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संक्रामक और असंक्रामक बीमारियों को उदाहरण सहित समझाइए।
संक्रामक और असंक्रामक बीमारियाँ 1. संक्रामक बीमारियाँ संक्रामक बीमारियाँ वे होती हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति या जानवर से व्यक्ति में संक्रमण के माध्यम से फैलती हैं। ये बीमारियाँ बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, या प्रोटोजोआ जैसे रोगजनकों द्वारा उत्पन्न होती हैं। ये बीमारियाँ व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रRead more
संक्रामक और असंक्रामक बीमारियाँ
1. संक्रामक बीमारियाँ
संक्रामक बीमारियाँ वे होती हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति या जानवर से व्यक्ति में संक्रमण के माध्यम से फैलती हैं। ये बीमारियाँ बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, या प्रोटोजोआ जैसे रोगजनकों द्वारा उत्पन्न होती हैं। ये बीमारियाँ व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित कर सकती हैं और बहुत तेजी से फैल सकती हैं।
उदाहरण:
2. असंक्रामक बीमारियाँ
असंक्रामक बीमारियाँ वे होती हैं जो संक्रमण के कारण उत्पन्न नहीं होतीं, बल्कि जीवनशैली, आनुवंशिकता, या पर्यावरणीय कारकों से उत्पन्न होती हैं। ये बीमारियाँ एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती हैं, बल्कि इन्हें आमतौर पर दीर्घकालिक प्रभावों के कारण विकसित होती हैं।
उदाहरण:
संक्रामक और असंक्रामक बीमारियों के बीच अंतर
निष्कर्ष
संक्रामक और असंक्रामक बीमारियाँ दोनों ही स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्याएँ उत्पन्न कर सकती हैं, लेकिन उनके कारण और फैलने के तरीके में अंतर होता है। संक्रामक बीमारियाँ संक्रमण के माध्यम से फैलती हैं और इन्हें रोकने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय और टीकाकरण महत्वपूर्ण होते हैं, जबकि असंक्रामक बीमारियाँ जीवनशैली और आनुवंशिक कारकों से जुड़ी होती हैं, जिनका प्रबंधन जीवनशैली में सुधार और चिकित्सा उपचार के माध्यम से किया जाता है।
See lessपंचकर्म चिकित्सा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
पंचकर्म चिकित्सा: एक संक्षिप्त टिप्पणी परिचय पंचकर्म चिकित्सा आयुर्वेद का एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। यह चिकित्सा प्रणाली पाचन, स्राव, और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने पर केंद्रित होती है। पंचकर्म के पांच प्रमुख उपाय वामन:Read more
पंचकर्म चिकित्सा: एक संक्षिप्त टिप्पणी
परिचय पंचकर्म चिकित्सा आयुर्वेद का एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। यह चिकित्सा प्रणाली पाचन, स्राव, और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने पर केंद्रित होती है।
पंचकर्म के पांच प्रमुख उपाय
हाल की उदाहरण
सारांश पंचकर्म चिकित्सा एक संपूर्ण आयुर्वेदिक प्रणाली है जो शरीर की प्राकृतिक तंत्रिकाओं को पुनः संजीवनी देने का प्रयास करती है। आधुनिक समय में भी इसके उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है, विशेष रूप से इसके लाभकारी स्वास्थ्य परिणामों की वजह से। हाल के उदाहरण और अनुसंधान इसके प्रभावी होने की पुष्टि करते हैं और इस चिकित्सा प्रणाली की लोकप्रियता को दर्शाते हैं।
See lessराष्ट्रीय आयुष मिशन के मुख्य उद्देश्य संक्षेप में लिखिए।
राष्ट्रीय आयुष मिशन के मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय आयुष मिशन (National Ayush Mission - NAM) भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को समर्थन देने और उनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक व्यापक पहल है। इसके तहत आयुर्वेद, योग, सिद्धा, यूनानी, और होम्योपैथी चिकित्सा प्रणालियों को प्रोत्साहित किया जाता है। यहाँRead more
राष्ट्रीय आयुष मिशन के मुख्य उद्देश्य
राष्ट्रीय आयुष मिशन (National Ayush Mission – NAM) भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को समर्थन देने और उनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक व्यापक पहल है। इसके तहत आयुर्वेद, योग, सिद्धा, यूनानी, और होम्योपैथी चिकित्सा प्रणालियों को प्रोत्साहित किया जाता है। यहाँ इसके मुख्य उद्देश्यों का संक्षेप में विवरण दिया गया है:
1. आयुष सेवाओं की पहुँच और गुणवत्ता में सुधार
2. पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों का समर्थन और विकास
3. आयुष शिक्षा और अनुसंधान का संवर्धन
4. मानव संसाधन और बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करना
5. आयुष की समग्र स्वास्थ्य प्रणाली में एकीकरण
निष्कर्ष
राष्ट्रीय आयुष मिशन का उद्देश्य आयुष चिकित्सा प्रणालियों के प्रभावी कार्यान्वयन और विस्तार के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना है। इसके माध्यम से पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों की पहुँच बढ़ाना, गुणवत्ता में सुधार करना, शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देना, और समग्र स्वास्थ्य प्रणाली में एकीकरण को सुनिश्चित करना प्राथमिक लक्ष्य हैं। हाल के उदाहरण इस बात को प्रमाणित करते हैं कि ये पहलें स्वास्थ्य क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन ला रही हैं और पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को एक नई दिशा प्रदान कर रही हैं।
See lessटीकाकरण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य क्या है?
