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समेकित बाल संरक्षण योजना को समझाइए।
समेकित बाल संरक्षण योजना (Integrated Child Protection Scheme - ICPS) परिचय और उद्देश्य समेकित बाल संरक्षण योजना (ICPS) भारत सरकार द्वारा चलायी जाने वाली एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य बालकों की सुरक्षा, देखभाल और विकास को सुनिश्चित करना है। यह योजना विशेष रूप से उन बच्चों के लिए है जो किसी कRead more
समेकित बाल संरक्षण योजना (Integrated Child Protection Scheme – ICPS)
परिचय और उद्देश्य
समेकित बाल संरक्षण योजना (ICPS) भारत सरकार द्वारा चलायी जाने वाली एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य बालकों की सुरक्षा, देखभाल और विकास को सुनिश्चित करना है। यह योजना विशेष रूप से उन बच्चों के लिए है जो किसी कारणवश अपने परिवारों से अलग हैं और जिन्हें संरक्षण की आवश्यकता है। इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
मुख्य घटक
हालिया उदाहरण और पहल
प्रभाव और लाभ
हालिया प्रभाव उदाहरण:
“मिशन वत्सल्य” का शुभारंभ 2023 में ICPS ढांचे के तहत किया गया, जिसने बाल संरक्षण सेवाओं को समन्वित समर्थन प्रदान करने में सफलता प्राप्त की। इस पहल ने विभिन्न हितधारकों, जैसे सरकारी एजेंसियों, NGOs, और सामुदायिक संगठनों के बीच बेहतर समन्वय को बढ़ावा दिया, जिसके परिणामस्वरूप बेहतर देखभाल और सुरक्षा के परिणाम मिले हैं।
संक्षेप में, समेकित बाल संरक्षण योजना (ICPS) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जो बच्चों की सुरक्षा और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए व्यापक उपाय करती है। इसकी विभिन्न घटकों और हालिया पहलों के माध्यम से, ICPS बालकों के लिए एक सुरक्षित और समर्थनकारी वातावरण प्रदान करती है।
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राष्ट्रीय बाल नीति के मुख्य प्रावधान और इसके क्रियान्वयन की स्थिति परिचय राष्ट्रीय बाल नीति (NCP) का उद्देश्य भारत में बच्चों के अधिकारों और कल्याण को सुनिश्चित करना है। यह नीति विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए बच्चों के समग्र विकास को प्रोत्साहित करती है। मुख्य प्रावधान बाल अधिकारों की सुरक्षा:Read more
राष्ट्रीय बाल नीति के मुख्य प्रावधान और इसके क्रियान्वयन की स्थिति
परिचय राष्ट्रीय बाल नीति (NCP) का उद्देश्य भारत में बच्चों के अधिकारों और कल्याण को सुनिश्चित करना है। यह नीति विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए बच्चों के समग्र विकास को प्रोत्साहित करती है।
मुख्य प्रावधान
क्रियान्वयन की स्थिति
निष्कर्ष राष्ट्रीय बाल नीति के प्रावधान बच्चों के समग्र विकास और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, क्रियान्वयन में सुधार की आवश्यकता है, और हाल के प्रयासों से स्थिति में सुधार हो रहा है, फिर भी चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है।
See lessभारत में बाल श्रम की उपस्थिति के विभिन्न निर्धारकों पर चर्चा कीजिए। देश में बाल श्रम की समस्या से निपटने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं? (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत में बाल श्रम की उपस्थिति के विभिन्न निर्धारक निम्नलिखित हैं: गरीबी: परिवारों की आर्थिक स्थिति में कमी बाल श्रम को बढ़ावा देती है क्योंकि बच्चे काम करके अतिरिक्त आय की मदद करते हैं। शिक्षा की कमी: शिक्षा के प्रति जागरूकता की कमी और स्कूलों की अपर्याप्तता बाल श्रम को बढ़ावा देती है। सामाजिक असमानRead more
भारत में बाल श्रम की उपस्थिति के विभिन्न निर्धारक निम्नलिखित हैं:
