महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति के लिये उत्तरदायी कारकों का उल्लेख कीजिये और अंध महासागर की जल धाराओं का नाम बताइये। (200 Words) [UPPSC 2018]
दीर्घ ज्वार (Spring Tides) वे ज्वार होते हैं जिनमें समुद्र की लहरें अत्यधिक ऊँचाई तक पहुँचती हैं और लुढ़कने की ऊँचाई भी अत्यधिक कम हो जाती है। ये ज्वार तब उत्पन्न होते हैं जब चंद्रमा और सूर्य की गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी पर एकसाथ कार्य करती है। इसका परिणाम होता है अधिकतम ज्वारीय अंतर (Tidal Range), जिसRead more
दीर्घ ज्वार (Spring Tides) वे ज्वार होते हैं जिनमें समुद्र की लहरें अत्यधिक ऊँचाई तक पहुँचती हैं और लुढ़कने की ऊँचाई भी अत्यधिक कम हो जाती है। ये ज्वार तब उत्पन्न होते हैं जब चंद्रमा और सूर्य की गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी पर एकसाथ कार्य करती है। इसका परिणाम होता है अधिकतम ज्वारीय अंतर (Tidal Range), जिससे समुद्र की लहरें बहुत ऊँचाई पर जाती हैं और निम्न ज्वार बहुत नीचे चले जाते हैं।
दीर्घ ज्वार के उत्पन्न होने के प्रमुख समय:
- चंद्रमा और सूर्य की संरेखण (Alignment)
दीर्घ ज्वार तब उत्पन्न होते हैं जब चंद्रमा और सूर्य पृथ्वी के एक ही सीध में होते हैं। यह संरेखण दो स्थितियों में होता है:- नया चाँद (New Moon): जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच होता है, तब चंद्रमा और सूर्य की गुरुत्वाकर्षण बलों का संयोग होता है।
- पूर्ण चाँद (Full Moon): जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच होती है, तब भी गुरुत्वाकर्षण बलों का संयोजन होता है।
- ज्वारीय अंतर (Tidal Range)
दीर्घ ज्वार के दौरान ज्वारीय अंतर अधिकतम होता है। इसका मतलब है कि उच्च ज्वार बहुत ऊँचा होता है और निम्न ज्वार बहुत नीचे चला जाता है। यह अत्यधिक ज्वारीय अंतर तटीय क्षेत्रों में प्रमुख प्रभाव डाल सकता है, जैसे तटीय कटाव और बाढ़। - हाल के उदाहरण:
- अम्फान चक्रवात (2020): यह चक्रवात दीर्घ ज्वार के साथ मेल खाता था, जिससे पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के तटीय क्षेत्रों में भारी बाढ़ आई। दीर्घ ज्वार और चक्रवात की संयुक्त प्रभाव ने प्रभावित क्षेत्रों पर गंभीर प्रभाव डाला।
- 2011 जापान सुनामी: दीर्घ ज्वार की स्थिति ने सुनामी के दौरान तटीय क्षेत्रों में बाढ़ के पैमाने को प्रभावित किया। जापान के तटीय क्षेत्रों में दीर्घ ज्वार ने बाढ़ की स्थिति को और बढ़ा दिया।
- आवृत्ति और पूर्वानुमान
दीर्घ ज्वार लगभग हर दो हफ्ते में होते हैं, जब नया चाँद और पूर्ण चाँद आते हैं। इन्हें ज्वारीय चार्ट और खगोलशास्त्रीय डेटा के माध्यम से पूर्वानुमानित किया जा सकता है। तटीय समुदाय अक्सर इन ज्वारों के लिए तैयार रहते हैं ताकि मछली पकड़ने, शिपिंग, और तटीय संरचनाओं पर संभावित प्रभाव को नियंत्रित किया जा सके। - वैश्विक प्रभाव
- संयुक्त किंगडम: यहाँ दीर्घ ज्वारों की निगरानी की जाती है क्योंकि ये समुद्री गतिविधियों और तटीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, पूर्वी इंग्लैंड में सर्दियों के दौरान दीर्घ ज्वारों के समय तटीय बाढ़ का जोखिम बढ़ जाता है।
- भारत: भारत में, दीर्घ ज्वार विशेष रूप से सुंदरबन क्षेत्र में प्रभाव डालते हैं, जहाँ ज्वार की वृद्धि स्थानीय वनस्पति और समुद्री जीवन को प्रभावित कर सकती है। 2023 में, सुंदरबन में दीर्घ ज्वारों के कारण जल की लवणता में वृद्धि हुई, जिससे कृषि और मछली पालन पर असर पड़ा।
निष्कर्ष
