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राष्ट्रीय आयुष मिशन के मुख्य उद्देश्य संक्षेप में लिखिए।
राष्ट्रीय आयुष मिशन के मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय आयुष मिशन (National Ayush Mission - NAM) भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को समर्थन देने और उनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक व्यापक पहल है। इसके तहत आयुर्वेद, योग, सिद्धा, यूनानी, और होम्योपैथी चिकित्सा प्रणालियों को प्रोत्साहित किया जाता है। यहाँRead more
राष्ट्रीय आयुष मिशन के मुख्य उद्देश्य
राष्ट्रीय आयुष मिशन (National Ayush Mission – NAM) भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को समर्थन देने और उनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक व्यापक पहल है। इसके तहत आयुर्वेद, योग, सिद्धा, यूनानी, और होम्योपैथी चिकित्सा प्रणालियों को प्रोत्साहित किया जाता है। यहाँ इसके मुख्य उद्देश्यों का संक्षेप में विवरण दिया गया है:
1. आयुष सेवाओं की पहुँच और गुणवत्ता में सुधार
2. पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों का समर्थन और विकास
3. आयुष शिक्षा और अनुसंधान का संवर्धन
4. मानव संसाधन और बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करना
5. आयुष की समग्र स्वास्थ्य प्रणाली में एकीकरण
निष्कर्ष
राष्ट्रीय आयुष मिशन का उद्देश्य आयुष चिकित्सा प्रणालियों के प्रभावी कार्यान्वयन और विस्तार के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना है। इसके माध्यम से पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों की पहुँच बढ़ाना, गुणवत्ता में सुधार करना, शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देना, और समग्र स्वास्थ्य प्रणाली में एकीकरण को सुनिश्चित करना प्राथमिक लक्ष्य हैं। हाल के उदाहरण इस बात को प्रमाणित करते हैं कि ये पहलें स्वास्थ्य क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन ला रही हैं और पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को एक नई दिशा प्रदान कर रही हैं।
See lessटीकाकरण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य क्या है?
टीकाकरण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य टीकाकरण कार्यक्रम सार्वजनिक स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण पहल हैं, जिनका उद्देश्य समुदायों और व्यक्तियों को संक्रामक रोगों से सुरक्षित करना है। इन कार्यक्रमों के मुख्य उद्देश्यों की विस्तृत व्याख्या निम्नलिखित है, हाल के उदाहरणों के साथ: 1. रोगों की रोकथाम और नियंत्रण वRead more
टीकाकरण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य
टीकाकरण कार्यक्रम सार्वजनिक स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण पहल हैं, जिनका उद्देश्य समुदायों और व्यक्तियों को संक्रामक रोगों से सुरक्षित करना है। इन कार्यक्रमों के मुख्य उद्देश्यों की विस्तृत व्याख्या निम्नलिखित है, हाल के उदाहरणों के साथ:
1. रोगों की रोकथाम और नियंत्रण
2. रोगों का उन्मूलन
3. हर्ड इम्युनिटी (समूह प्रतिरक्षा)
4. रोगों का बोझ कम करना
5. स्वास्थ्य समानता को बढ़ावा देना
6. रोग प्रकोपों की निगरानी और प्रतिक्रिया
निष्कर्ष
टीकाकरण कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य संक्रामक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण, रोगों का उन्मूलन, हर्ड इम्युनिटी प्राप्त करना, रोगों का बोझ कम करना, स्वास्थ्य समानता को बढ़ावा देना, और प्रकोपों पर प्रभावी प्रतिक्रिया देना है। ये कार्यक्रम वैश्विक स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
See lessअष्टाङ्ग योग के अंग कौन-से हैं?
