प्रश्न का उत्तर अधिकतम 50 शब्दों/5 से 6 पंक्तियाँ में दीजिए। यह प्रश्न 05 अंक का है। [MPPSC 2023] कॉसेल और लुईस का अष्टक नियम समझाइये।
किरण प्रकाशिकी में कार्तीय (कार्टिशियन) चिह्न परिपाटी कार्तीय (कार्टिशियन) चिह्न परिपाटी (Cartesian Sign Convention) एक मानक नियम है जो कि किरण प्रकाशिकी (ray optics) में उपयोग किया जाता है। यह परिपाटी लेंस और दर्पणों के विश्लेषण को सरल बनाती है और वस्तुओं, चित्रों, और फोकल लम्बाई जैसे भौतिक गुणों कRead more
किरण प्रकाशिकी में कार्तीय (कार्टिशियन) चिह्न परिपाटी
कार्तीय (कार्टिशियन) चिह्न परिपाटी (Cartesian Sign Convention) एक मानक नियम है जो कि किरण प्रकाशिकी (ray optics) में उपयोग किया जाता है। यह परिपाटी लेंस और दर्पणों के विश्लेषण को सरल बनाती है और वस्तुओं, चित्रों, और फोकल लम्बाई जैसे भौतिक गुणों के लिए सकारात्मक और नकारात्मक चिह्न निर्धारित करने में मदद करती है। नीचे इस परिपाटी का विस्तृत वर्णन किया गया है, हाल के उदाहरणों के साथ:
1. कार्तीय चिह्न परिपाटी की परिभाषा
- विवरण:
- कार्तीय चिह्न परिपाटी एक प्रणाली है जो विभिन्न क्वांटिटीज के चिह्न निर्धारित करती है जैसे कि वस्तु की दूरी, चित्र की दूरी, फोकल लम्बाई, और वक्रता की त्रिज्या। यह परिपाटी यह सुनिश्चित करती है कि सभी गणनाएँ और विश्लेषण एक समान मानक पर आधारित हों।
2. कार्तीय चिह्न परिपाटी के नियम
- वस्तु की दूरी (u):
- परिपाटी: वस्तु की दूरी (u) को हमेशा नकारात्मक माना जाता है यदि वस्तु प्रकाश के स्रोत के विपरीत दिशा में रखी जाती है।
- उदाहरण: यदि एक वस्तु को एक उत्तल (convex) दर्पण के सामने 20 सेमी की दूरी पर रखा जाता है, तो वस्तु की दूरी u = -20 सेमी होगी।
- चित्र की दूरी (v):
- परिपाटी: चित्र की दूरी (v) सकारात्मक होती है यदि चित्र प्रकाश की किरणों की दिशा में (वास्तविक चित्र) बनता है, और नकारात्मक होती है यदि चित्र विपरीत दिशा में (आभासी चित्र) बनता है।
- उदाहरण: यदि एक अवतल (concave) दर्पण पर चित्र 30 सेमी दूर बनता है, तो चित्र की दूरी v = +30 सेमी होगी।
- फोकल लम्बाई (f):
- परिपाटी: फोकल लम्बाई (f) सकारात्मक होती है जब लेंस या दर्पण को संकेन्द्रीय (converging) माना जाता है (जैसे कि उत्तल लेंस या अवतल दर्पण), और नकारात्मक होती है जब लेंस या दर्पण को विवर्तन (diverging) माना जाता है (जैसे कि अवतल लेंस या उत्तल दर्पण)।
- उदाहरण: एक उत्तल लेंस जिसकी फोकल लम्बाई 10 सेमी है, उसकी फोकल लम्बाई f = +10 सेमी होगी। इसके विपरीत, एक उत्तल दर्पण जिसकी फोकल लम्बाई 15 सेमी है, उसकी फोकल लम्बाई f = -15 सेमी होगी।
- वक्रता की त्रिज्या (R):
- परिपाटी: वक्रता की त्रिज्या (R) सकारात्मक होती है यदि वक्रता का केंद्र प्रकाश की किरणों की दिशा में होता है (जैसे कि अवतल दर्पण या उत्तल लेंस), और नकारात्मक होती है यदि वक्रता का केंद्र विपरीत दिशा में होता है (जैसे कि उत्तल दर्पण या अवतल लेंस)।
- उदाहरण: एक उत्तल दर्पण में, वक्रता की त्रिज्या R नकारात्मक होगी यदि वक्रता का केंद्र वस्तु की ओर नहीं है।
3. लेंस और दर्पण सूत्रों में कार्तीय चिह्न परिपाटी का प्रयोग