टीकाकरण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य टीकाकरण कार्यक्रम सार्वजनिक स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण पहल हैं, जिनका उद्देश्य समुदायों और व्यक्तियों को संक्रामक रोगों से सुरक्षित करना है। इन कार्यक्रमों के मुख्य उद्देश्यों की विस्तृत व्याख्या निम्नलिखित है, हाल के उदाहरणों के साथ: 1. रोगों की रोकथाम और नियंत्रण वRead more
टीकाकरण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य
टीकाकरण कार्यक्रम सार्वजनिक स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण पहल हैं, जिनका उद्देश्य समुदायों और व्यक्तियों को संक्रामक रोगों से सुरक्षित करना है। इन कार्यक्रमों के मुख्य उद्देश्यों की विस्तृत व्याख्या निम्नलिखित है, हाल के उदाहरणों के साथ:
1. रोगों की रोकथाम और नियंत्रण
2. रोगों का उन्मूलन
3. हर्ड इम्युनिटी (समूह प्रतिरक्षा)
4. रोगों का बोझ कम करना
5. स्वास्थ्य समानता को बढ़ावा देना
6. रोग प्रकोपों की निगरानी और प्रतिक्रिया
निष्कर्ष
टीकाकरण कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य संक्रामक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण, रोगों का उन्मूलन, हर्ड इम्युनिटी प्राप्त करना, रोगों का बोझ कम करना, स्वास्थ्य समानता को बढ़ावा देना, और प्रकोपों पर प्रभावी प्रतिक्रिया देना है। ये कार्यक्रम वैश्विक स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
See lessअष्टाङ्ग योग के अंग कौन-से हैं?
अष्टाङ्ग योग के अंग अष्टाङ्ग योग, जिसे पतंजलि के योग सूत्रों में वर्णित किया गया है, एक समग्र योग प्रणाली है जो आत्मज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग को इंगित करती है। इसमें आठ अंग या चरण होते हैं, जो व्यक्तिगत और आत्मिक विकास की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। यहां अष्टाङ्ग योग के आठ अंगों कRead more
अष्टाङ्ग योग के अंग
अष्टाङ्ग योग, जिसे पतंजलि के योग सूत्रों में वर्णित किया गया है, एक समग्र योग प्रणाली है जो आत्मज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग को इंगित करती है। इसमें आठ अंग या चरण होते हैं, जो व्यक्तिगत और आत्मिक विकास की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। यहां अष्टाङ्ग योग के आठ अंगों का विवरण और हाल के उदाहरण दिए गए हैं:
1. यम (Ethical Disciplines)
2. नियम (Personal Observances)
3. आसन (Physical Postures)
4. प्राणायाम (Breath Control)
5. प्रत्याहार (Withdrawal of Senses)
6. धारणा (Concentration)
7. ध्यान (Meditation)
8. समाधि (Self-Realization or Enlightenment)
निष्कर्ष
अष्टाङ्ग योग के ये आठ अंग एक समग्र जीवन प्रणाली का हिस्सा हैं, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। आधुनिक समय में भी इन अंगों का अभ्यास जीवन की गुणवत्ता और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।
See lessकिन्हीं तीन संक्रामक रोगों के नाम लिखिए।
तीन संक्रामक रोग संक्रामक रोग वे बीमारियाँ हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक संक्रमण के माध्यम से फैलती हैं। ये रोग बैक्टीरिया, वायरस, फंगी, या परजीवियों द्वारा होते हैं। निम्नलिखित तीन प्रमुख संक्रामक रोग हैं: 1. तपेदिक (Tuberculosis - TB) विवरण: तपेदिक एक बैक्टीरियल संक्रमण है जो MycobacteriumRead more
तीन संक्रामक रोग
संक्रामक रोग वे बीमारियाँ हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक संक्रमण के माध्यम से फैलती हैं। ये रोग बैक्टीरिया, वायरस, फंगी, या परजीवियों द्वारा होते हैं। निम्नलिखित तीन प्रमुख संक्रामक रोग हैं:
1. तपेदिक (Tuberculosis – TB)
2. कोविड-19 (COVID-19)
3. मलेरिया (Malaria)
निष्कर्ष
इन संक्रामक रोगों का वैश्विक स्वास्थ्य, आर्थिक और सामाजिक प्रभाव होता है। तपेदिक, कोविड-19, और मलेरिया जैसे रोगों के खिलाफ लड़ाई में टीकाकरण, उपचार, और रोकथाम उपाय महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन उपायों को अपनाकर, हम इन रोगों के प्रसार को कम कर सकते हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं।
See lessसार्विक स्वास्थ्य संरक्षण प्रदान करने में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की अपनी परिसीमाएँ हैं। क्या आपके विचार में खाई को पाटने में निजी क्षेत्रक सहायक हो सकता है? आप अन्य कौन-से व्यवहार्य विकल्प सुझाएँगे? (200 words) [UPSC 2015]