अष्टाङ्ग योग के अंग अष्टाङ्ग योग, जिसे पतंजलि के योग सूत्रों में वर्णित किया गया है, एक समग्र योग प्रणाली है जो आत्मज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग को इंगित करती है। इसमें आठ अंग या चरण होते हैं, जो व्यक्तिगत और आत्मिक विकास की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। यहां अष्टाङ्ग योग के आठ अंगों कRead more
अष्टाङ्ग योग के अंग
अष्टाङ्ग योग, जिसे पतंजलि के योग सूत्रों में वर्णित किया गया है, एक समग्र योग प्रणाली है जो आत्मज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग को इंगित करती है। इसमें आठ अंग या चरण होते हैं, जो व्यक्तिगत और आत्मिक विकास की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। यहां अष्टाङ्ग योग के आठ अंगों का विवरण और हाल के उदाहरण दिए गए हैं:
1. यम (Ethical Disciplines)
2. नियम (Personal Observances)
3. आसन (Physical Postures)
4. प्राणायाम (Breath Control)
5. प्रत्याहार (Withdrawal of Senses)
6. धारणा (Concentration)
7. ध्यान (Meditation)
8. समाधि (Self-Realization or Enlightenment)
निष्कर्ष
अष्टाङ्ग योग के ये आठ अंग एक समग्र जीवन प्रणाली का हिस्सा हैं, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। आधुनिक समय में भी इन अंगों का अभ्यास जीवन की गुणवत्ता और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।
See lessकिन्हीं तीन संक्रामक रोगों के नाम लिखिए।
तीन संक्रामक रोग संक्रामक रोग वे बीमारियाँ हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक संक्रमण के माध्यम से फैलती हैं। ये रोग बैक्टीरिया, वायरस, फंगी, या परजीवियों द्वारा होते हैं। निम्नलिखित तीन प्रमुख संक्रामक रोग हैं: 1. तपेदिक (Tuberculosis - TB) विवरण: तपेदिक एक बैक्टीरियल संक्रमण है जो MycobacteriumRead more
तीन संक्रामक रोग
संक्रामक रोग वे बीमारियाँ हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक संक्रमण के माध्यम से फैलती हैं। ये रोग बैक्टीरिया, वायरस, फंगी, या परजीवियों द्वारा होते हैं। निम्नलिखित तीन प्रमुख संक्रामक रोग हैं:
1. तपेदिक (Tuberculosis – TB)
2. कोविड-19 (COVID-19)
3. मलेरिया (Malaria)
निष्कर्ष
इन संक्रामक रोगों का वैश्विक स्वास्थ्य, आर्थिक और सामाजिक प्रभाव होता है। तपेदिक, कोविड-19, और मलेरिया जैसे रोगों के खिलाफ लड़ाई में टीकाकरण, उपचार, और रोकथाम उपाय महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन उपायों को अपनाकर, हम इन रोगों के प्रसार को कम कर सकते हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं।
See lessगैर-सरकारी संगठन (एन० जी० ओ०) को परिभाषित करें।
गैर-सरकारी संगठन (NGO) एक ऐसा संगठन है जो सरकारी तंत्र से स्वतंत्र होता है और सामाजिक, आर्थिक, या पर्यावरणीय मुद्दों पर काम करता है। ये संगठन आमतौर पर स्वैच्छिक आधार पर काम करते हैं और उनका उद्देश्य समाज में सकारात्मक बदलाव लाना होता है। NGO अपने काम के लिए सरकारी निधियों, दान, और स्वयंसेवकों पर निरRead more
गैर-सरकारी संगठन (NGO) एक ऐसा संगठन है जो सरकारी तंत्र से स्वतंत्र होता है और सामाजिक, आर्थिक, या पर्यावरणीय मुद्दों पर काम करता है। ये संगठन आमतौर पर स्वैच्छिक आधार पर काम करते हैं और उनका उद्देश्य समाज में सकारात्मक बदलाव लाना होता है। NGO अपने काम के लिए सरकारी निधियों, दान, और स्वयंसेवकों पर निर्भर हो सकते हैं, लेकिन वे सरकारी नियंत्रण से मुक्त रहते हैं।
