What is meant by “processing to add value”? Can the State use this technology to turn fruit production into a profitable industry? [Answer Limit: 250 Words] [UKPSC 2012]
उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तीव्र और विनाशकारी तूफान होता है, जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में समुद्र की गर्म सतह पर उत्पन्न होता है। इसकी उत्पत्ति सामान्यतः 5° से 20° उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों के बीच होती है। इन चक्रवातों में तेज़ हवाएँ, भारी वर्षा, और समुद्री तूफान शामिल होते हैं। उष्णकटिबंधीय चक्रवातRead more
उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तीव्र और विनाशकारी तूफान होता है, जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में समुद्र की गर्म सतह पर उत्पन्न होता है। इसकी उत्पत्ति सामान्यतः 5° से 20° उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों के बीच होती है। इन चक्रवातों में तेज़ हवाएँ, भारी वर्षा, और समुद्री तूफान शामिल होते हैं।
उष्णकटिबंधीय चक्रवात का निर्माण तब होता है जब गर्म, नम हवा ऊपर उठती है और ठंडी हवा की जगह लेती है। इसके परिणामस्वरूप कम दबाव का क्षेत्र बनता है, जो हवा को तेजी से खींचता है। चक्रवात की संरचना में एक स्पष्ट केंद्र या “आइ” होता है, जहाँ हवा की गति कम होती है।
ये चक्रवात बहुत विनाशकारी हो सकते हैं, जिससे बाढ़, भूस्खलन, और व्यापक नुकसान होता है। उदाहरण के लिए, भारतीय महासागर में आए चक्रवात जैसे “ओखी” और “हुदहुद” इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
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नई आर्थिक नीति के परिप्रेक्ष्य में भारत में आर्थिक नियोजन की भूमिका नई आर्थिक नीति (1991) ने भारत की अर्थव्यवस्था को आधुनिक, बाजार-आधारित और वैश्विक दृष्टिकोण में ढालने के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए। इसके तहत उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के उपायों को लागू किया गया। इस संदर्भ में आर्थिक नियोजन कीRead more
नई आर्थिक नीति के परिप्रेक्ष्य में भारत में आर्थिक नियोजन की भूमिका
नई आर्थिक नीति (1991) ने भारत की अर्थव्यवस्था को आधुनिक, बाजार-आधारित और वैश्विक दृष्टिकोण में ढालने के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए। इसके तहत उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के उपायों को लागू किया गया। इस संदर्भ में आर्थिक नियोजन की भूमिका को नए परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है, जहाँ अब सरकार संसाधनों के वितरण और विकास के लिए योजनाएँ तैयार करती है, लेकिन साथ ही बाजार को प्रमुख भूमिका सौंपती है।
निष्कर्ष:
See lessनई आर्थिक नीति ने भारत को आर्थिक सुधार और वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद की, लेकिन इसके साथ सामाजिक और क्षेत्रीय असमानताएँ भी बढ़ी हैं। इसलिए, आर्थिक नियोजन का उद्देश्य अब समावेशी और सतत विकास होना चाहिए।