प्रश्न का उत्तर अधिकतम 15 से 20 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 03 अंक का है। [MPPSC 2023] प्रकाशीय तन्तु (ऑप्टीकल फाइबर) में किस परिघटना का उपयोग किया जाता है?
मानव कान के लिए श्रव्य आवृत्ति परास और पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए इसका भेद परिचय मानव कान के लिए श्रव्य आवृत्ति परास वह सीमा है जिसमें इंसान विभिन्न ध्वनियों को सुन सकता है। यह सीमा उम्र, स्वास्थ्य और अन्य कारकों के आधार पर बदल सकती है। इस उत्तर में, हम इस परास को स्पष्ट करेंगे और देखेंगेRead more
मानव कान के लिए श्रव्य आवृत्ति परास और पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए इसका भेद
परिचय
मानव कान के लिए श्रव्य आवृत्ति परास वह सीमा है जिसमें इंसान विभिन्न ध्वनियों को सुन सकता है। यह सीमा उम्र, स्वास्थ्य और अन्य कारकों के आधार पर बदल सकती है। इस उत्तर में, हम इस परास को स्पष्ट करेंगे और देखेंगे कि यह पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए समान है या नहीं।
1. मानव कान के लिए श्रव्य आवृत्ति परास
- आवृत्ति परास: सामान्यतः, एक स्वस्थ वयस्क मानव कान 20 हर्ट्ज (Hz) से लेकर 20,000 हर्ट्ज (20 kHz) तक की ध्वनियाँ सुन सकता है। यह परास निम्नतम बेस ध्वनियों से लेकर उच्चतम ट्रेबल ध्वनियों तक को शामिल करता है।
- उदाहरण: आधुनिक हेडफोन्स और स्पीकर्स को इस श्रव्य परास के अनुसार डिज़ाइन किया जाता है ताकि उपयोगकर्ता गहरी बेस ध्वनियाँ और उच्च-आवृत्ति की ध्वनियाँ दोनों को स्पष्ट रूप से सुन सकें।
- उम्र के साथ परिवर्तन: उम्र के साथ, विशेषकर 50 वर्ष की आयु के बाद, उच्च आवृत्तियों की सुनने की क्षमता कम हो जाती है। यह उच्च-आवृत्ति श्रवण हानि के रूप में जाना जाता है।
- उदाहरण: अध्ययनों से पता चलता है कि 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोग आमतौर पर 15 kHz से ऊपर की ध्वनियों को सुनने में कठिनाई का सामना करते हैं।
2. पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए श्रव्य आवृत्ति परास
- आवृत्ति परास: पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चे आमतौर पर 20 हर्ट्ज (Hz) से लेकर 25,000 हर्ट्ज (25 kHz) तक की ध्वनियाँ सुन सकते हैं। यह परास वयस्कों की तुलना में अधिक विस्तृत होता है।
- उदाहरण: नवजात शिशुओं की श्रवण स्क्रीनिंग में 20 kHz तक की ध्वनियों की प्रतिक्रिया की जांच की जाती है, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि बच्चे का श्रवण विकास सामान्य है।
- श्रवण संवेदनशीलता: छोटे बच्चों की श्रवण संवेदनशीलता अधिक होती है, और वे उच्च आवृत्तियों को बेहतर तरीके से सुन सकते हैं, जो भाषा विकास और पर्यावरणीय जागरूकता के लिए महत्वपूर्ण है।
- उदाहरण: यह संवेदनशीलता बच्चों को ऊँचाई पर ध्वनियाँ, जैसे बच्चे के खिलौनों की उच्च-आवृत्ति की ध्वनियाँ या कुत्तों की चीख सुनने में मदद करती है, जो वयस्कों के लिए कठिन हो सकता है।
3. प्रभावकारी कारक
- उम्र संबंधित परिवर्तन: जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, उच्च आवृत्तियों को सुनने की क्षमता में कमी आती है, जिसे ‘प्रेस्बीकसिस’ के रूप में जाना जाता है।
- उदाहरण: 60 वर्ष की आयु के बाद, लोग 8 kHz तक की ध्वनियों को भी सुनने में कठिनाई का सामना कर सकते हैं।
- ध्वनि प्रदूषण: लंबे समय तक तेज आवाज़ के संपर्क में रहने से कान की कोशिकाएँ प्रभावित होती हैं, जिससे उच्च आवृत्तियों की सुनने की क्षमता कम हो जाती है।