इनके मुख्य कार्यक्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, मानवाधिकार, पर्यावरण संरक्षण, गरीबी उन्मूलन, और समुदाय विकास शामिल हो सकते हैं। NGO अक्सर ऐसे प्रोजेक्ट्स पर काम करते हैं जिनसे समाज के वंचित या जरूरतमंद वर्गों को लाभ हो और जो सरकारी प्रयासों के साथ-साथ सामाजिक समस्याओं के समाधान में योगदान करते हैं।
See lessगरीबी एवं भुखमरी से संबंधित मुख्य मुद्दे क्या है? (200 Words) [UPPSC 2018]
गरीबी और भुखमरी से संबंधित मुख्य मुद्दे 1. आर्थिक असमानता भारत में आय असमानता एक प्रमुख समस्या बनी हुई है। हाल ही में आर्थिक सर्वे 2022-23 ने दिखाया कि अमीरों की आय में भारी वृद्धि हुई है, जबकि गरीबों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ, जिससे गरीबी में वृद्धि हो रही है। 2. बुनियादी सेवाओं की अपर्याप्त पहुRead more
गरीबी और भुखमरी से संबंधित मुख्य मुद्दे
1. आर्थिक असमानता
भारत में आय असमानता एक प्रमुख समस्या बनी हुई है। हाल ही में आर्थिक सर्वे 2022-23 ने दिखाया कि अमीरों की आय में भारी वृद्धि हुई है, जबकि गरीबों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ, जिससे गरीबी में वृद्धि हो रही है।
2. बुनियादी सेवाओं की अपर्याप्त पहुँच
गरीब घरानों को स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छ पेयजल जैसी बुनियादी सेवाओं की कमी का सामना करना पड़ता है। NITI Aayog के 2023 SDG इंडिया इंडेक्स ने विभिन्न राज्यों में SDGs की उपलब्धियों में असमानता को उजागर किया है, जिससे गरीब राज्यों में स्वास्थ्य और शिक्षा की समस्याएँ बढ़ रही हैं।
3. खाद्य असुरक्षा
लोक वितरण प्रणाली (PDS) जैसी योजनाओं के बावजूद, खाद्य असुरक्षा एक गंभीर समस्या है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2023 ने भारत को “गंभीर” स्तर की भूख वाले देशों में रखा है, जो खाद्य सुरक्षा उपायों की बेहतर कार्यान्वयन की आवश्यकता को दर्शाता है।
4. आर्थिक संवेदनशीलता
COVID-19 महामारी जैसे संकटों ने गरीबों पर विशेष प्रभाव डाला है, जिससे रोजगार की कमी और आय में अस्थिरता बढ़ी है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की रिपोर्ट ने महामारी के दौरान कम आय वाले श्रमिकों के बीच बेरोजगारी और अर्द्ध-बेरोजगारी में वृद्धि को दर्शाया है।
5. ग्रामीण-शहरी असमानताएँ
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच असमानता स्पष्ट है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी और खाद्य असुरक्षा की समस्या अधिक है। ग्रामीण और शहरी गरीबी की स्थिति 2024 की रिपोर्ट ने ग्रामीण विकास कार्यक्रमों की आवश्यकता को बल दिया है।
इन समस्याओं का समाधान एक बहुपरकारी दृष्टिकोण की मांग करता है, जिसमें आर्थिक सुधार, बेहतर शासन और सामाजिक सुरक्षा जाल को सुधारना शामिल है।
See lessभारतीय ग्रामीण जीवन पर स्वयं सहायता समूहों का क्या प्रभाव पड़ा है? वर्णन कीजिये।(125 Words) [UPPSC 2018]
भारतीय ग्रामीण जीवन पर स्वयं सहायता समूहों (SHGs) का प्रभाव 1. आर्थिक सशक्तिकरण: SHGs ने ग्रामीण जीवन में आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया है। सदस्य सूक्ष्म वित्त के माध्यम से अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, नरेगा के तहत SHGs ने कृषि और छोटे व्यवसाय में योगदान दिया है। 2. महिला सशक्तिकरRead more
