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पर्वत पारिस्थितिकी तंत्र को विकास पहलों और पर्यटन के ऋणात्मक प्रभाव से किस प्रकार पुनःस्थापित किया जा सकता है ? (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
विकास पहलों और पर्यटन से पर्वत पारिस्थितिकी तंत्र की पुनःस्थापना परिचय पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र नाजुक होते हैं और विकास पहलों व अनियंत्रित पर्यटन के कारण इनमें तेजी से क्षरण हो रहा है। इन क्षेत्रों की दीर्घकालिक स्थिरता, जैव विविधता संरक्षण और स्थानीय लोगों की आजीविका की सुरक्षा के लिए पुनःस्थापनाRead more
विकास पहलों और पर्यटन से पर्वत पारिस्थितिकी तंत्र की पुनःस्थापना
परिचय
पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र नाजुक होते हैं और विकास पहलों व अनियंत्रित पर्यटन के कारण इनमें तेजी से क्षरण हो रहा है। इन क्षेत्रों की दीर्घकालिक स्थिरता, जैव विविधता संरक्षण और स्थानीय लोगों की आजीविका की सुरक्षा के लिए पुनःस्थापना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पुनःस्थापना के प्रमुख उपाय
निष्कर्ष
See lessपर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र की पुनःस्थापना के लिए विकास और पर्यटन को संतुलित करते हुए समग्र दृष्टिकोण आवश्यक है। सतत पर्यटन, वनीकरण, सख्त विनियमों, और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से पर्वतीय क्षेत्रों को भविष्य के लिए संरक्षित किया जा सकता है।
उष्णकटिबंधीय देशों में खाद्य सुरक्षा पर जलवायु परिवर्तन के परिणामों की विवेचना कीजिए। ( 150 Words) [UPSC 2023]
उष्णकटिबंधीय देशों में खाद्य सुरक्षा पर जलवायु परिवर्तन के परिणाम कृषि उत्पादन पर प्रभाव: उष्णकटिबंधीय देशों में जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि और वर्षा के पैटर्न में असंतुलन हो रहा है, जिससे फसल उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। उदाहरणस्वरूप, भारत और बांग्लादेश में बाढ़ और सूखे कीRead more
उष्णकटिबंधीय देशों में खाद्य सुरक्षा पर जलवायु परिवर्तन के परिणाम
कृषि उत्पादन पर प्रभाव: उष्णकटिबंधीय देशों में जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि और वर्षा के पैटर्न में असंतुलन हो रहा है, जिससे फसल उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। उदाहरणस्वरूप, भारत और बांग्लादेश में बाढ़ और सूखे की बढ़ती आवृत्ति ने धान और गेहूं जैसी मुख्य फसलों की पैदावार को प्रभावित किया है। वर्ष 2023 में अल-नीनो प्रभाव के कारण भारत के कई हिस्सों में सूखा पड़ा, जिससे खाद्य उत्पादन में कमी आई।
खाद्य कीमतों में अस्थिरता: जलवायु परिवर्तन के कारण फसल विफलताओं से खाद्य कीमतों में अस्थिरता आई है, जिससे गरीब और विकासशील देशों में खाद्य असुरक्षा बढ़ी है। अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में, जहां कृषि पहले से ही जलवायु के प्रति संवेदनशील है, फसल उत्पादन में गिरावट और मवेशी हानि से खाद्य संकट बढ़ रहा है।
