वर्तमान में लौह एवं इस्पात उद्योगों की कच्चे माल के स्रोत से दूर स्थिति का उदाहरणों सहित कारण बताइए । (150 words)[UPSC 2020]
भारत में जूट उद्योग की अवस्थिति के लिए उत्तरदायी कुछ प्रमुख कारक हैं: प्राकृतिक कारक: जूट की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी की उपलब्धता बंगाल और असम जैसे क्षेत्रों में होती है, लेकिन अन्य राज्यों में इसकी उपलब्धता नहीं है। आर्थिक कारक: जूट उत्पादन और प्रसंस्करण में बड़े पैमाने पर पूंजी निवेश कRead more
भारत में जूट उद्योग की अवस्थिति के लिए उत्तरदायी कुछ प्रमुख कारक हैं:
- प्राकृतिक कारक: जूट की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी की उपलब्धता बंगाल और असम जैसे क्षेत्रों में होती है, लेकिन अन्य राज्यों में इसकी उपलब्धता नहीं है।
- आर्थिक कारक: जूट उत्पादन और प्रसंस्करण में बड़े पैमाने पर पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है, जो छोटे और मध्यम उद्यमियों के लिए चुनौतीपूर्ण है।
- राजनीतिक कारक: सरकार द्वारा जूट उद्योग के लिए प्रोत्साहन और नीतियों की कमी भी इस उद्योग को प्रभावित करती है।
- प्रतिस्पर्धा: प्लास्टिक और सिंथेटिक पैकेजिंग सामग्री के उदय ने जूट उत्पादों के लिए बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ा दी है।
जूट उद्योग द्वारा सामना की जाने वाली प्रमुख चुनौतियां हैं:
- प्राकृतिक आपदाओं का खतरा
- उच्च लागत और कम उत्पादकता
- नए प्रतिस्पर्धी उत्पादों का उदय
- कुशल श्रमिकों की कमी
- उचित मार्केटिंग और वितरण संबंधी चुनौतियां
इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सरकार और उद्योग के बीच समन्वय महत्वपूर्ण है।
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वर्तमान में लौह और इस्पात उद्योगों की कच्चे माल के स्रोत से दूर स्थिति के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं: अधिशेषता और आधुनिकता: उद्योगों की बढ़ती मांग और बढ़ती तकनीकी आवश्यकताओं ने कच्चे माल के स्रोत से दूर स्थानांतरित होने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया है। उदाहरण के लिए, भारत में बड़े इस्पात संयंत्र जैसेRead more
वर्तमान में लौह और इस्पात उद्योगों की कच्चे माल के स्रोत से दूर स्थिति के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
अधिशेषता और आधुनिकता:
उद्योगों की बढ़ती मांग और बढ़ती तकनीकी आवश्यकताओं ने कच्चे माल के स्रोत से दूर स्थानांतरित होने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया है। उदाहरण के लिए, भारत में बड़े इस्पात संयंत्र जैसे टाटा स्टील और सेल, जिनके लिए कच्चा माल के स्रोत दूर स्थित क्षेत्रों से आता है, जैसे झारखंड और ओडिशा।
आर्थिक और भौगोलिक कारण:
कच्चे माल के स्रोत की सीमित उपलब्धता और उच्च लागत के कारण संयंत्रों को उन क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जाता है जहाँ परिवहन और विपणन सुविधाएँ बेहतर होती हैं। उदाहरण के लिए, कई भारतीय इस्पात संयंत्र दक्षिण भारत में स्थित हैं, जबकि कच्चा माल मुख्यतः उत्तर और पूर्वी भारत से आता है।
पर्यावरणीय और सामाजिक कारण:
पर्यावरणीय नियमों और स्थानीय समुदायों के विरोध के कारण उद्योगों को कच्चे माल के स्रोत से दूर स्थानांतरित किया जा रहा है। यह दृष्टिकोण कच्चे माल की आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर और कुशल बनाने के उद्देश्य से अपनाया गया है।
इन कारणों से लौह और इस्पात उद्योगों की कच्चे माल के स्रोत से दूरी बढ़ रही है, जिससे उद्योगों की परिचालन लागत और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में जटिलताएँ बढ़ रही हैं।
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