भारतीय ग्रामीण जीवन पर स्वयं सहायता समूहों (SHGs) का प्रभाव
1. आर्थिक सशक्तिकरण: SHGs ने ग्रामीण जीवन में आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया है। सदस्य सूक्ष्म वित्त के माध्यम से अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, नरेगा के तहत SHGs ने कृषि और छोटे व्यवसाय में योगदान दिया है।
2. महिला सशक्तिकरण: SHGs ने महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण प्रदान किया है। दीक्षा की योजना (DAY-NRLM) के अंतर्गत, SHGs ने महिलाओं की आर्थिक स्थिति और फैसला लेने की क्षमता को बढ़ाया है।
3. सामाजिक विकास: SHGs ने समुदायिक एकता और सामाजिक विकास को प्रोत्साहित किया है। उदाहरण के लिए, तमिलनाडु में SHGs ने स्वच्छता और शिक्षा से संबंधित परियोजनाएँ सफलतापूर्वक चलायी हैं।
निष्कर्ष: SHGs ने भारतीय ग्रामीण जीवन में आर्थिक अवसर, महिला सशक्तिकरण, और सामाजिक विकास को सशक्त किया है।
See less"सुगम्य भारत अभियान" की भूमिका एवं महत्त्व पर टिप्पणी कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2019]
सुगम्य भारत अभियान: भूमिका और महत्त्व **1. परिचय और उद्देश्य सुगम्य भारत अभियान 2015 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत शुरू किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक स्थानों, परिवहन और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को पारदर्शी बनाना है ताकि विकलांग व्यक्तियों (PwDs) के लिए आसानी से उपलब्ध हRead more
सुगम्य भारत अभियान: भूमिका और महत्त्व
**1. परिचय और उद्देश्य
सुगम्य भारत अभियान 2015 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत शुरू किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक स्थानों, परिवहन और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को पारदर्शी बनाना है ताकि विकलांग व्यक्तियों (PwDs) के लिए आसानी से उपलब्ध हो सके।
**2. मुख्य घटक
**a. भौतिक पहुंच
अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सार्वजनिक भवनों, परिवहन प्रणालियों और सार्वजनिक स्थानों की सुलभता सुनिश्चित करना है। इसमें रैंप, लिफ्ट, और सुलभ शौचालय शामिल हैं। दिल्ली मेट्रो ने अपने स्टेशनों में लिफ्ट और व्हीलचेयर-अनुकूल सुविधाओं की स्थापना की है।
**b. डिजिटल पहुंच
यह अभियान डिजिटल प्लेटफार्मों को सुलभ बनाने पर भी ध्यान केंद्रित करता है, जैसे कि वेबसाइट्स, मोबाइल एप्लिकेशन, और इलेक्ट्रॉनिक सेवाएँ। उदाहरण के लिए, “सुगम्य भारत अभियान” की वेबसाइट को वेब एक्सेसिबिलिटी मानकों के अनुसार डिज़ाइन किया गया है।
**c. साक्षरता और प्रशिक्षण
अभियान जन जागरूकता और प्रशिक्षण पर भी ध्यान केंद्रित करता है, ताकि सरकारी अधिकारियों और अन्य हितधारकों को विकलांग व्यक्तियों की ज़रूरतों के बारे में जानकारी मिल सके। प्रशिक्षण कार्यक्रम और वर्कशॉप्स आयोजित किए जाते हैं।
**3. हाल की पहलों
हाल ही में, “सरकारी वेबसाइटों की सुलभता ऑडिट” शुरू किया गया है ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि सरकारी पोर्टल्स विकलांग व्यक्तियों के लिए सुलभ हों। इसके अतिरिक्त, “विकलांगता अधिकार अधिनियम, 2016” इस अभियान का समर्थन करता है।