पोषण सुरक्षा पर प्रभाव: जलवायु परिवर्तन से कृषि उत्पादन में गिरावट का सीधा असर पोषण सुरक्षा पर पड़ता है। उष्णकटिबंधीय देशों में, विशेष रूप से अफ्रीका और दक्षिण एशिया में, जलवायु परिवर्तन के कारण कुपोषण और भुखमरी के मामले बढ़ रहे हैं।
इस प्रकार, जलवायु परिवर्तन उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा को गहराई से प्रभावित कर रहा है, जिसके लिए अनुकूलन और शमन रणनीतियों की आवश्यकता है।
See lessसमुद्री पारिस्थितिकी पर 'मृतक्षेत्रों' (डैड ज़ोन्स) के विस्तार के क्या-क्या परिणाम होते हैं ? (150 words) [UPSC 2018]
समुद्री पारिस्थितिकी में 'मृतक्षेत्रों' के विस्तार के परिणाम निम्नलिखित हैं: जीवविविधता का नाश: मृतक्षेत्रों में जीवों की संख्या में कमी होती है, जिससे कई प्रजातियों के नाश की संभावना रहती है। मछली पालन का침: मृतक्षेत्रों से मछली की संख्या में कमी आती है, जिससे व्यापारिक और遊ग्रामिक मछली पालन के लिए आRead more
समुद्री पारिस्थितिकी में ‘मृतक्षेत्रों’ के विस्तार के परिणाम निम्नलिखित हैं:
इन परिणामों से पता चलता है कि मृतक्षेत्रों के लिए Pollution और जलवायु परिवर्तन जैसे根本 कारणों को हल करना महत्वपूर्ण है, ताकि समुद्र तटीय पारिस्थितिकी और इन पर निर्भर समुदायों की रक्षा की जा सके।
See lessअपक्षय को परिभाषित करें तथा भौतिक अपक्षय के कारणों पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखें।
अपक्षय की परिभाषा अपक्षय एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके तहत चट्टानों और खनिजों का टूटना और विघटन होता है। यह प्रक्रिया सतह पर या उसके करीब होती है और इसमें चट्टानों के भौतिक या रासायनिक परिवर्तन शामिल हो सकते हैं। अपक्षय का उद्देश्य चट्टानों को छोटे टुकड़ों में तोड़ना और मिट्टी की formation में योगRead more
अपक्षय की परिभाषा
अपक्षय एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके तहत चट्टानों और खनिजों का टूटना और विघटन होता है। यह प्रक्रिया सतह पर या उसके करीब होती है और इसमें चट्टानों के भौतिक या रासायनिक परिवर्तन शामिल हो सकते हैं। अपक्षय का उद्देश्य चट्टानों को छोटे टुकड़ों में तोड़ना और मिट्टी की formation में योगदान देना है। अपक्षय की प्रक्रिया के दो मुख्य प्रकार होते हैं: भौतिक अपक्षय और रासायनिक अपक्षय।
भौतिक अपक्षय के कारण
भौतिक अपक्षय (या यांत्रिक अपक्षय) में चट्टानों के टूटने और विघटन के दौरान उनकी रासायनिक संरचना में कोई बदलाव नहीं होता। इसमें निम्नलिखित प्रमुख कारण शामिल हैं:
हाल के उदाहरण और केस स्टडीज
निष्कर्ष
भौतिक अपक्षय चट्टानों के टूटने और विघटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे मिट्टी की formation होती है और परिदृश्य में परिवर्तन आता है। तापमान में उतार-चढ़ाव, फ्रीज-थॉ साइकिल, जैविक गतिविधियाँ, एक्सफोलिएशन, नमक अपक्षय और खरादन जैसे कारण भौतिक अपक्षय को उत्पन्न करते हैं। हाल के उदाहरण और केस स्टडीज इन प्रक्रियाओं के वास्तविक प्रभावों को समझने में सहायक होते हैं और पर्यावरणीय परिवर्तन को बेहतर ढंग से समझने में मदद करते हैं।
