प्रश्न का उत्तर अधिकतम 50 शब्दों/5 से 6 पंक्तियाँ में दीजिए। यह प्रश्न 05 अंक का है। [MPPSC 2023] किरण प्रकाशिकी में प्रयोग की जाने वाली कार्तीय (कार्टिशियन) चिह्न परिपाटी का वर्णन करें।
कॉसेल और लुईस का अष्टक नियम कॉसेल और लुईस का अष्टक नियम (Octet Rule) एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो रसायन शास्त्र में परमाणुओं और अणुओं की स्थिरता और रासायनिक बंधनों को समझने में सहायक होता है। यह नियम बताता है कि अधिकांश तत्व स्थिरता प्राप्त करने के लिए अपनी बाहरी इलेक्ट्रॉन परत में आठ इलेक्ट्रॉन हासRead more
कॉसेल और लुईस का अष्टक नियम
कॉसेल और लुईस का अष्टक नियम (Octet Rule) एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो रसायन शास्त्र में परमाणुओं और अणुओं की स्थिरता और रासायनिक बंधनों को समझने में सहायक होता है। यह नियम बताता है कि अधिकांश तत्व स्थिरता प्राप्त करने के लिए अपनी बाहरी इलेक्ट्रॉन परत में आठ इलेक्ट्रॉन हासिल करने की कोशिश करते हैं। इस नियम को गिल्बर्ट न्यूटन लुईस और अर्नस्ट लॉरेंस कॉसेल ने विकसित किया था।
1. कॉसेल और लुईस का अष्टक नियम क्या है?
- परिभाषा:
- अष्टक नियम के अनुसार, अधिकांश तत्व रासायनिक बंधनों के माध्यम से अपनी बाहरी इलेक्ट्रॉन परत (valence shell) में आठ इलेक्ट्रॉन प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। यह परत पूर्ण होने पर तत्व स्थिरता प्राप्त करते हैं।
- उदाहरण:
- सोडियम क्लोराइड (NaCl): सोडियम (Na) और क्लोरिन (Cl) के बीच इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण से सोडियम को +1 चार्ज और क्लोरिन को -1 चार्ज मिलता है, जिससे दोनों तत्वों की बाहरी परत में आठ इलेक्ट्रॉन प्राप्त होते हैं और एक स्थिर यौगिक बनता है।
2. लुईस का अष्टक नियम
- विवरण:
- गिल्बर्ट न्यूटन लुईस ने अष्टक नियम को रासायनिक बंधनों के संदर्भ में प्रस्तुत किया। उनके अनुसार, अणु स्थिरता प्राप्त करने के लिए अपनी बाहरी परत में आठ वैलेंस इलेक्ट्रॉन प्राप्त करते हैं। यह नियम विशेष रूप से मुख्यधारा के तत्वों जैसे कि कार्बन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, और फ्लोरीन के लिए लागू होता है।
- उदाहरण:
- मैथेन (CH₄): कार्बन (C) और हाइड्रोजन (H) के बीच बंधनों के माध्यम से, कार्बन की बाहरी परत में आठ इलेक्ट्रॉन प्राप्त होते हैं (चार सिंगल बंधन) और हाइड्रोजन के प्रत्येक अणु को दो इलेक्ट्रॉन मिलते हैं, जिससे यह स्थिर अणु बनता है।
3. कॉसेल का अष्टक नियम
- विवरण:
- अर्नस्ट लॉरेंस कॉसेल ने अष्टक नियम को विस्तारित किया और बताया कि यह नियम केवल मुख्यधारा के तत्वों पर ही लागू नहीं होता, बल्कि कुछ संक्रमण धातुओं और अन्य तत्वों पर भी लागू हो सकता है। उन्होंने विशेष रूप से इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण और बंधन बनाने की प्रक्रिया को समझाया।
- उदाहरण:
- साल्ट (NaCl): यहां सोडियम (Na) और क्लोरिन (Cl) के बीच इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण से दोनों तत्वों की बाहरी परत में आठ इलेक्ट्रॉन मिलते हैं। सोडियम ने एक इलेक्ट्रॉन खो दिया और क्लोरिन ने एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त किया, जिससे स्थिर यौगिक का निर्माण होता है।
4. हाल के उदाहरण और व्यावहारिक अनुप्रयोग
- उदाहरण 1: गैसीय तत्वों का स्थिरता:
- हीलियम (He) और नियॉन (Ne) जैसे गैसीय तत्व स्वाभाविक रूप से अष्टक नियम के अनुसार स्थिर होते हैं क्योंकि उनकी बाहरी परत पहले से पूर्ण होती है (हीलियम में 2 इलेक्ट्रॉन और अन्य गैसीय तत्वों में 8 इलेक्ट्रॉन होते हैं)।
- उदाहरण 2: रासायनिक संश्लेषण:
- नैशनल रसायन प्रयोगशालाएँ और औद्योगिक अनुसंधान में अष्टक नियम का उपयोग नई रसायनिक यौगिकों के डिज़ाइन और विकास के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, प्लास्टिक और औषधियों की रासायनिक संरचनाओं में अष्टक नियम का पालन सुनिश्चित करता है कि ये यौगिक स्थिर और प्रभावी हों।
निष्कर्ष
कॉसेल और लुईस का अष्टक नियम रसायन शास्त्र में एक बुनियादी सिद्धांत है जो तत्वों की स्थिरता और बंधन की प्रकृति को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह नियम दर्शाता है कि तत्व अपनी बाहरी इलेक्ट्रॉन परत में आठ इलेक्ट्रॉन प्राप्त करने के लिए रासायनिक बंधनों का निर्माण करते हैं। हाल के उदाहरण, जैसे गैसीय तत्वों की स्थिरता और रासायनिक संश्लेषण में अष्टक नियम का अनुप्रयोग, इस सिद्धांत की प्रासंगिकता और महत्व को प्रदर्शित करते हैं।
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किरण प्रकाशिकी में कार्तीय (कार्टिशियन) चिह्न परिपाटी
कार्तीय (कार्टिशियन) चिह्न परिपाटी (Cartesian Sign Convention) एक मानक नियम है जो कि किरण प्रकाशिकी (ray optics) में उपयोग किया जाता है। यह परिपाटी लेंस और दर्पणों के विश्लेषण को सरल बनाती है और वस्तुओं, चित्रों, और फोकल लम्बाई जैसे भौतिक गुणों के लिए सकारात्मक और नकारात्मक चिह्न निर्धारित करने में मदद करती है। नीचे इस परिपाटी का विस्तृत वर्णन किया गया है, हाल के उदाहरणों के साथ:
1. कार्तीय चिह्न परिपाटी की परिभाषा
2. कार्तीय चिह्न परिपाटी के नियम
3. लेंस और दर्पण सूत्रों में कार्तीय चिह्न परिपाटी का प्रयोग
**4. हाल के उदाहरण
निष्कर्ष
कार्तीय (कार्टिशियन) चिह्न परिपाटी किरण प्रकाशिकी में वस्तुओं और चित्रों की दूरी, फोकल लम्बाई, और वक्रता की त्रिज्या के लिए एक मानक चिह्न प्रणाली प्रदान करती है। यह परिपाटी गणनाओं और विश्लेषणों में सुसंगतता और सटीकता सुनिश्चित करती है, और इसके व्यावहारिक अनुप्रयोग विभिन्न आधुनिक उपकरणों और प्रौद्योगिकियों में देखे जा सकते हैं।
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