेवकों को अनैतिक प्रथाओं के प्रति संवेदनशील बना सकती हैं।
- हाल का उदाहरण: 2023 में जूनियर डॉक्टरों के वेतन और कार्य स्थितियों पर हुए विरोध ने यह दिखाया कि अपर्याप्त मुआवजा और खराब स्थितियाँ सत्यनिष्ठा को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे व्यापक असंतोष और अनैतिक प्रथाओं को बढ़ावा मिलता है।
6. पारदर्शिता की कमी
- परिभाषा: प्रशासनिक प्रक्रियाओं और निर्णय-निर्माण में पारदर्शिता की कमी संदिग्धता और अनैतिक व्यवहार को जन्म देती है।
- हाल का उदाहरण: COVID-19 राहत फंडों के आवंटन पर विवाद (2024) में पारदर्शिता की कमी ने दुरुपयोग और पक्षपात के आरोपों को जन्म दिया, यह दिखाते हुए कि पारदर्शिता की आवश्यकता कितनी महत्वपूर्ण है।
7. सामाजिक और सांस्कृतिक कारक
- परिभाषा: सामाजिक और सांस्कृतिक कारक, जैसे समाज की मान्यताएँ और मूल्य, सिविल सेवकों के व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं और सत्यनिष्ठा में कमी का कारण बन सकते हैं।
- हाल का उदाहरण: 2024 में जाति आधारित भेदभाव की घटनाओं ने यह दर्शाया कि समाज में जड़े हुए पूर्वाग्रह किस प्रकार सिविल सेवाओं की नैतिकता और सत्यनिष्ठा को प्रभावित कर सकते हैं।
निष्कर्ष
सिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा के द्वास के प्रमुख कारणों में राजनीतिक हस्तक्षेप, भ्रष्टाचार, जवाबदेही की कमी, अपर्याप्त प्रशिक्षण, कम वेतन, पारदर्शिता की कमी, और सामाजिक-सांस्कृतिक कारक शामिल हैं। हाल के उदाहरण इन समस्याओं के प्रभाव को उजागर करते हैं और सुधारात्मक उपायों की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। इन कारकों को समझकर और प्रभावी उपायों को लागू करके सिविल सेवाओं की सत्यनिष्ठा को पुनः स्थापित किया जा सकता है।
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भारत में लोकसेवकों में अनुशासन और उन पर नियन्त्रण काने में 'लोकसेवकों के लिये आचार संहिता' की भूमिका परिचय भारत में लोकसेवकों के लिए आचार संहिता (Code of Conduct for Civil Servants) एक महत्वपूर्ण ढांचा है जो लोकसेवकों के आचरण को नियंत्रित करता है। यह आचार संहिता अनुशासन और नियंत्रण सुनिश्चित करने मेRead more
भारत में लोकसेवकों में अनुशासन और उन पर नियन्त्रण काने में ‘लोकसेवकों के लिये आचार संहिता’ की भूमिका
परिचय
भारत में लोकसेवकों के लिए आचार संहिता (Code of Conduct for Civil Servants) एक महत्वपूर्ण ढांचा है जो लोकसेवकों के आचरण को नियंत्रित करता है। यह आचार संहिता अनुशासन और नियंत्रण सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे सरकार के संचालन में पारदर्शिता और सटीकता बनी रहती है।
1. स्पष्ट नैतिक मानक स्थापित करना
2. जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करना
3. अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए ढांचा प्रदान करना
4. पेशेवरता और सत्यनिष्ठा को बढ़ावा देना
5. सार्वजनिक विश्वास को बढ़ाना
6. नैतिक निर्णय लेने में सहायता
7. सतत पेशेवर विकास को प्रोत्साहित करना
निष्कर्ष
भारत में लोकसेवकों के लिए आचार संहिता अनुशासन और नियंत्रण सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह स्पष्ट नैतिक मानक, जवाबदेही और पारदर्शिता, अनुशासनात्मक ढांचा, पेशेवरता और सत्यनिष्ठा को बढ़ावा देती है, सार्वजनिक विश्वास को बढ़ाती है, नैतिक निर्णय लेने में सहायता करती है, और सतत पेशेवर विकास को प्रोत्साहित करती है। हाल के उदाहरण यह प्रदर्शित करते हैं कि आचार संहिता किस प्रकार प्रभावी रूप से दुराचार को नियंत्रित करती है और सिविल सेवाओं की दक्षता और विश्वसनीयता को बनाए रखती है।
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