See lessग्रेनाइट पर एक टिप्पणी लिखें।
ग्रेनाइट पर एक टिप्पणी परिचय ग्रेनाइट एक महत्वपूर्ण और अत्यधिक मूल्यवान आग्नेय चट्टान है, जो पृथ्वी की पपड़ी के भीतर मैग्मा के धीरे-धीरे ठोस होने से बनती है। यह अपनी कठोरता, स्थिरता, और सौंदर्यात्मक गुणों के कारण निर्माण और सजावटी उद्देश्यों के लिए लोकप्रिय है। ग्रेनाइट में मुख्य रूप से क्वार्ट्ज, फRead more
ग्रेनाइट पर एक टिप्पणी
परिचय
ग्रेनाइट एक महत्वपूर्ण और अत्यधिक मूल्यवान आग्नेय चट्टान है, जो पृथ्वी की पपड़ी के भीतर मैग्मा के धीरे-धीरे ठोस होने से बनती है। यह अपनी कठोरता, स्थिरता, और सौंदर्यात्मक गुणों के कारण निर्माण और सजावटी उद्देश्यों के लिए लोकप्रिय है। ग्रेनाइट में मुख्य रूप से क्वार्ट्ज, फेल्डस्पार, और मिका होते हैं।
संरचना और विशेषताएँ
हाल के उदाहरण और अनुप्रयोग
निष्कर्ष
ग्रेनाइट एक बहुपरकारी और मजबूत आग्नेय चट्टान है जिसका उपयोग निर्माण, वास्तुकला, और ऐतिहासिक संरक्षण में व्यापक रूप से किया जाता है। इसकी क्वार्ट्ज, फेल्डस्पार, और मिका की संरचना इसे शक्ति, स्थायित्व, और सौंदर्य प्रदान करती है। हाल के उदाहरण बताते हैं कि ग्रेनाइट आधुनिक वास्तुकला और सतत प्रथाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, खनन से जुड़ी चुनौतियाँ और पर्यावरणीय प्रभाव इसके प्रबंधन में जिम्मेदारी और नवाचार की आवश्यकता को उजागर करते हैं।
See lessपृथ्वी की तीन अलग-अलग परतों पर टिप्पणी लिखें।
परिचय पृथ्वी की संरचना तीन प्रमुख परतों में विभाजित है, जो विभिन्न भौगोलिक और भूगर्भीय प्रक्रियाओं को प्रभावित करती हैं। ये परतें हैं: पपड़ी (Crust), मैंटल (Mantle), और कोर (Core)। इन परतों की विशेषताएँ और उनकी भूमिका पृथ्वी की भौगोलिक गतिविधियों को समझने में महत्वपूर्ण हैं। 1. पपड़ी (Crust) विवरण:Read more
परिचय
पृथ्वी की संरचना तीन प्रमुख परतों में विभाजित है, जो विभिन्न भौगोलिक और भूगर्भीय प्रक्रियाओं को प्रभावित करती हैं। ये परतें हैं: पपड़ी (Crust), मैंटल (Mantle), और कोर (Core)। इन परतों की विशेषताएँ और उनकी भूमिका पृथ्वी की भौगोलिक गतिविधियों को समझने में महत्वपूर्ण हैं।
1. पपड़ी (Crust)
2. मैंटल (Mantle)
3. कोर (Core)
निष्कर्ष
पृथ्वी की तीन प्रमुख परतें—पपड़ी, मैंटल, और कोर—प्रत्येक की अपनी विशेषताएँ और भूमिकाएँ हैं। पपड़ी बाहरी परत है जो सतह की गतिविधियों और प्लेट टेक्टोनिक्स से संबंधित है; मैंटल भूगर्भीय प्रक्रियाओं और ज्वालामुखीय गतिविधियों को संचालित करता है; और कोर, जो मैग्नेटिक क्षेत्र उत्पन्न करता है और आंतरिक तापमान को नियंत्रित करता है। हाल के अध्ययन और उदाहरण इन परतों की विशेषताओं और उनके प्रभावों को बेहतर ढंग से समझने में सहायक हैं, जो पृथ्वी की आंतरिक प्रक्रियाओं को उजागर करते हैं।
See lessदीर्घ ज्वार कब उत्पन्न होते हैं?
