आज विश्व ताजे जल के संसाधनों की उपलब्धता और पहुँच के संकट से क्यों जूझ रहा है? ( 150 Words) [UPSC 2023]
हिमालय में भूस्खलनों की प्रवृत्ति: कारण और अल्पीकरण के उपाय भूस्खलनों के कारण भौगोलिक कारक हिमालय एक युवा और भूगर्भिक दृष्टि से अस्थिर क्षेत्र है। यहाँ की तीव्र ढलानें और ढीले अवसादी चट्टानें भूस्खलनों के लिए अत्यधिक प्रवण बनाती हैं। भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के टकराव के कारण लगातार टेक्टोनिक गतिविRead more
हिमालय में भूस्खलनों की प्रवृत्ति: कारण और अल्पीकरण के उपाय
भूस्खलनों के कारण
- भौगोलिक कारक
हिमालय एक युवा और भूगर्भिक दृष्टि से अस्थिर क्षेत्र है। यहाँ की तीव्र ढलानें और ढीले अवसादी चट्टानें भूस्खलनों के लिए अत्यधिक प्रवण बनाती हैं। भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के टकराव के कारण लगातार टेक्टोनिक गतिविधि भी इस क्षेत्र को अस्थिर बनाती है। - भारी वर्षा
मौसम की अत्यधिक वर्षा मिट्टी को संतृप्त कर देती है, जिससे उसकी स्थिरता कम हो जाती है। उदाहरण के लिए, 2013 की उत्तराखंड बाढ़ ने दर्शाया कि अत्यधिक वर्षा किस प्रकार विशाल भूस्खलनों को उत्पन्न कर सकती है। - मानव गतिविधियाँ
निर्माण गतिविधियाँ जैसे सड़क निर्माण और वनरोपण, प्राकृतिक ढलानों को बाधित करती हैं और भूस्खलन के जोखिम को बढ़ाती हैं। उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में अव्यवस्थित ढंग से निर्माण इस समस्या को और बढ़ाता है।
अल्पीकरण के उपाय
- भूमि उपयोग योजना में सुधार
बेहतर भूमि उपयोग प्रथाएँ लागू करना और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में निर्माण को सीमित करना भूस्खलन के जोखिम को कम कर सकता है। उदाहरण के लिए, भारत की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने पहाड़ी क्षेत्रों में सुरक्षित निर्माण प्रथाओं के लिए दिशानिर्देश विकसित किए हैं। - वनरोपण और ढलान स्थिरीकरण
वनरोपण और ढलान स्थिरीकरण तकनीकें जैसे पौधे लगाना और दीवारें बनाना मिट्टी को मजबूती प्रदान करती हैं और कटाव को रोकती हैं। हिमालयन फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट हाल ही में पुनर्वनीकरण परियोजनाओं में सक्रिय रहा है। - प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली
प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और रियल-टाइम निगरानी विकसित करना संभावित भूस्खलनों के लिए पूर्व सूचना प्रदान कर सकता है, जिससे समय पर निकासी और आपदा तैयारियों में मदद मिलती है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा उपग्रह आधारित निगरानी प्रणाली हाल ही में लागू की गई है। - सामुदायिक जागरूकता और तैयारियाँ
स्थानीय समुदायों को भूस्खलन के जोखिम और आपातकालीन तैयारियों के बारे में शिक्षित करना प्रभावी ढंग से भूस्खलनों के प्रभाव को कम कर सकता है। समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन कार्यक्रम स्थानीय संजीवनी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इन कारणों की विवेचना और उपायों को लागू करके हिमालय क्षेत्र में भूस्खलनों की प्रवृत्ति को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
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विश्व ताजे जल के संसाधनों की उपलब्धता और पहुँच के संकट आज विश्व ताजे जल के संसाधनों की उपलब्धता और पहुँच के संकट से जूझ रहा है, इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं: 1. जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण जनसंख्या वृद्धि और तीव्र शहरीकरण के कारण जल की मांग बढ़ रही है। उदाहरण के लिए, भारत के बड़े शहरों जैसे दिल्लीRead more
विश्व ताजे जल के संसाधनों की उपलब्धता और पहुँच के संकट
आज विश्व ताजे जल के संसाधनों की उपलब्धता और पहुँच के संकट से जूझ रहा है, इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
1. जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण
जनसंख्या वृद्धि और तीव्र शहरीकरण के कारण जल की मांग बढ़ रही है। उदाहरण के लिए, भारत के बड़े शहरों जैसे दिल्ली और मुंबई में जल संकट गहरा हो गया है क्योंकि इनका पानी की आवश्यकता और उपयोग अत्यधिक बढ़ गया है।
2. जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा की धाराओं में अस्थिरता आ गई है। हाल ही में, दक्षिण पश्चिम अमेरिका और पूर्वी अफ्रीका में सूखा और पानी की कमी के संकट ने गंभीर प्रभाव डाले हैं।
3. जल प्रदूषण
जल प्रदूषण भी एक बड़ी चुनौती है। नदी प्रदूषण के उदाहरण में गंगा और यमुना नदियों का प्रदूषण शामिल है, जो न केवल पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है बल्कि ताजे जल की उपलब्धता को भी संकुचित करता है।
4. असमान वितरण
जल संसाधनों का असमान वितरण भी समस्या का एक बड़ा हिस्सा है। उदाहरण के लिए, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में पानी की अत्यधिक कमी है, जबकि अन्य हिस्सों में पानी की अधिकता है।
इन समस्याओं का समाधान जल प्रबंधन, नीति सुधार और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से किया जा सकता है।
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