प्रस्तावना: भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली सार्विक स्वास्थ्य संरक्षण (UHC) प्रदान करने में अनेक चुनौतियों का सामना कर रही है, जिनमें अपर्याप्त बुनियादी ढांचा, सीमित कार्यबल और वित्तीय संसाधनों की कमी प्रमुख हैं। इस खाई को पाटने के लिए निजी क्षेत्रक की भागीदारी को एक संभावित समाधान के रूप में देRead more
प्रस्तावना:
भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली सार्विक स्वास्थ्य संरक्षण (UHC) प्रदान करने में अनेक चुनौतियों का सामना कर रही है, जिनमें अपर्याप्त बुनियादी ढांचा, सीमित कार्यबल और वित्तीय संसाधनों की कमी प्रमुख हैं। इस खाई को पाटने के लिए निजी क्षेत्रक की भागीदारी को एक संभावित समाधान के रूप में देखा जा सकता है।
निजी क्षेत्रक की भूमिका:
चुनौतियाँ और चिंताएँ:
अन्य व्यवहार्य विकल्प:
निष्कर्ष:
हालाँकि निजी क्षेत्रक भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में खाई को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, लेकिन समानता, नियमन और वहनीयता के मुद्दों का समाधान करना आवश्यक है। सार्विक स्वास्थ्य संरक्षण प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करना और तकनीक का उपयोग भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
See lessभारत में 'सभी के लिए स्वास्थ्य' को प्राप्त करने के लिए समुचित स्थानीय सामुदायिक स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल का मध्यक्षेप एक पूबपिक्षा है। व्याख्या कीजिए। (150 words) [UPSC 2018]
भारत में 'सभी के लिए स्वास्थ्य' और स्थानीय सामुदायिक स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल भारत में ‘सभी के लिए स्वास्थ्य’ लक्ष्य की प्राप्ति के लिए स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य देखभाल एक महत्वपूर्ण मध्यवर्ती उपाय है। स्थानीय पहुंच: सामुदायिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराई जाती हैं, जिससे दूरदRead more
भारत में ‘सभी के लिए स्वास्थ्य’ और स्थानीय सामुदायिक स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल
भारत में ‘सभी के लिए स्वास्थ्य’ लक्ष्य की प्राप्ति के लिए स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य देखभाल एक महत्वपूर्ण मध्यवर्ती उपाय है।
निष्कर्ष: सभी के लिए स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए, भारत में स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य देखभाल एक आवश्यक मध्यवर्ती उपाय है, जो स्थानीय पहुंच, समुदाय की भागीदारी, और निजीकृत सेवाओं के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारता है।
See lessडिजिटल स्वास्थ्य देखभाल भारत में स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच और उसकी वहनीयता से संबंधित स्थायी मुद्दों का समाधान करने में सक्षम है। संदर्भ में, देश को 'डिजिटल स्वास्थ्य' क्रांति के मुहाने पर लाने में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की भूमिका पर चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दें)
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) की भूमिका डिजिटल स्वास्थ्य देखभाल में 1. स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच: डिजिटल स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर: आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन ने एक व्यापक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है, जिसमें स्वास्थ्य रिकॉर्ड्स, टेलीमेडिसिन और डेटा प्रबंधन शामिल हैं। इससे ग्रामीण और दूरदरRead more
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) की भूमिका डिजिटल स्वास्थ्य देखभाल में
1. स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच:
2. लागत और वहनीयता:
निष्कर्षतः, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन डिजिटल स्वास्थ्य क्रांति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जिससे भारत में स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच और उसकी वहनीयता में सुधार हो रहा है।
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