दीर्घ ज्वार (Spring Tides) वे ज्वार होते हैं जिनमें समुद्र की लहरें अत्यधिक ऊँचाई तक पहुँचती हैं और लुढ़कने की ऊँचाई भी अत्यधिक कम हो जाती है। ये ज्वार तब उत्पन्न होते हैं जब चंद्रमा और सूर्य की गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी पर एकसाथ कार्य करती है। इसका परिणाम होता है अधिकतम ज्वारीय अंतर (Tidal Range), जिसRead more
दीर्घ ज्वार (Spring Tides) वे ज्वार होते हैं जिनमें समुद्र की लहरें अत्यधिक ऊँचाई तक पहुँचती हैं और लुढ़कने की ऊँचाई भी अत्यधिक कम हो जाती है। ये ज्वार तब उत्पन्न होते हैं जब चंद्रमा और सूर्य की गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी पर एकसाथ कार्य करती है। इसका परिणाम होता है अधिकतम ज्वारीय अंतर (Tidal Range), जिससे समुद्र की लहरें बहुत ऊँचाई पर जाती हैं और निम्न ज्वार बहुत नीचे चले जाते हैं।
दीर्घ ज्वार के उत्पन्न होने के प्रमुख समय:
दीर्घ ज्वार तब उत्पन्न होते हैं जब चंद्रमा और सूर्य पृथ्वी के एक ही सीध में होते हैं। यह संरेखण दो स्थितियों में होता है:
दीर्घ ज्वार के दौरान ज्वारीय अंतर अधिकतम होता है। इसका मतलब है कि उच्च ज्वार बहुत ऊँचा होता है और निम्न ज्वार बहुत नीचे चला जाता है। यह अत्यधिक ज्वारीय अंतर तटीय क्षेत्रों में प्रमुख प्रभाव डाल सकता है, जैसे तटीय कटाव और बाढ़।
दीर्घ ज्वार लगभग हर दो हफ्ते में होते हैं, जब नया चाँद और पूर्ण चाँद आते हैं। इन्हें ज्वारीय चार्ट और खगोलशास्त्रीय डेटा के माध्यम से पूर्वानुमानित किया जा सकता है। तटीय समुदाय अक्सर इन ज्वारों के लिए तैयार रहते हैं ताकि मछली पकड़ने, शिपिंग, और तटीय संरचनाओं पर संभावित प्रभाव को नियंत्रित किया जा सके।
निष्कर्ष
दीर्घ ज्वार तब उत्पन्न होते हैं जब चंद्रमा और सूर्य पृथ्वी के साथ एक संरेखण में होते हैं, विशेषकर नए चाँद और पूर्ण चाँद के दौरान। इन ज्वारों का ज्वारीय अंतर अधिकतम होता है, जिससे समुद्र की लहरें उच्च और निम्न सीमा तक जाती हैं। हाल के उदाहरण जैसे चक्रवात अम्फान और जापान की सुनामी ने यह प्रदर्शित किया है कि दीर्घ ज्वारों की समझ और पूर्वानुमान तटीय प्रबंधन और आपदा तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
See lessमहासागरीय धाराओं की उत्पत्ति के लिये उत्तरदायी कारकों का उल्लेख कीजिये और अंध महासागर की जल धाराओं का नाम बताइये। (200 Words) [UPPSC 2018]
महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति के लिये उत्तरदायी कारक और अंध महासागर की जल धाराएँ महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति के लिये उत्तरदायी कारक: 1. वायु प्रवाह (Wind Patterns): महासागरीय धाराएँ मुख्यतः वायु प्रवाह द्वारा संचालित होती हैं। वह हवा जो त्रैतीयक क्षेत्रों में बहती है, जैसे ट्रेड विंड्स और वेस्टर्स,Read more
महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति के लिये उत्तरदायी कारक और अंध महासागर की जल धाराएँ
महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति के लिये उत्तरदायी कारक:
1. वायु प्रवाह (Wind Patterns): महासागरीय धाराएँ मुख्यतः वायु प्रवाह द्वारा संचालित होती हैं। वह हवा जो त्रैतीयक क्षेत्रों में बहती है, जैसे ट्रेड विंड्स और वेस्टर्स, सतह के जल को धक्का देती हैं, जिससे महासागरीय धाराएँ उत्पन्न होती हैं। उदाहरण के लिए, गाल्फ स्ट्रीम वेस्टर्स द्वारा प्रभावित होती है।
