भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन का मुख्य कार्य क्या है जिसे इसके पहले के मिशन में हासिल नहीं किया जा सका? जिन देशों ने इस कार्य को हासिल कर लिया है उनकी सूची दीजिए। प्रक्षेपित अंतरिक्ष यान की उपप्रणालियों को ...
राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति (NSP) के तहत प्रस्तावित संस्थागत ढांचा भारत में भू-स्थानिक अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए निम्नलिखित प्रमुख तत्वों पर आधारित है: भू-स्थानिक डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर: नीति के तहत एक व्यापक डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थापना की जाएगी, जिसमें भू-स्थानिक डेटा को एकत्रित करने, प्रबंधRead more
राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति (NSP) के तहत प्रस्तावित संस्थागत ढांचा भारत में भू-स्थानिक अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए निम्नलिखित प्रमुख तत्वों पर आधारित है:
- भू-स्थानिक डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर: नीति के तहत एक व्यापक डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थापना की जाएगी, जिसमें भू-स्थानिक डेटा को एकत्रित करने, प्रबंधित करने और साझा करने के लिए एक केंद्रीकृत प्लेटफार्म होगा। यह डेटा अलग-अलग सरकारी एजेंसियों, अनुसंधान संस्थानों और निजी क्षेत्र के लिए उपलब्ध होगा।
- नेशनल स्पेस डेटा सेंटर (NSDC): NSDC का गठन भू-स्थानिक डेटा के संग्रहण, प्रसंस्करण और विश्लेषण के लिए किया जाएगा। यह केंद्र डेटा के मानकीकरण, गुणवत्ता नियंत्रण और बेहतर एकीकृत डेटा प्रबंधन सुनिश्चित करेगा।
- भू-स्थानिक डेटा नीति और मानक: नीति के तहत डेटा की गुणवत्ता, सुरक्षा, और गोपनीयता के मानक स्थापित किए जाएंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि सभी भू-स्थानिक डेटा उच्च गुणवत्ता का हो और मानकीकृत प्रारूप में उपलब्ध हो।
- प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: नीति में प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर जोर दिया जाएगा ताकि सरकारी एजेंसियों, शोधकर्ताओं और उद्योगों को भू-स्थानिक तकनीकों और डेटा के उपयोग में प्रशिक्षित किया जा सके।
- विनियम और नीतिगत ढांचा: नीति के तहत एक विनियामक ढांचा स्थापित किया जाएगा जो भू-स्थानिक डेटा के उपयोग, साझा करने और सुरक्षा को नियंत्रित करेगा।
यह संस्थागत ढांचा भारत में भू-स्थानिक अवसंरचना को सुदृढ़ करने में मदद करेगा क्योंकि यह डेटा के एकत्रण, प्रबंधन, और उपयोग की प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करेगा। इससे सरकारी योजनाओं, विकास परियोजनाओं और आपदा प्रबंधन में अधिक सटीकता और प्रभावशीलता बढ़ेगी। इसके अलावा, यह शोध और नवाचार को प्रोत्साहित करेगा, जिससे समग्र रूप से भू-स्थानिक क्षेत्र में प्रगति होगी।
See less
भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन का मुख्य कार्य और पूर्ववर्ती मिशनों की उपलब्धियां चंद्रयान-3 का मुख्य कार्य: भारत का तीसरा चंद्रमा मिशन, चंद्रयान-3, मुख्य रूप से मूल रूप से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करना है। इसके पहले के मिशन, चंद्रयान-2, में लैंडर के गिरने के कारण यहRead more
भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन का मुख्य कार्य और पूर्ववर्ती मिशनों की उपलब्धियां
चंद्रयान-3 का मुख्य कार्य:
भारत का तीसरा चंद्रमा मिशन, चंद्रयान-3, मुख्य रूप से मूल रूप से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करना है। इसके पहले के मिशन, चंद्रयान-2, में लैंडर के गिरने के कारण यह कार्य पूरा नहीं हो सका था। चंद्रयान-3 के साथ, ISRO ने सटीक लैंडिंग तकनीकों और प्रणालियों को सुनिश्चित किया है ताकि चंद्रमा पर नियंत्रित और सुरक्षित लैंडिंग की जा सके।
जिन देशों ने सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की है:
चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान की उपप्रणालियाँ:
आभासी प्रक्षेपण नियंत्रण केन्द्र (VLCC) की भूमिका:
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र में स्थित आभासी प्रक्षेपण नियंत्रण केन्द्र (VLCC) ने चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसकी मुख्य भूमिकाएँ थीं:
संक्षेप में, चंद्रयान-3 का मुख्य कार्य चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग को सफल बनाना है, जो चंद्रयान-2 में पूरा नहीं हो सका। अमेरिका, सोवियत संघ, और चीन ने इस कार्य को सफलतापूर्वक पूरा किया है। चंद्रयान-3 में उन्नत उपप्रणालियाँ हैं, और VLCC ने लॉन्च के दौरान रियल-टाइम निगरानी और समन्वय के माध्यम से सफल प्रक्षेपण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
See less