भारत में नाभिकीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी की संवृद्धि और विकास का विवरण प्रस्तुत कीजिए। भारत में तीव्र प्रजनक रियेक्टर कार्यक्रम का क्या लाभ है ? (250 words) [UPSC 2017]
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र (VSSC) के मुख्य उद्देश्य परिचय विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र (VSSC), तिरुवनंतपुरम, केरल में स्थित एक प्रमुख अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान है। इसे 1963 में स्थापित किया गया था और इसका नाम भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के प्रमुख पथप्रदर्शक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गयाRead more
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र (VSSC) के मुख्य उद्देश्य
परिचय
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र (VSSC), तिरुवनंतपुरम, केरल में स्थित एक प्रमुख अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान है। इसे 1963 में स्थापित किया गया था और इसका नाम भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के प्रमुख पथप्रदर्शक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अधीन कार्य करता है और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
VSSC के मुख्य उद्देश्य
- अंतरिक्ष प्रक्षेपण यंत्रों का विकास
- उद्देश्य: विभिन्न प्रकार के प्रक्षेपण यंत्रों का डिज़ाइन, विकास और परीक्षण करना जो उपग्रहों को कक्षा में स्थापित कर सकें।
- हाल का उदाहरण: VSSC ने GSLV Mk III का विकास किया, जो भारत का सबसे भारी रॉकेट है। इस रॉकेट ने 2019 में चंद्रयान-2 मिशन को सफलतापूर्वक प्रक्षिप्त किया, जिसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का अन्वेषण करना था।
- उपग्रह प्रौद्योगिकी में प्रगति
- उद्देश्य: संचार, पृथ्वी अवलोकन और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी को विकसित और संवर्धित करना।
- हाल का उदाहरण: VSSC ने Cartosat-3 उपग्रह का विकास किया, जिसे नवंबर 2019 में लॉन्च किया गया। यह उपग्रह उच्च-रिज़ॉल्यूशन इमेजरी प्रदान करता है, जिसका उपयोग मानचित्रण और शहरी योजना के लिए किया जाता है।
- अंतरिक्ष प्रणाली में अनुसंधान और विकास
- उद्देश्य: विभिन्न अंतरिक्ष प्रणालियों जैसे कि प्रोपल्शन, मार्गदर्शन और नियंत्रण प्रणालियों में उन्नत अनुसंधान और विकास करना।
- हाल का उदाहरण: VSSC ने क्रायोजेनिक प्रोपल्शन सिस्टम का विकास किया, जिसका उपयोग GSLV रॉकेटों में किया जाता है। यह तकनीक संचार उपग्रहों और वैज्ञानिक मिशनों के सफल प्रक्षेपण के लिए महत्वपूर्ण है।
- राष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों का समर्थन
- उद्देश्य: तकनीकी विशेषज्ञता, नवाचार और आधारभूत संरचना के माध्यम से विभिन्न राष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों का समर्थन करना।
- हाल का उदाहरण: VSSC का योगदान मंगलयान मिशन (2013) में महत्वपूर्ण था, जो भारत का पहला अंतरप्लैनेटरी मिशन था। VSSC ने मंगलयान के प्रक्षेपण यंत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- सहयोग और क्षमता निर्माण
- उद्देश्य: अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों और संस्थानों के साथ सहयोग करना, और अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षण और शिक्षा के माध्यम से क्षमता निर्माण करना।
- हाल का उदाहरण: VSSC ने NASA और ESA (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी) जैसे संगठनों के साथ सहयोग परियोजनाओं में भाग लिया। इन सहयोगों ने ज्ञान का आदान-प्रदान और तकनीकी उन्नति को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा, VSSC विभिन्न देशों के इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है।
- अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना
- उद्देश्य: अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी को प्रचारित करना, शिक्षा और जनसंपर्क गतिविधियों के माध्यम से जागरूकता बढ़ाना।
- हाल का उदाहरण: VSSC नियमित रूप से अंतरिक्ष प्रदर्शनी का आयोजन करता है, जिसमें नवीनतम तकनीकी प्रगति को प्रदर्शित किया जाता है और छात्रों और आम जनता को अंतरिक्ष अन्वेषण के बारे में प्रेरित किया जाता है।
निष्कर्ष
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र (VSSC) भारत के अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके प्रमुख उद्देश्य प्रक्षेपण यंत्रों का विकास, उपग्रह प्रौद्योगिकी में प्रगति, अनुसंधान और विकास, राष्ट्रीय कार्यक्रमों का समर्थन, सहयोग और क्षमता निर्माण, और अंतरिक्ष विज्ञान को बढ़ावा देना हैं। हाल के उदाहरण VSSC के उद्देश्यों की दिशा और इसके योगदान की पुष्टि करते हैं, जो भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र में स्थिति को सुदृढ़ करने में सहायक हैं।
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भारत में नाभिकीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी की संवृद्धि और विकास 1. प्रारंभिक विकास और प्रमुख मील के पत्थर: **1. स्थापना और प्रारंभिक कदम: 1948: भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग (AEC) की स्थापना के साथ नाभिकीय विज्ञान में भारत की यात्रा शुरू हुई। 1962: अप्सरा, भारत का पहला स्वदेशी परमाणु रियेक्टर, बंबई परमाणुRead more
भारत में नाभिकीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी की संवृद्धि और विकास
1. प्रारंभिक विकास और प्रमुख मील के पत्थर:
**1. स्थापना और प्रारंभिक कदम:
**2. नाभिकीय प्रौद्योगिकी में उन्नति:
**3. हालिया विकास:
भारत में तीव्र प्रजनक रियेक्टर कार्यक्रम के लाभ
**1. ईंधन दक्षता में सुधार:
**2. थोरियम का उपयोग:
**3. रेडियोधर्मी कचरे में कमी:
**4. ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि:
हालिया उदाहरण:
निष्कर्ष: