Answer the question in a maximum of 50 words/5 to 6 lines. This question carries 05 marks. [MPPSC 2023] Explain the folk play Kalangi Turra
मध्य प्रदेश का रंगमंच भारतीय रंगमंच की समृद्ध परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस क्षेत्र का रंगमंच न केवल ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी समृद्ध है। यहाँ रंगमंच का विकास प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक विभिन्न चरणों में हुआ है। प्राचीन काल नाट्Read more
मध्य प्रदेश का रंगमंच भारतीय रंगमंच की समृद्ध परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस क्षेत्र का रंगमंच न केवल ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी समृद्ध है। यहाँ रंगमंच का विकास प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक विभिन्न चरणों में हुआ है।
प्राचीन काल
- नाट्यशास्त्र और प्राचीन रंगमंच:
- मध्य प्रदेश का रंगमंच भारतीय रंगमंच के प्राचीन स्रोतों से जुड़ा है, जैसे कि भरत मुनि का “नाट्यशास्त्र”, जो भारतीय रंगमंच की आधारशिला है। यह ग्रंथ रंगमंच की कला, शास्त्र और अभिव्यक्ति के सिद्धांतों को विस्तृत रूप से प्रस्तुत करता है।
- कथकली और अन्य पारंपरिक नृत्य-नाटक:
- मध्य प्रदेश में कथकली और अन्य पारंपरिक नृत्य-नाटक का प्रभाव भी रहा है, हालांकि ये मुख्यतः दक्षिण भारत की परंपराओं से जुड़े हैं, लेकिन मध्य प्रदेश में भी इनकी उपस्थिति रही है।
मध्यकाल
- मध्यकालीन नाट्य परंपराएँ:
- मध्य प्रदेश में विभिन्न राजवंशों जैसे होलकर, सिंधिया और कटंगी राजाओं के शासनकाल में नाट्य परंपराओं को बढ़ावा मिला। दरबारी नाटक और संगीत नाटकों का आयोजन हुआ, जिनमें कई ऐतिहासिक और धार्मिक विषयों को मंचित किया गया।
आधुनिक काल
- 19वीं सदी और आधुनिक रंगमंच:
- 19वीं सदी में मध्य प्रदेश में आधुनिक रंगमंच की शुरुआत हुई। इस काल में हिंदी और उर्दू नाटकों ने क्षेत्र में लोकप्रियता प्राप्त की। रंगमंचीय गतिविधियाँ नगरों और कस्बों में बढ़ने लगीं।
- 20वीं सदी में रंगमंच का विकास:
- 20वीं सदी में मध्य प्रदेश में रंगमंच ने एक नई दिशा ली। महत्वपूर्ण रंगकर्मी जैसे कि शिवराम कारंट, जो कि एक प्रमुख नाटककार और निर्देशक थे, ने रंगमंच की नई दिशा दी। उनका योगदान मध्य प्रदेश के रंगमंच के विकास में महत्वपूर्ण था।
- मध्य प्रदेश रंगमंच की समकालीन परंपराएँ:
- आज के समय में मध्य प्रदेश में रंगमंच ने विभिन्न स्वरूपों में प्रगति की है। स्थानीय भाषा और संस्कृतियों की विविधता के कारण रंगमंच में विभिन्न शैलियाँ और विषय देखे जा सकते हैं।
- लोक रंगमंच और जन नाट्य: मध्य प्रदेश में लोक रंगमंच और जन नाट्य की परंपरा भी समृद्ध है। यहाँ परंपरागत लोकनाट्य जैसे कि नाटिका, लाटू और छत्तीसगढ़ी नाटक अभी भी लोकप्रिय हैं।
- संस्थाएँ और महोत्सव:
- मध्य प्रदेश में रंगमंच के विकास में कई सांस्कृतिक संस्थाओं और महोत्सवों का योगदान है। भोपाल, इंदौर और जबलपुर जैसे शहरों में रंगमंच की गतिविधियाँ और महोत्सव आयोजित किए जाते हैं, जिनमें स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर के नाटक, अभिनय और निर्देशकीय प्रस्तुतियाँ होती हैं।
रंगमंच की समृद्धि
- प्रशिक्षण और शिक्षा: मध्य प्रदेश में रंगमंच को लेकर कई संस्थान और विश्वविद्यालय हैं जो रंगमंच की शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, बृजमोहन रंगमंच अकादमी और अन्य स्थानीय रंगमंच संस्थाएँ रंगमंच की कला को बढ़ावा देती हैं।
- स्थानीय रंगकर्मी और नाटककार: मध्य प्रदेश के कई रंगकर्मी और नाटककार राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके हैं। उनके काम ने राज्य के रंगमंच को समृद्ध और प्रसिद्ध बनाया है।
मध्य प्रदेश का रंगमंच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है और यह भारतीय रंगमंच की विविधता और समृद्धि को दर्शाता है।
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< Turra Kalangi is a traditional folk drama from the state of Madhya Pradesh, India. It is an integral part of the cultural heritage of the region and showcases a rich blend of local traditions, music, and performance art. Here's a detailed description of this vibrant folk drama: **1. HistoricalRead more
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Turra Kalangi is a traditional folk drama from the state of Madhya Pradesh, India. It is an integral part of the cultural heritage of the region and showcases a rich blend of local traditions, music, and performance art. Here’s a detailed description of this vibrant folk drama:
**1. Historical and Cultural Context
**2. Plot and Themes
**3. Performance Style
**4. Set and Stage
**5. Audience Interaction
**6. Educational and Entertainment Value
**7. Contemporary Relevance
In summary, Turra Kalangi is a dynamic and expressive folk drama that encapsulates the essence of Madhya Pradesh’s cultural traditions. Through its engaging performances and rich storytelling, it continues to be a cherished part of the region’s heritage.
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