महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत क्या है? इसका समर्थन करने वाले साक्ष्यों की विवेचना कीजिए।(उत्तर 200 शब्दों में दें)
भारत में जूट उद्योग की अवस्थिति के लिए उत्तरदायी कुछ प्रमुख कारक हैं: प्राकृतिक कारक: जूट की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी की उपलब्धता बंगाल और असम जैसे क्षेत्रों में होती है, लेकिन अन्य राज्यों में इसकी उपलब्धता नहीं है। आर्थिक कारक: जूट उत्पादन और प्रसंस्करण में बड़े पैमाने पर पूंजी निवेश कRead more
भारत में जूट उद्योग की अवस्थिति के लिए उत्तरदायी कुछ प्रमुख कारक हैं:
- प्राकृतिक कारक: जूट की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी की उपलब्धता बंगाल और असम जैसे क्षेत्रों में होती है, लेकिन अन्य राज्यों में इसकी उपलब्धता नहीं है।
- आर्थिक कारक: जूट उत्पादन और प्रसंस्करण में बड़े पैमाने पर पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है, जो छोटे और मध्यम उद्यमियों के लिए चुनौतीपूर्ण है।
- राजनीतिक कारक: सरकार द्वारा जूट उद्योग के लिए प्रोत्साहन और नीतियों की कमी भी इस उद्योग को प्रभावित करती है।
- प्रतिस्पर्धा: प्लास्टिक और सिंथेटिक पैकेजिंग सामग्री के उदय ने जूट उत्पादों के लिए बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ा दी है।
जूट उद्योग द्वारा सामना की जाने वाली प्रमुख चुनौतियां हैं:
- प्राकृतिक आपदाओं का खतरा
- उच्च लागत और कम उत्पादकता
- नए प्रतिस्पर्धी उत्पादों का उदय
- कुशल श्रमिकों की कमी
- उचित मार्केटिंग और वितरण संबंधी चुनौतियां
इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सरकार और उद्योग के बीच समन्वय महत्वपूर्ण है।
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महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत (Continental Drift Theory) सिद्धांत का विवरण: महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत, जिसे अल्फ्रेड वेगेनर ने 1912 में प्रस्तुत किया, यह मानता है कि प्राचीन काल में सभी महाद्वीप एक एकल विशाल महाद्वीप, पैंजिया, के रूप में एकत्रित थे। समय के साथ, पैंजिया टूटकर वर्तमान महाद्वीपों का निर्Read more
महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत (Continental Drift Theory)
सिद्धांत का विवरण: महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत, जिसे अल्फ्रेड वेगेनर ने 1912 में प्रस्तुत किया, यह मानता है कि प्राचीन काल में सभी महाद्वीप एक एकल विशाल महाद्वीप, पैंजिया, के रूप में एकत्रित थे। समय के साथ, पैंजिया टूटकर वर्तमान महाद्वीपों का निर्माण हुआ और ये धीरे-धीरे वर्तमान स्थानों पर पहुँचे।
साक्ष्य:
इन साक्ष्यों ने महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत को समर्थन दिया, हालांकि इसे अधिक व्यापक रूप से समझाने के लिए प्लेट टेक्टॉनिक्स के सिद्धांत का विकास हुआ, जिसने महाद्वीपीय प्रवाह और अन्य भू-आकृतिक प्रक्रियाओं को एक एकीकृत ढांचे में समझाया।
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