2. पृथ्वी की घूर्णन गति (Coriolis Effect): कोरियोलिस प्रभाव, जो पृथ्वी के घूर्णन के कारण होता है, जल के प्रवाह को मोड़ता है। यह उत्तरी गोलार्ध में दायें और दक्षिणी गोलार्ध में बायें मोड़ता है, जिससे समुद्री धाराओं में घुमाव आता है।
3. तापमान और लवणता के अंतर (Temperature and Salinity Differences): जल के तापमान और लवणता में भिन्नता महासागरीय धाराओं को संचालित करती है। ठंडे और घने पानी के ध्वस्त होने से थर्मोहालाइन परिपथ उत्पन्न होता है। जैसे, उत्तर अटलांटिक डीप वाटर (NADW) वैश्विक थर्मोहालाइन परिपथ का एक प्रमुख हिस्सा है।
4. तटीय और भूगर्भीय विशेषताएँ (Coastal and Topographical Features): तटीय आकृतियाँ और समुद्री भूगर्भीय विशेषताएँ (जैसे रिड्ज़, वैलीज़, और महाद्वीपीय शेल्फ) धाराओं की दिशा और प्रवाह को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए, बेयरिंग स्ट्रेट अलास्का धाराओं को प्रभावित करता है।
अंध महासागर की जल धाराएँ:
**1. अधवा की धारा (Antarctic Circumpolar Current): यह सबसे महत्वपूर्ण धारा है जो अंध महासागर के चारों ओर बहती है और साउथ पॉल की ठंडी धाराओं को वितरित करती है।
2. पश्चिमी अंध महासागर धारा (West Wind Drift): यह धारा पश्चिमी अंध महासागर में दक्षिण की ओर बहती है और दक्षिणी ध्रुव के चारों ओर घूमती है।
3. दक्षिणी समुद्री धारा (South Indian Ocean Current): यह धारा दक्षिणी अंध महासागर में बहती है और भारतीय महासागर के दक्षिणी हिस्से को प्रभावित करती है।
4. अंध महासागर की पूर्वी धारा (East Australian Current): यह धारा पूर्वी अंध महासागर में बहती है और ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर प्रभाव डालती है।
निष्कर्ष: महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति वायु प्रवाह, पृथ्वी की घूर्णन गति, तापमान और लवणता के अंतर, और तटीय विशेषताओं पर निर्भर करती है। अंध महासागर में महत्वपूर्ण जल धाराएँ जैसे अधवा की धारा, पश्चिमी अंध महासागर धारा, दक्षिणी समुद्री धारा, और पूर्वी ऑस्ट्रेलियाई धारा हैं, जो वैश्विक जलवायु और समुद्री पारिस्थितिकी पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं।
See lessज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी आपस में कैसी संबंधित हैं? ज्वालामुखी उद्गार के संभावित सभी कारणों पर प्रकाश डालिये। (200 Words) [UPPSC 2018]
ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी आपस में कैसी संबंधित हैं? ज्वालामुखी उद्गार के संभावित सभी कारणों पर प्रकाश डालिये ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी का आपसी संबंध: 1. भौगोलिक संबंध: ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी सभी भूगर्भीय गतिविधियों के परिणाम हैं। भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियाँ अक्सर टेकटोनिक प्लेटों की गतिRead more
ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी आपस में कैसी संबंधित हैं? ज्वालामुखी उद्गार के संभावित सभी कारणों पर प्रकाश डालिये
ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी का आपसी संबंध:
1. भौगोलिक संबंध: ज्वालामुखी, भूकंप और सुनामी सभी भूगर्भीय गतिविधियों के परिणाम हैं। भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियाँ अक्सर टेकटोनिक प्लेटों की गतिविधियों से संबंधित होती हैं, जहाँ प्लेटों की टकराहट या घिसाई से तनाव उत्पन्न होता है। जब यह तनाव अत्यधिक हो जाता है, तो यह भूकंप का कारण बनता है और ज्वालामुखी में लावा का उद्गार होता है।