- उदाहरण: संगीतकार या निर्माण कार्य में लगे लोग अक्सर उच्च आवृत्ति की ध्वनियों को सुनने में समस्या का सामना करते हैं यदि उन्होंने कान की सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा।
4. व्यावहारिक परिणाम
- श्रवण परीक्षण: नियमित श्रवण परीक्षण महत्वपूर्ण हैं ताकि ध्वनि आवृत्ति परास में बदलाव को ट्रैक किया जा सके, विशेषकर उन लोगों के लिए जो शोर वाले वातावरण में काम करते हैं या वृद्धावस्था के शिकार हैं।
- उदाहरण: ऑडियोलॉजिस्ट ऑडियोग्राम का उपयोग करके विभिन्न आवृत्तियों में श्रवण संवेदनशीलता की माप करते हैं और श्रवण हानि का निदान करते हैं।
- उपकरण डिज़ाइन: श्रवण परास को समझना ऑडियो उपकरण जैसे हेडफोन्स और सुनने वाले यंत्रों के डिज़ाइन के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि वे विभिन्न उम्र के उपयोगकर्ताओं की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।
- उदाहरण: सुनने वाले यंत्र उच्च आवृत्तियों को सुदृढ़ करने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं ताकि वृद्ध लोग भी बातचीत को स्पष्ट रूप से सुन सकें।
निष्कर्ष
मानव कान के लिए श्रव्य आवृत्ति परास 20 Hz से 20,000 Hz तक होता है, जबकि पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए यह 20 Hz से 25,000 Hz तक हो सकता है। यह विस्तृत परास बच्चों की अधिक संवेदनशीलता और श्रवण क्षमता को दर्शाता है, जो उम्र के साथ कम हो जाती है। UPSC Mains aspirants के लिए, इस जानकारी का उपयोग शारीरिक और पर्यावरणीय बदलावों को समझने में सहायक हो सकता है, विशेषकर जब यह स्वास्थ्य, तकनीकी डिज़ाइन, और सार्वजनिक नीतियों से संबंधित हो।
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प्रकाशीय तन्तु (ऑप्टीकल फाइबर) में किस परिघटना का उपयोग किया जाता है? परिचय प्रकाशीय तन्तु, जिन्हें ऑप्टीकल फाइबर भी कहा जाता है, आधुनिक संचार और नेटवर्किंग के क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। ये तन्तु डेटा को उच्च गति और कम हानि के साथ लंबी दूरी तक भेजने में सक्षम होते हैं। इनकी कार्यप्रणाली एकRead more
प्रकाशीय तन्तु (ऑप्टीकल फाइबर) में किस परिघटना का उपयोग किया जाता है?
परिचय
प्रकाशीय तन्तु, जिन्हें ऑप्टीकल फाइबर भी कहा जाता है, आधुनिक संचार और नेटवर्किंग के क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। ये तन्तु डेटा को उच्च गति और कम हानि के साथ लंबी दूरी तक भेजने में सक्षम होते हैं। इनकी कार्यप्रणाली एक विशिष्ट भौतिक परिघटना पर आधारित है। इस उत्तर में, हम इस परिघटना को समझेंगे और इसके आधुनिक अनुप्रयोगों पर चर्चा करेंगे।
1. कुल आंतरिक परावर्तन (Total Internal Reflection)
2. ऑप्टिकल फाइबर की संरचना
3. ऑप्टिकल फाइबर के अनुप्रयोग
4. ऑप्टिकल फाइबर के लाभ
निष्कर्ष
प्रकाशीय तन्तुओं में कुल आंतरिक परावर्तन (Total Internal Reflection) का उपयोग किया जाता है, जो इन तन्तुओं को लंबे दूरी तक डेटा ट्रांसमिट करने में सक्षम बनाता है। यह परिघटना ऑप्टिकल फाइबर की डिजाइन और इसके अनुप्रयोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। UPSC Mains aspirants के लिए, इस परिघटना की गहरी समझ आधुनिक संचार और डेटा प्रौद्योगिकी में उसके महत्व को स्पष्ट करती है।
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