दीर्घ ज्वार तब उत्पन्न होते हैं जब चंद्रमा और सूर्य पृथ्वी के साथ एक संरेखण में होते हैं, विशेषकर नए चाँद और पूर्ण चाँद के दौरान। इन ज्वारों का ज्वारीय अंतर अधिकतम होता है, जिससे समुद्र की लहरें उच्च और निम्न सीमा तक जाती हैं। हाल के उदाहरण जैसे चक्रवात अम्फान और जापान की सुनामी ने यह प्रदर्शित किया है कि दीर्घ ज्वारों की समझ और पूर्वानुमान तटीय प्रबंधन और आपदा तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
See less
महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति के लिये उत्तरदायी कारक और अंध महासागर की जल धाराएँ महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति के लिये उत्तरदायी कारक: 1. वायु प्रवाह (Wind Patterns): महासागरीय धाराएँ मुख्यतः वायु प्रवाह द्वारा संचालित होती हैं। वह हवा जो त्रैतीयक क्षेत्रों में बहती है, जैसे ट्रेड विंड्स और वेस्टर्स,Read more
महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति के लिये उत्तरदायी कारक और अंध महासागर की जल धाराएँ
महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति के लिये उत्तरदायी कारक:
1. वायु प्रवाह (Wind Patterns): महासागरीय धाराएँ मुख्यतः वायु प्रवाह द्वारा संचालित होती हैं। वह हवा जो त्रैतीयक क्षेत्रों में बहती है, जैसे ट्रेड विंड्स और वेस्टर्स, सतह के जल को धक्का देती हैं, जिससे महासागरीय धाराएँ उत्पन्न होती हैं। उदाहरण के लिए, गाल्फ स्ट्रीम वेस्टर्स द्वारा प्रभावित होती है।
2. पृथ्वी की घूर्णन गति (Coriolis Effect): कोरियोलिस प्रभाव, जो पृथ्वी के घूर्णन के कारण होता है, जल के प्रवाह को मोड़ता है। यह उत्तरी गोलार्ध में दायें और दक्षिणी गोलार्ध में बायें मोड़ता है, जिससे समुद्री धाराओं में घुमाव आता है।
3. तापमान और लवणता के अंतर (Temperature and Salinity Differences): जल के तापमान और लवणता में भिन्नता महासागरीय धाराओं को संचालित करती है। ठंडे और घने पानी के ध्वस्त होने से थर्मोहालाइन परिपथ उत्पन्न होता है। जैसे, उत्तर अटलांटिक डीप वाटर (NADW) वैश्विक थर्मोहालाइन परिपथ का एक प्रमुख हिस्सा है।
4. तटीय और भूगर्भीय विशेषताएँ (Coastal and Topographical Features): तटीय आकृतियाँ और समुद्री भूगर्भीय विशेषताएँ (जैसे रिड्ज़, वैलीज़, और महाद्वीपीय शेल्फ) धाराओं की दिशा और प्रवाह को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए, बेयरिंग स्ट्रेट अलास्का धाराओं को प्रभावित करता है।
अंध महासागर की जल धाराएँ:
**1. अधवा की धारा (Antarctic Circumpolar Current): यह सबसे महत्वपूर्ण धारा है जो अंध महासागर के चारों ओर बहती है और साउथ पॉल की ठंडी धाराओं को वितरित करती है।
2. पश्चिमी अंध महासागर धारा (West Wind Drift): यह धारा पश्चिमी अंध महासागर में दक्षिण की ओर बहती है और दक्षिणी ध्रुव के चारों ओर घूमती है।
3. दक्षिणी समुद्री धारा (South Indian Ocean Current): यह धारा दक्षिणी अंध महासागर में बहती है और भारतीय महासागर के दक्षिणी हिस्से को प्रभावित करती है।
4. अंध महासागर की पूर्वी धारा (East Australian Current): यह धारा पूर्वी अंध महासागर में बहती है और ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर प्रभाव डालती है।
निष्कर्ष: महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति वायु प्रवाह, पृथ्वी की घूर्णन गति, तापमान और लवणता के अंतर, और तटीय विशेषताओं पर निर्भर करती है। अंध महासागर में महत्वपूर्ण जल धाराएँ जैसे अधवा की धारा, पश्चिमी अंध महासागर धारा, दक्षिणी समुद्री धारा, और पूर्वी ऑस्ट्रेलियाई धारा हैं, जो वैश्विक जलवायु और समुद्री पारिस्थितिकी पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं।
See less