गरीबी: परिवारों की आर्थिक स्थिति में कमी बाल श्रम को बढ़ावा देती है क्योंकि बच्चे काम करके अतिरिक्त आय की मदद करते हैं।
शिक्षा की कमी: शिक्षा के प्रति जागरूकता की कमी और स्कूलों की अपर्याप्तता बाल श्रम को बढ़ावा देती है।
सामाजिक असमानताएं: जाति और सामाजिक स्थिति के आधार पर भेदभाव भी बाल श्रम को प्रभावित करता है।
कानूनी प्रवर्तन की कमी: बाल श्रम के खिलाफ कानूनों का सही ढंग से लागू न होना समस्या को बढ़ाता है।
समाधान के उपाय:
शिक्षा का प्रोत्साहन: मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की सुविधा सुनिश्चित करना।
See lessगरीबी उन्मूलन: आर्थिक सहायता योजनाओं को बढ़ाना ताकि परिवारों की आय बढ़े।
कानूनी उपाय: बाल श्रम पर प्रभावी कानूनी कार्रवाई और निगरानी।
जागरूकता अभियान: समुदायों में बाल श्रम के दुष्परिणामों के प्रति जागरूकता फैलाना।
हालांकि, 'बेटी बचाओ, बेटी पढाओ' योजना ने लैंगिक भेदभाव पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित किया है, लेकिन यह खराब कार्यान्वयन और निगरानी के कारण वांछित परिणाम प्राप्त करने में विफल रही है। चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दें)
"बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" योजना को भारत में लैंगिक भेदभाव और बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य लड़कियों की शिक्षा और सुरक्षा को बढ़ावा देना और कन्या भ्रूण हत्या जैसी समस्याओं को रोकना है। हालांकि इस योजना ने जागरूकता और नीतिगत समर्थन प्रदान किया, इसके वांछित परिRead more
“बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” योजना को भारत में लैंगिक भेदभाव और बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य लड़कियों की शिक्षा और सुरक्षा को बढ़ावा देना और कन्या भ्रूण हत्या जैसी समस्याओं को रोकना है। हालांकि इस योजना ने जागरूकता और नीतिगत समर्थन प्रदान किया, इसके वांछित परिणाम प्राप्त करने में कई चुनौतियाँ आई हैं।
खराब कार्यान्वयन: योजना की सफलता में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक इसका खराब कार्यान्वयन है। स्थानीय स्तर पर योजनाओं की सही तरीके से निगरानी और समन्वय की कमी के कारण, कई क्षेत्रों में धन और संसाधनों का उचित उपयोग नहीं हुआ। कई मामलों में, योजनाओं की जानकारी और संसाधन केवल कागज पर ही सीमित रहे, और वास्तविक परिवर्तन की कमी देखी गई।
निगरानी की कमी: योजना की प्रभावशीलता को मापने के लिए प्रभावी निगरानी तंत्र की कमी भी एक प्रमुख समस्या है। यह आवश्यक है कि योजना के कार्यान्वयन की नियमित समीक्षा और मूल्यांकन हो, ताकि त्रुटियों और कमजोरियों को समय पर संबोधित किया जा सके।
सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाएँ: भारत में लैंगिक भेदभाव की गहरी सामाजिक जड़ें हैं। सिर्फ सरकारी योजनाओं से इस मुद्दे को पूरी तरह से हल करना मुश्किल है। सांस्कृतिक और सामाजिक बदलाव लाने के लिए व्यापक प्रयासों की आवश्यकता है, जिसमें सामुदायिक भागीदारी और शिक्षा शामिल है।
उपचारात्मक उपाय: योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए, इसे मजबूत निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली के तहत संचालित किया जाना चाहिए। स्थानीय अधिकारियों और समुदायों को शामिल करना और उनकी क्षमता निर्माण करना आवश्यक है। इसके साथ ही, सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव को प्रोत्साहित करने के लिए व्यापक जन जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है। इससे योजनाओं के प्रभाव को अधिकतम किया जा सकता है और वास्तविक परिवर्तन सुनिश्चित किया जा सकता है।
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