- लेंस सूत्र:
- सूत्र: f1=v1−u1
- प्रयोग: कार्तीय चिह्न परिपाटी के अनुसार u, v, और f के सही चिह्न का उपयोग कर इस सूत्र को लागू किया जाता है, जिससे चित्र की स्थिति और प्रकृति सही ढंग से निर्धारित की जा सकती है।
- दर्पण सूत्र:
- सूत्र: f1=v1+u1
- प्रयोग: इस सूत्र में चिह्न परिपाटी का उपयोग करके सही चित्र की दूरी v और वस्तु की दूरी u की गणना की जाती है, जो कि दर्पण की प्रकार के आधार पर सकारात्मक या नकारात्मक होती है।
**4. हाल के उदाहरण
- उदाहरण 1: स्मार्टफोन कैमरा:
- विवरण: आधुनिक स्मार्टफोन कैमरों में लेंस का उपयोग किया जाता है जो कि कार्तीय चिह्न परिपाटी का अनुसरण करते हैं। लेंस डिजाइन में चिह्न परिपाटी का प्रयोग छवि की स्पष्टता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है।
- उदाहरण 2: ऑप्टिकल सेंसर्स:
- विवरण: ऑप्टिकल सेंसर्स और इमेजिंग सिस्टम में जटिल लेंसों और दर्पणों के साथ काम करते समय, कार्तीय चिह्न परिपाटी का उपयोग सुनिश्चित करता है कि सभी गणनाएँ और डिज़ाइन सटीक हों।
निष्कर्ष
कार्तीय (कार्टिशियन) चिह्न परिपाटी किरण प्रकाशिकी में वस्तुओं और चित्रों की दूरी, फोकल लम्बाई, और वक्रता की त्रिज्या के लिए एक मानक चिह्न प्रणाली प्रदान करती है। यह परिपाटी गणनाओं और विश्लेषणों में सुसंगतता और सटीकता सुनिश्चित करती है, और इसके व्यावहारिक अनुप्रयोग विभिन्न आधुनिक उपकरणों और प्रौद्योगिकियों में देखे जा सकते हैं।
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कॉसेल और लुईस का अष्टक नियम कॉसेल और लुईस का अष्टक नियम (Octet Rule) एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो रसायन शास्त्र में परमाणुओं और अणुओं की स्थिरता और रासायनिक बंधनों को समझने में सहायक होता है। यह नियम बताता है कि अधिकांश तत्व स्थिरता प्राप्त करने के लिए अपनी बाहरी इलेक्ट्रॉन परत में आठ इलेक्ट्रॉन हासRead more
कॉसेल और लुईस का अष्टक नियम
कॉसेल और लुईस का अष्टक नियम (Octet Rule) एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो रसायन शास्त्र में परमाणुओं और अणुओं की स्थिरता और रासायनिक बंधनों को समझने में सहायक होता है। यह नियम बताता है कि अधिकांश तत्व स्थिरता प्राप्त करने के लिए अपनी बाहरी इलेक्ट्रॉन परत में आठ इलेक्ट्रॉन हासिल करने की कोशिश करते हैं। इस नियम को गिल्बर्ट न्यूटन लुईस और अर्नस्ट लॉरेंस कॉसेल ने विकसित किया था।
1. कॉसेल और लुईस का अष्टक नियम क्या है?
2. लुईस का अष्टक नियम
3. कॉसेल का अष्टक नियम
4. हाल के उदाहरण और व्यावहारिक अनुप्रयोग
निष्कर्ष
कॉसेल और लुईस का अष्टक नियम रसायन शास्त्र में एक बुनियादी सिद्धांत है जो तत्वों की स्थिरता और बंधन की प्रकृति को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह नियम दर्शाता है कि तत्व अपनी बाहरी इलेक्ट्रॉन परत में आठ इलेक्ट्रॉन प्राप्त करने के लिए रासायनिक बंधनों का निर्माण करते हैं। हाल के उदाहरण, जैसे गैसीय तत्वों की स्थिरता और रासायनिक संश्लेषण में अष्टक नियम का अनुप्रयोग, इस सिद्धांत की प्रासंगिकता और महत्व को प्रदर्शित करते हैं।
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