प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना के माध्यम से सरकारी प्रदेय व्यवस्था में सुधार एक प्रगतिशील क़दम है, किन्तु इसकी अपनी सीमाएँ भी हैं। टिप्पणी कीजिए। (150 words)[UPSC 2022]
भारतीय ग्रामीण जीवन पर स्वयं सहायता समूहों (SHGs) का प्रभाव 1. आर्थिक सशक्तिकरण: SHGs ने ग्रामीण जीवन में आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया है। सदस्य सूक्ष्म वित्त के माध्यम से अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, नरेगा के तहत SHGs ने कृषि और छोटे व्यवसाय में योगदान दिया है। 2. महिला सशक्तिकरRead more
भारतीय ग्रामीण जीवन पर स्वयं सहायता समूहों (SHGs) का प्रभाव
1. आर्थिक सशक्तिकरण: SHGs ने ग्रामीण जीवन में आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया है। सदस्य सूक्ष्म वित्त के माध्यम से अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, नरेगा के तहत SHGs ने कृषि और छोटे व्यवसाय में योगदान दिया है।
2. महिला सशक्तिकरण: SHGs ने महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण प्रदान किया है। दीक्षा की योजना (DAY-NRLM) के अंतर्गत, SHGs ने महिलाओं की आर्थिक स्थिति और फैसला लेने की क्षमता को बढ़ाया है।
3. सामाजिक विकास: SHGs ने समुदायिक एकता और सामाजिक विकास को प्रोत्साहित किया है। उदाहरण के लिए, तमिलनाडु में SHGs ने स्वच्छता और शिक्षा से संबंधित परियोजनाएँ सफलतापूर्वक चलायी हैं।
निष्कर्ष: SHGs ने भारतीय ग्रामीण जीवन में आर्थिक अवसर, महिला सशक्तिकरण, और सामाजिक विकास को सशक्त किया है।
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प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) योजना सरकारी प्रदेय व्यवस्था में सुधार के लिए एक प्रगतिशील कदम है, क्योंकि यह सब्सिडी और लाभ सीधे लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर करती है, जिससे भ्रष्टाचार और लीकिज को कम किया जा सकता है। यह पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ावा देती है और वितरण प्रणाली को सरल बनाती है। हालांकि,Read more
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) योजना सरकारी प्रदेय व्यवस्था में सुधार के लिए एक प्रगतिशील कदम है, क्योंकि यह सब्सिडी और लाभ सीधे लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर करती है, जिससे भ्रष्टाचार और लीकिज को कम किया जा सकता है। यह पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ावा देती है और वितरण प्रणाली को सरल बनाती है।
हालांकि, DBT योजना की सीमाएँ भी हैं। डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी और कुछ लाभार्थियों की वित्तीय साक्षरता की कमी योजना की प्रभावशीलता में बाधा डाल सकती है। ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और बैंकिंग सेवाओं की उपलब्धता सीमित हो सकती है। इसके अतिरिक्त, सही डेटा और मजबूत सत्यापन प्रणालियाँ सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं ताकि लाभार्थियों को सही समय पर और सही लाभ मिल सके।
इसलिए, DBT योजना की प्रभावशीलता को अधिकतम करने के लिए इन सीमाओं को दूर करना आवश्यक है।
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