**4. महत्त्व
सुगम्य भारत अभियान समावेशिता और समान भागीदारी को बढ़ावा देता है। यह विकलांग व्यक्तियों की स्वतंत्रता और सम्मान को सुनिश्चित करता है, और संयुक्त राष्ट्र के विकलांगता अधिकारों पर कन्वेंशन (UNCRPD) के सिद्धांतों के अनुरूप है।
**5. चुनौतियाँ
अभियान को असंगठित कार्यान्वयन, जागरूकता की कमी, और फंडिंग समस्याओं जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं का समाधान करने के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक हैं।
सारांश में, सुगम्य भारत अभियान विकलांग व्यक्तियों के लिए सुलभता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और समावेशिता को प्रोत्साहित करता है।
See lessमहात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम ग्रामीण गरीबों की गरीबी कम करने का अधिकार देता है, टिप्पणी करें। (200 Words) [UPPSC 2021]
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA): ग्रामीण गरीबों की गरीबी कम करने में भूमिका 1. उद्देश्य और ढांचा (Objective and Framework): कानूनी उद्देश्य: 2005 में लागू किया गया MGNREGA, ग्रामीण घरों को साल में कम से कम 100 दिनों की मज़दूरी रोजगार की गारंटी देता है, ताकि आर्थिक सुरRead more
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA): ग्रामीण गरीबों की गरीबी कम करने में भूमिका
1. उद्देश्य और ढांचा (Objective and Framework):
2. ग्रामीण गरीबों को सशक्तिकरण (Empowerment of Rural Poor):
3. चुनौतियाँ और आलोचनाएँ (Challenges and Criticisms):
निष्कर्ष: MGNREGA ग्रामीण गरीबी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, रोजगार प्रदान करता है और स्थानीय विकास को बढ़ावा देता है। हालांकि, कार्यान्वयन समस्याओं और कवरेज विस्तार को संबोधित करना इसकी प्रभावशीलता को अधिकतम करने के लिए आवश्यक है।
See lessगरीबी और भूख के मूल कारण क्या हैं? इनको दूर करने के लिए क्या सरकारी नीतियां लागू की गई हैं ? (125 Words) [UPPSC 2022]
गरीबी और भूख के मूल कारण 1. असमानता और बेरोजगारी: आय और संसाधनों के असमान वितरण के कारण गरीब समुदायों की स्थिति बदतर होती है। बेरोजगारी से आय का अभाव और खाद्य असुरक्षा बढ़ती है। 2. शिक्षा और कौशल की कमी: अशिक्षा और कौशल की कमी के कारण लोग अच्छी नौकरियां प्राप्त करने में असमर्थ होते हैं, जिससे गरीबीRead more
गरीबी और भूख के मूल कारण
1. असमानता और बेरोजगारी:
आय और संसाधनों के असमान वितरण के कारण गरीब समुदायों की स्थिति बदतर होती है। बेरोजगारी से आय का अभाव और खाद्य असुरक्षा बढ़ती है।
2. शिक्षा और कौशल की कमी:
अशिक्षा और कौशल की कमी के कारण लोग अच्छी नौकरियां प्राप्त करने में असमर्थ होते हैं, जिससे गरीबी और भूख बढ़ती है।
3. कृषि में कमी:
कृषि में सुधार न होने से खाद्य उत्पादन में कमी होती है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भूख और गरीबी बढ़ती है।
सरकारी नीतियां
1. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY):
इस योजना के तहत गरीब परिवारों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया जाता है। इसे 2023 तक बढ़ाया गया है।
2. मनरेगा:
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाकर गरीबी को कम किया जा रहा है।
3. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि:
See lessइस योजना के तहत किसानों को आर्थिक सहायता दी जाती है, जिससे उनकी आय बढ़ती है और भूख की समस्या को कम किया जा सके।