जल इंजीनियरी और कृषि विज्ञान के क्षेत्रों में क्रमशः सर एम० विश्वेश्वरैया और डॉ० एम० एस० स्वामीनाथन के योगदानों से भारत को किस प्रकार लाभ पहुँचा था? (150 words) [UPSC 2019]
कृत्रिम बुद्धि (ए.आई.) की अवधारणा कृत्रिम बुद्धि (ए.आई.) का तात्पर्य मशीनों की उन प्रणालियों से है जो मानव बुद्धि की नकल करके ऐसे कार्य कर सकती हैं जिन्हें सामान्यतः मानव सोच और समझ की आवश्यकता होती है। इसमें लर्निंग, रेज़निंग, और प्रॉब्लम-सॉल्विंग शामिल हैं। ए.आई. का क्लिनिकल निदान में योगदान सटीकतRead more
कृत्रिम बुद्धि (ए.आई.) की अवधारणा
कृत्रिम बुद्धि (ए.आई.) का तात्पर्य मशीनों की उन प्रणालियों से है जो मानव बुद्धि की नकल करके ऐसे कार्य कर सकती हैं जिन्हें सामान्यतः मानव सोच और समझ की आवश्यकता होती है। इसमें लर्निंग, रेज़निंग, और प्रॉब्लम-सॉल्विंग शामिल हैं।
ए.आई. का क्लिनिकल निदान में योगदान
- सटीकता में वृद्धि: ए.आई. मेडिकल इमेजिंग और पैटेंट डेटा का विश्लेषण करके रोगों का पता लगाने में सहायता करता है। उदाहरण के लिए, DeepMind द्वारा विकसित ए.आई. ने रेटिनल बीमारियों और स्तन कैंसर की पहचान में उच्च सटीकता प्रदर्शित की है।
- पूर्वानुमान विश्लेषण: ए.आई. रोग प्रकोप और रोगी के परिणाम की भविष्यवाणी करके निवारक देखभाल और व्यक्तिगत इलाज को सुधारता है।
निजता पर खतरे
- डेटा सुरक्षा: ए.आई. द्वारा व्यापक स्वास्थ्य डेटा का उपयोग डेटा ब्रीच और अनधिकृत पहुंच के जोखिम को बढ़ाता है।
- निगरानी की चिंता: ए.आई. की क्षमता अत्यधिक निगरानी और डेटा दुरुपयोग की संभावना पैदा कर सकती है यदि उचित नियामक उपाय नहीं किए जाएँ।
निष्कर्ष
हालांकि ए.आई. क्लिनिकल निदान में महत्वपूर्ण सुधार ला सकता है, इसके उपयोग में निजता को लेकर सुरक्षा उपाय और नैतिक दिशानिर्देश सुनिश्चित करना आवश्यक है।
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सर एम० विश्वेश्वरैया और डॉ० एम० एस० स्वामीनाथन के योगदानों से लाभ सर एम० विश्वेश्वरैया के जल इंजीनियरी में योगदान सर एम० विश्वेश्वरैया (1860-1962) ने जल इंजीनियरी में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कृष्णराजा सागर बांध का डिज़ाइन तैयार किया, जिसने कर्नाटक के जल प्रबंधन और कृषि को नया दिशा दिया। यहRead more
सर एम० विश्वेश्वरैया और डॉ० एम० एस० स्वामीनाथन के योगदानों से लाभ
सर एम० विश्वेश्वरैया के जल इंजीनियरी में योगदान
सर एम० विश्वेश्वरैया (1860-1962) ने जल इंजीनियरी में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कृष्णराजा सागर बांध का डिज़ाइन तैयार किया, जिसने कर्नाटक के जल प्रबंधन और कृषि को नया दिशा दिया। यह परियोजना बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई के लिए एक स्थायी जल आपूर्ति सुनिश्चित करने में सफल रही। हाल ही में, उनकी डिजाइन सिद्धांतों को नमामि गंगे जैसे कार्यक्रमों में लागू किया गया है, जिससे गंगा नदी की सफाई और जल संसाधनों के प्रबंधन में सुधार हुआ है।
डॉ० एम० एस० स्वामीनाथन के कृषि विज्ञान में योगदान
डॉ० एम० एस० स्वामीनाथन (जन्म 1925) ने कृषि विज्ञान में क्रांतिकारी योगदान दिया। उनके नेतृत्व में हरित क्रांति के दौरान उच्च-उपजाऊ फसलों के विकास ने भारत को खाद्य सुरक्षा में आत्मनिर्भर बनाया। हाल ही में, उनके दृष्टिकोण को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) और आत्मनिर्भर कृषि पहल में अपनाया गया है, जिससे फसल की विविधता और उत्पादन में सुधार हुआ है।
निष्कर्ष
सर एम० विश्वेश्वरैया और डॉ० एम० एस० स्वामीनाथन के योगदान ने भारत के जल संसाधन प्रबंधन और कृषि उत्पादन को स्थायी रूप से सुदृढ़ किया, जिससे देश की समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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