प्रश्न का उत्तर अधिकतम 200 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 11 अंक का है। [MPPSC 2023] अपक्षय को परिभाषित करें तथा भौतिक अपक्षय के कारणों पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखें।
विकास पहलों और पर्यटन से पर्वत पारिस्थितिकी तंत्र की पुनःस्थापना परिचय पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र नाजुक होते हैं और विकास पहलों व अनियंत्रित पर्यटन के कारण इनमें तेजी से क्षरण हो रहा है। इन क्षेत्रों की दीर्घकालिक स्थिरता, जैव विविधता संरक्षण और स्थानीय लोगों की आजीविका की सुरक्षा के लिए पुनःस्थापनाRead more
विकास पहलों और पर्यटन से पर्वत पारिस्थितिकी तंत्र की पुनःस्थापना
परिचय
पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र नाजुक होते हैं और विकास पहलों व अनियंत्रित पर्यटन के कारण इनमें तेजी से क्षरण हो रहा है। इन क्षेत्रों की दीर्घकालिक स्थिरता, जैव विविधता संरक्षण और स्थानीय लोगों की आजीविका की सुरक्षा के लिए पुनःस्थापना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पुनःस्थापना के प्रमुख उपाय
- सतत पर्यटन के अभ्यास: अनियंत्रित पर्यटन से कचरा, वनों की कटाई और आवासीय क्षरण होता है। इको-टूरिज्म को बढ़ावा देना, जैसा कि सिक्किम और लद्दाख में हो रहा है, पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है। हिमाचल प्रदेश में पीक सीजन के दौरान पर्यटकों की संख्या को सीमित करना पर्यावरणीय क्षति को कम करने का एक उदाहरण है।
- पुनर्वनीकरण और वनीकरण: सड़कों और पर्यटन सुविधाओं के लिए विकास परियोजनाओं के कारण वनों की कटाई एक बड़ी चिंता है। पुनर्वनीकरण कार्यक्रम, जिनमें देशी प्रजातियों का उपयोग होता है, खोए हुए आवासों की बहाली और मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद कर सकते हैं। हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापन परियोजना इस दिशा में एक सरकारी पहल है।
- निर्माण गतिविधियों का विनियमन: अवसंरचना विकास अक्सर पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। विशेष रूप से बांध, सड़क, और होटलों जैसे परियोजनाओं के लिए कड़े पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) आवश्यक हैं। उदाहरण के लिए, उत्तराखंड का चार धाम परियोजना इसके पर्यावरणीय प्रभाव के कारण आलोचना का शिकार हुई, जिससे अधिक सख्त योजना की मांग की गई।
- कचरा प्रबंधन: पर्यटन से उत्पन्न कचरे का उचित प्रबंधन नहीं हो पाता है। ठोस कचरा प्रबंधन प्रणालियों और “लाओ, ले जाओ” जैसी नीतियों को लागू करना, जैसे गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान में किया गया है, प्रदूषण को कम कर सकता है।
- समुदाय की भागीदारी और जागरूकता: स्थानीय समुदायों की भागीदारी संरक्षण प्रयासों में दीर्घकालिक सफलता सुनिश्चित करती है। उत्तराखंड में एनजीओ और स्थानीय समूह पर्यटकों और स्थानीय लोगों को सतत प्रथाओं पर शिक्षित करने में कार्यरत हैं।
निष्कर्ष
पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र की पुनःस्थापना के लिए विकास और पर्यटन को संतुलित करते हुए समग्र दृष्टिकोण आवश्यक है। सतत पर्यटन, वनीकरण, सख्त विनियमों, और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से पर्वतीय क्षेत्रों को भविष्य के लिए संरक्षित किया जा सकता है।
अपक्षय की परिभाषा अपक्षय एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके तहत चट्टानों और खनिजों का टूटना और विघटन होता है। यह प्रक्रिया सतह पर या उसके करीब होती है और इसमें चट्टानों के भौतिक या रासायनिक परिवर्तन शामिल हो सकते हैं। अपक्षय का उद्देश्य चट्टानों को छोटे टुकड़ों में तोड़ना और मिट्टी की formation में योगRead more
अपक्षय की परिभाषा
अपक्षय एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके तहत चट्टानों और खनिजों का टूटना और विघटन होता है। यह प्रक्रिया सतह पर या उसके करीब होती है और इसमें चट्टानों के भौतिक या रासायनिक परिवर्तन शामिल हो सकते हैं। अपक्षय का उद्देश्य चट्टानों को छोटे टुकड़ों में तोड़ना और मिट्टी की formation में योगदान देना है। अपक्षय की प्रक्रिया के दो मुख्य प्रकार होते हैं: भौतिक अपक्षय और रासायनिक अपक्षय।
भौतिक अपक्षय के कारण
भौतिक अपक्षय (या यांत्रिक अपक्षय) में चट्टानों के टूटने और विघटन के दौरान उनकी रासायनिक संरचना में कोई बदलाव नहीं होता। इसमें निम्नलिखित प्रमुख कारण शामिल हैं:
हाल के उदाहरण और केस स्टडीज
निष्कर्ष
भौतिक अपक्षय चट्टानों के टूटने और विघटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे मिट्टी की formation होती है और परिदृश्य में परिवर्तन आता है। तापमान में उतार-चढ़ाव, फ्रीज-थॉ साइकिल, जैविक गतिविधियाँ, एक्सफोलिएशन, नमक अपक्षय और खरादन जैसे कारण भौतिक अपक्षय को उत्पन्न करते हैं। हाल के उदाहरण और केस स्टडीज इन प्रक्रियाओं के वास्तविक प्रभावों को समझने में सहायक होते हैं और पर्यावरणीय परिवर्तन को बेहतर ढंग से समझने में मदद करते हैं।
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