प्रश्न का उत्तर अधिकतम 200 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 11 अंक का है। [MPPSC 2023] भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का विस्तृत विवरण दीजिए।
चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर के नाम बताइए 1. चंद्रयान-3 का परिचय: चंद्रयान-3: यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित तीसरी चंद्रमा मिशन है। इसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करना और चंद्रमा की विशेषताओं पर डेटा एकत्र करना है। 2. लैंडर और रोवर के नाम: लैंडर: चंद्रयान-3 का लRead more
चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर के नाम बताइए
1. चंद्रयान-3 का परिचय:
- चंद्रयान-3: यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित तीसरी चंद्रमा मिशन है। इसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करना और चंद्रमा की विशेषताओं पर डेटा एकत्र करना है।
2. लैंडर और रोवर के नाम:
- लैंडर: चंद्रयान-3 का लैंडर “विक्रम” नामक है। इसे डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर नामित किया गया है, जो ISRO के संस्थापक थे। यह लैंडर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- रोवर: विक्रम लैंडर द्वारा ले जाया जाने वाला रोवर “प्रज्ञान” नामक है। “प्रज्ञान” का अर्थ संस्कृत में “बुद्धिमत्ता” होता है, जो मिशन की वैज्ञानिक और अन्वेषणात्मक उद्देश्यों को दर्शाता है।
3. हाल के उदाहरण और संदर्भ:
- चंद्रयान-3 मिशन के उद्देश्य: चंद्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना है। यह मिशन चंद्रयान-2 से प्राप्त अनुभवों पर आधारित है, जिसमें लैंडिंग के दौरान चुनौतियाँ आई थीं।
- उपलब्धियाँ और प्रभाव: विक्रम और प्रज्ञान की सफल लैंडिंग और संचालन से चंद्रमा की सतह, उसके संघटन और जल बर्फ की उपस्थिति के बारे में महत्वपूर्ण डेटा प्राप्त होने की उम्मीद है। यह डेटा भविष्य के चंद्रमा मिशनों और संभावित चंद्रमा अन्वेषण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- वैश्विक संदर्भ: चंद्रयान-3 का मिशन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष अन्वेषण के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, NASA के आर्टेमिस प्रोग्राम और अन्य चंद्रमा अन्वेषण प्रयास चंद्रमा को आगे की अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक कदम के रूप में देख रहे हैं, जिसमें मंगल पर संभावित मानव मिशन शामिल हैं।
4. निष्कर्ष:
- परिणाम: चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर के नाम “विक्रम” और “प्रज्ञान” हैं। यह मिशन भारत की चंद्रमा अन्वेषण की कोशिशों में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग करना और वैज्ञानिक डेटा एकत्र करना है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का विस्तृत विवरण परिचय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भारत की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी है, जिसे 15 अगस्त 1969 को स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को राष्ट्रीय विकास के लिए उपयोग करना और अंतरिक्ष विज्ञान में अग्रणी भूमिका निभाना है। ISRO नेRead more
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का विस्तृत विवरण
परिचय
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भारत की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी है, जिसे 15 अगस्त 1969 को स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को राष्ट्रीय विकास के लिए उपयोग करना और अंतरिक्ष विज्ञान में अग्रणी भूमिका निभाना है। ISRO ने अपनी स्थापना के बाद से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं।
1. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और स्थापना
2. प्रमुख उपलब्धियाँ और मिशन
3. प्रमुख कार्यक्रम और परियोजनाएँ
4. तकनीकी नवाचार
5. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और प्रभाव
6. चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा
निष्कर्ष
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपनी स्थापना के बाद से कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके निरंतर नवाचार और विकास की दिशा में उठाए गए कदम अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की भूमिका को मजबूत करते हैं और भविष्य में वैश्विक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण योगदान के संकेत प्रदान करते हैं।
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