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जलवाही स्तर को परिभाषित कीजिए।
जलवाही स्तर: एक अवलोकन परिभाषा जलवाही स्तर (Water Table) वह ऊँचाई होती है जहां भूजल (groundwater) और मिट्टी के बीच की सीमा होती है, जिस पर सतह के नीचे स्थित भूजल पूरी तरह से संतृप्त होता है। यह वह स्तर है जहाँ पर पानी की उपस्थिति के कारण मिट्टी या चट्टान की पूर्णता होती है। जलवाही स्तर को भूजल स्तरRead more
जलवाही स्तर: एक अवलोकन
परिभाषा जलवाही स्तर (Water Table) वह ऊँचाई होती है जहां भूजल (groundwater) और मिट्टी के बीच की सीमा होती है, जिस पर सतह के नीचे स्थित भूजल पूरी तरह से संतृप्त होता है। यह वह स्तर है जहाँ पर पानी की उपस्थिति के कारण मिट्टी या चट्टान की पूर्णता होती है। जलवाही स्तर को भूजल स्तर के रूप में भी जाना जाता है।
जलवाही स्तर के प्रकार
हाल के उदाहरण और प्रभाव
चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा
निष्कर्ष जलवाही स्तर भूजल प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और यह पर्यावरणीय और मानव गतिविधियों से प्रभावित होता है। इसके स्तर का निगरानी और प्रभावी प्रबंधन आवश्यक है ताकि जल आपूर्ति की स्थिरता और गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। जलवाही स्तर की गिरावट, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियाँ इसे प्रभावित करती हैं, जिनसे निपटने के लिए उपयुक्त नीतियाँ और उपाय अपनाना आवश्यक है।
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विश्व ताजे जल के संसाधनों की उपलब्धता और पहुँच के संकट आज विश्व ताजे जल के संसाधनों की उपलब्धता और पहुँच के संकट से जूझ रहा है, इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं: 1. जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण जनसंख्या वृद्धि और तीव्र शहरीकरण के कारण जल की मांग बढ़ रही है। उदाहरण के लिए, भारत के बड़े शहरों जैसे दिल्लीRead more
विश्व ताजे जल के संसाधनों की उपलब्धता और पहुँच के संकट
आज विश्व ताजे जल के संसाधनों की उपलब्धता और पहुँच के संकट से जूझ रहा है, इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
1. जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण
जनसंख्या वृद्धि और तीव्र शहरीकरण के कारण जल की मांग बढ़ रही है। उदाहरण के लिए, भारत के बड़े शहरों जैसे दिल्ली और मुंबई में जल संकट गहरा हो गया है क्योंकि इनका पानी की आवश्यकता और उपयोग अत्यधिक बढ़ गया है।
2. जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा की धाराओं में अस्थिरता आ गई है। हाल ही में, दक्षिण पश्चिम अमेरिका और पूर्वी अफ्रीका में सूखा और पानी की कमी के संकट ने गंभीर प्रभाव डाले हैं।
3. जल प्रदूषण
जल प्रदूषण भी एक बड़ी चुनौती है। नदी प्रदूषण के उदाहरण में गंगा और यमुना नदियों का प्रदूषण शामिल है, जो न केवल पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है बल्कि ताजे जल की उपलब्धता को भी संकुचित करता है।
4. असमान वितरण
जल संसाधनों का असमान वितरण भी समस्या का एक बड़ा हिस्सा है। उदाहरण के लिए, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में पानी की अत्यधिक कमी है, जबकि अन्य हिस्सों में पानी की अधिकता है।
इन समस्याओं का समाधान जल प्रबंधन, नीति सुधार और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से किया जा सकता है।
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main-surface-primary text-token-text-primary h-8 w-8"> जल संकट का तात्पर्य जल संसाधनों की कमी से है, जो अत्यधिक उपयोग, प्रदूषण, और जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न होती है। इसका प्रभाव पीने के पानी की कमी, कृषि में समस्याएँ, और औद्योगिक उत्पादन पर पड़ता है। जल संसाधन प्रबंधन के लिए उपयुक्त उपाय निRead more
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जल संकट का तात्पर्य जल संसाधनों की कमी से है, जो अत्यधिक उपयोग, प्रदूषण, और जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न होती है। इसका प्रभाव पीने के पानी की कमी, कृषि में समस्याएँ, और औद्योगिक उत्पादन पर पड़ता है।
जल संसाधन प्रबंधन के लिए उपयुक्त उपाय निम्नलिखित हैं:
ये उपाय जल संकट को कम करने और दीर्घकालिक जल सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक हैं।
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