2. ज्वालामुखी और भूकंप: ज्वालामुखी उद्गार और भूकंप एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। ज्वालामुखी के भीतर मग्मा का संचित होना और दबाव में वृद्धि से भूकंप उत्पन्न हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, 2010 में आइसलैंड का एयाफजाल्लाजोकुल ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान कई भूकंपों का कारण बना।
3. ज्वालामुखी और सुनामी: सुनामी ज्वालामुखी के विस्फोट के बाद उत्पन्न हो सकती है, विशेषकर जब ज्वालामुखी समुद्र में होता है और इसके विस्फोट से मासिक तरंगें उत्पन्न होती हैं। उदाहरण के लिए, 1883 का क्राकाटोआ विस्फोट ने एक विशाल सुनामी उत्पन्न की थी, जिससे आसपास के तटों पर भारी तबाही हुई।
ज्वालामुखी उद्गार के संभावित कारण:
1. मग्मा का संचित होना: जब मग्मा (पिघला हुआ चट्टान) पृथ्वी की आंतरिक परतों में संचित होता है, तो इसका दबाव बढ़ता है और ज्वालामुखी उद्गार हो सकता है।
2. टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियाँ: टेक्टोनिक प्लेटों की टकराहट और उनके रिड़ना से मग्मा की रचना और उसकी सतह पर चढ़ाई होती है, जो ज्वालामुखी के उद्गार का कारण बनती है।
3. गैस का संचित होना: ज्वालामुखी के भीतर गैसों का संचित होना (जैसे कि कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड) भी दबाव उत्पन्न करता है, जो अंततः विस्फोट का कारण बनता है।
4. पृथ्वी की आंतरिक संरचना में परिवर्तन: आंतरिक दबाव और संरचनात्मक परिवर्तन भी ज्वालामुखी विस्फोट को प्रेरित कर सकते हैं, जैसे कि सुपरवॉल्कानो विस्फोट जो अत्यधिक प्रभावशाली होते हैं।
निष्कर्ष: ज्वालामुखी, भूकंप, और सुनामी भूगर्भीय प्रक्रियाओं के परिणाम हैं और आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं। ज्वालामुखी उद्गार के लिए मग्मा का संचित होना, टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियाँ, गैस संचित होना, और आंतरिक संरचनात्मक परिवर्तन प्रमुख कारण हैं। इन प्रक्रियाओं की समझ प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी और प्रबंधन में सहायक होती है।
See lessवायु-राशि क्या है? इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2018]
वायु-राशि: परिभाषा और विशेषताएँ वायु-राशि की परिभाषा: वायु-राशि एक बड़े पैमाने पर फैली वायु की मात्रा है, जिसमें तापमान, आर्द्रता और दबाव समान होते हैं। यह क्षैतिज रूप से हजारों किलोमीटर और ऊर्ध्वाधर रूप से ट्रोपोस्फीयर तक फैली होती है। वायु-राशि की विशेषताएँ उसके स्रोत क्षेत्र (source region) द्वारRead more
वायु-राशि: परिभाषा और विशेषताएँ
वायु-राशि की परिभाषा: वायु-राशि एक बड़े पैमाने पर फैली वायु की मात्रा है, जिसमें तापमान, आर्द्रता और दबाव समान होते हैं। यह क्षैतिज रूप से हजारों किलोमीटर और ऊर्ध्वाधर रूप से ट्रोपोस्फीयर तक फैली होती है। वायु-राशि की विशेषताएँ उसके स्रोत क्षेत्र (source region) द्वारा निर्धारित होती हैं, जहां से यह उत्पन्न होती है।
वायु-राशि की प्रमुख विशेषताएँ:
इन विशेषताओं के कारण वायु-राशियाँ वैश्विक मौसम पैटर्न को समझने और पूर्वानुमानित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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