आत्मनिर्भर समूह (एस० एच० जी०) बैंक अनुबंधन कार्यक्रम (एस० बी० एल० पी०), जो कि भारत का स्वयं का नवाचार है, निर्धनता न्यूनीकरण और महिला सशक्तीकरण कार्यक्रमों में एक सर्वाधिक प्रभावी कार्यक्रम साबित हुआ है। सविस्तार स्पष्ट कीजिए। (200 words) [UPSC ...
विदेशी अभिदाय (विनियमन) अधिनियम (एफ.सी.आर.ए.), 1976 के तहत गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के विदेशी वित्तीयन के नियंत्रक नियमों में हाल के परिवर्तनों ने महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। ये बदलाव, विशेष रूप से 2020 में किए गए संशोधनों और नए नियमों के माध्यम से, एनजीओ की कार्यप्रणाली और उनके विदेशी दानदाताओं केRead more
विदेशी अभिदाय (विनियमन) अधिनियम (एफ.सी.आर.ए.), 1976 के तहत गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के विदेशी वित्तीयन के नियंत्रक नियमों में हाल के परिवर्तनों ने महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। ये बदलाव, विशेष रूप से 2020 में किए गए संशोधनों और नए नियमों के माध्यम से, एनजीओ की कार्यप्रणाली और उनके विदेशी दानदाताओं के साथ संबंधों पर प्रभाव डाल रहे हैं।
प्रमुख परिवर्तन और समालोचनात्मक परीक्षण:
विदेशी फंडिंग पर प्रतिबंध:
परिवर्तन: 2020 के संशोधन ने विदेशी फंडिंग पर सख्त नियम लागू किए हैं, जिनमें दानदाताओं की निगरानी और फंडिंग स्रोतों की जांच शामिल है।
समालोचनात्मक दृष्टिकोण: यह कदम एनजीओ की स्वतंत्रता और प्रभावशीलता को प्रभावित कर सकता है, और सामाजिक मुद्दों को संबोधित करने की उनकी क्षमता पर असर डाल सकता है।
आधार लिंकिंग की अनिवार्यता:
परिवर्तन: एनजीओ को विदेशी फंड प्राप्त करने वाले बैंक खातों को आधार से जोड़ने की आवश्यकता है।
समालोचनात्मक दृष्टिकोण: यह प्रावधान गोपनीयता और नौकरशाही में देरी की समस्याएं पैदा कर सकता है, विशेषकर दूरदराज के क्षेत्रों में जहां आधार इंफ्रास्ट्रक्चर सीमित हो सकता है।
प्रशासनिक खर्चों पर सीमा:
परिवर्तन: विदेशी फंड्स के प्रशासनिक खर्चों पर एक सीमा निर्धारित की गई है।
समालोचनात्मक दृष्टिकोण: यह परिवर्तन एनजीओ की संचालनात्मक लचीलापन को सीमित कर सकता है और परियोजनाओं की निगरानी में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
बढ़ी हुई अनुपालन और रिपोर्टिंग:
परिवर्तन: अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अनुपालन और रिपोर्टिंग की जिम्मेदारियाँ बढ़ाई गई हैं।
समालोचनात्मक दृष्टिकोण: जबकि यह कदम दान की निगरानी में मददगार हो सकता है, बढ़े हुए पेपरवर्क और अनुपालन के बोझ से एनजीओ की मूल गतिविधियाँ प्रभावित हो सकती हैं।
निष्कर्ष:
एफ.सी.आर.ए. के तहत हाल के परिवर्तनों का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और विदेशी फंडिंग के दुरुपयोग को रोकना है। हालांकि, ये परिवर्तनों ने एनजीओ की स्वायत्तता, गोपनीयता, और संचालनात्मक क्षमता पर चिंता जताई है। इन नियमों का संतुलन बनाना और एनजीओ की प्रभावशीलता को बनाए रखना एक महत्वपूर्ण चुनौती है।
आत्मनिर्भर समूह (एस.एच.जी.) बैंक अनुबंधन कार्यक्रम (एस.बी.एल.पी.) भारत का एक महत्वपूर्ण नवाचार है, जिसने निर्धनता न्यूनीकरण और महिला सशक्तीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1990 के दशक की शुरुआत में शुरू किया गया यह कार्यक्रम गरीब और पिछड़े समुदायों को वित्तीय सेवाओं से जोड़ता है और व्यापक सामाजिकRead more
आत्मनिर्भर समूह (एस.एच.जी.) बैंक अनुबंधन कार्यक्रम (एस.बी.एल.पी.) भारत का एक महत्वपूर्ण नवाचार है, जिसने निर्धनता न्यूनीकरण और महिला सशक्तीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1990 के दशक की शुरुआत में शुरू किया गया यह कार्यक्रम गरीब और पिछड़े समुदायों को वित्तीय सेवाओं से जोड़ता है और व्यापक सामाजिक एवं आर्थिक लाभ प्रदान करता है।
प्रमुख विशेषताएँ और प्रभाव:
वित्तीय समावेशन: एस.बी.एल.पी. कार्यक्रम के तहत, आत्मनिर्भर समूहों, जो मुख्यतः महिलाओं का समूह होते हैं, को औपचारिक बैंकों से जोड़ा जाता है। इससे उन्हें क्रेडिट, बचत और अन्य वित्तीय सेवाओं की सुविधा मिलती है जो पहले अनुपलब्ध थी। यह वित्तीय समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो गरीबों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ता है।
महिला सशक्तीकरण: इस कार्यक्रम का मुख्य ध्यान महिलाओं पर है। आत्मनिर्भर समूहों में महिलाओं को शामिल करके, उन्हें वित्तीय संसाधनों तक पहुँच प्रदान की जाती है, जिससे वे आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त होती हैं। महिलाओं की भागीदारी से उनकी परिवार और समुदाय में निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है, और वे स्वावलंबी बनती हैं।
निर्धनता न्यूनीकरण: आत्मनिर्भर समूहों को प्रदान किए गए छोटे-मोटे ऋण उन्हें व्यापार शुरू करने या विस्तार करने में मदद करते हैं। इससे उनकी आय में वृद्धि होती है और जीवन स्तर सुधारता है। समूहों का सामूहिक स्वरूप आपसी समर्थन और सहयोग को बढ़ावा देता है, जो आर्थिक जोखिमों और वित्तीय आपात स्थितियों से निपटने में सहायक होता है।
क्षमता निर्माण और सामाजिक पूंजी: इस कार्यक्रम के माध्यम से वित्तीय साक्षरता, बचत की आदतें, और समूह आधारित चर्चा को बढ़ावा मिलता है। इससे सदस्यों के वित्तीय प्रबंधन कौशल में सुधार होता है और सामाजिक पूंजी में वृद्धि होती है।
निष्कर्ष:
See lessआत्मनिर्भर समूह बैंक अनुबंधन कार्यक्रम निर्धनता न्यूनीकरण और महिला सशक्तीकरण में अत्यधिक प्रभावी साबित हुआ है। यह गरीब समुदायों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जोड़ता है, उनके आर्थिक अवसरों को बढ़ाता है, और सामाजिक एकता को प्रोत्साहित करता है। इसके सफल कार्यान्वयन ने इसे भारत के विकास प्रयासों में एक प्रमुख नवाचार बना दिया है।