जैव प्रौद्योगिकी में भारत की मुख्य उपलब्धियाँ कौन-सी हैं? इनसे समाज के गरीब वर्ग के उत्थान में कैसे मदद मिलेगी ? (200 Words) [UPPSC 2023]
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का विस्तृत विवरण परिचय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भारत की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी है, जिसे 15 अगस्त 1969 को स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को राष्ट्रीय विकास के लिए उपयोग करना और अंतरिक्ष विज्ञान में अग्रणी भूमिका निभाना है। ISRO नेRead more
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का विस्तृत विवरण
परिचय
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भारत की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी है, जिसे 15 अगस्त 1969 को स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को राष्ट्रीय विकास के लिए उपयोग करना और अंतरिक्ष विज्ञान में अग्रणी भूमिका निभाना है। ISRO ने अपनी स्थापना के बाद से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं।
1. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और स्थापना
- स्थापना और प्रारंभिक मिशन: ISRO की स्थापना डॉ. विक्रम साराभाई के नेतृत्व में की गई, जिन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक माना जाता है। 19 अप्रैल 1975 को आर्यभट उपग्रह के लॉन्च के साथ भारत ने अंतरिक्ष युग में प्रवेश किया।
- हालिया उपलब्धि: अगस्त 2023 में ISRO ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के साथ चंद्रमा की सतह पर उतरने का प्रयास किया, जो भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान में निरंतर प्रगति का प्रतीक है।
2. प्रमुख उपलब्धियाँ और मिशन
- उपग्रह प्रक्षेपण वाहन: ISRO ने सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV), ऑग्मेंटेड सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (ASLV), और पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) जैसे कई प्रक्षेपण वाहनों का विकास किया है। PSLV की विश्वसनीयता और विविधता के कारण यह कई उपग्रहों को विभिन्न कक्षाओं में प्रक्षिप्त करने में सफल रहा है।
- मंगलयान (Mars Orbiter Mission): नवंबर 2013 में लॉन्च किया गया मंगलयान भारत को मंगल ग्रह की कक्षा में पहली बार सफलतापूर्वक पहुँचाने वाला मिशन बना। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण क्षमता को प्रदर्शित करता है।
- चंद्रयान-2 मिशन: जुलाई 2019 में लॉन्च किया गया चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने के लिए था। हालांकि विक्रम लैंडर की सॉफ्ट-लैंडिंग सफल नहीं रही, लेकिन ऑर्बिटर अब भी चंद्रमा के वातावरण और सतह पर डेटा प्रदान कर रहा है।
3. प्रमुख कार्यक्रम और परियोजनाएँ
- सैटेलाइट संचार: ISRO के GSAT (Geostationary Satellite) श्रृंखला के संचार उपग्रह टेलीcommunications, ब्रॉडकास्टिंग, और ब्रॉडबैंड सेवाएँ प्रदान करते हैं। हाल के GSAT-19 और GSAT-30 उपग्रहों ने संचार अवसंरचना को बढ़ाया है।
- पृथ्वी अवलोकन: ISRO के पृथ्वी अवलोकन उपग्रह, जैसे IRS (Indian Remote Sensing) श्रृंखला, कृषि, वन, आपदा प्रबंधन, और शहरी योजना के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करते हैं। Cartosat श्रृंखला और Sentinel-1 उपग्रहों ने रिमोट सेंसिंग क्षमताओं को बढ़ाया है।
- अंतरिक्ष अन्वेषण: भविष्य की परियोजनाओं में गगनयान मिशन शामिल है, जो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने का लक्ष्य है। यह मिशन 2024 में प्रस्तावित है और भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
4. तकनीकी नवाचार
- पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण वाहन (RLV): ISRO पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण वाहन (RLV) का विकास कर रहा है, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष की पहुंच की लागत को कम करना है। RLV-TD (Technology Demonstrator) ने कई परीक्षण किए हैं, जो भविष्य की प्रगति के लिए आधार प्रदान करते हैं।
- NavIC: नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन (NavIC) भारत की स्वदेशी उपग्रह नेविगेशन प्रणाली है, जो भारत और इसके आस-पास के क्षेत्र में सटीक स्थिति जानकारी सेवाएँ प्रदान करती है।
5. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और प्रभाव
- वैश्विक भागीदारी: ISRO विभिन्न अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों और संगठनों के साथ सहयोग करता है, जैसे NASA, ESA, और रूसी अंतरिक्ष एजेंसी। उदाहरण के लिए, ISRO और NASA के बीच Astrosat मिशन के लिए सहयोग ने अंतरिक्ष विज्ञान में संयुक्त अनुसंधान को प्रोत्साहित किया है।
- वाणिज्यिक प्रक्षेपण सेवाएँ: ISRO की वाणिज्यिक शाखा, Antrix Corporation, अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के लिए उपग्रह प्रक्षेपण सेवाएँ प्रदान करती है। Cartosat-2 श्रृंखला के उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण विभिन्न देशों के लिए ISRO की वैश्विक स्थान को दर्शाता है।
6. चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा
- चुनौतियाँ: ISRO को अधिक उन्नत और लागत-कुशल प्रौद्योगिकियों का विकास, बढ़ते मिशन लागत, और वैश्विक प्रतिस्पर्धा जैसे मुद्दों का सामना करना पड़ता है। हाल ही में गगनयान मिशन के पहले अवमानवी परीक्षण की विफलता ने जटिलताओं और जोखिमों को उजागर किया।
- भविष्य की दिशा: ISRO भविष्य की परियोजनाओं जैसे चंद्रयान-4, आदित्य-L1 (सूर्य का अध्ययन करने के लिए मिशन), और Advanced Medium-Range Satellite Launch Vehicles (AMRAV) पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। ये पहल ISRO की वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण और प्रौद्योगिकी में योगदान की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
निष्कर्ष
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपनी स्थापना के बाद से कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके निरंतर नवाचार और विकास की दिशा में उठाए गए कदम अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की भूमिका को मजबूत करते हैं और भविष्य में वैश्विक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण योगदान के संकेत प्रदान करते हैं।
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जैव प्रौद्योगिकी में भारत की मुख्य उपलब्धियाँ स्वास्थ्य और चिकित्सा क्षेत्र में उपलब्धियाँ: COVID-19 टीके: भारत ने ‘कोवैक्सिन’ और ‘कोविशील्ड’ जैसे COVID-19 टीकों का सफलतापूर्वक विकास किया है। ये टीके न केवल महामारी को नियंत्रित करने में सहायक रहे हैं बल्कि गरीब और वंचित वर्गों के लिए सस्ती स्वास्थ्यRead more
जैव प्रौद्योगिकी में भारत की मुख्य उपलब्धियाँ
गरीब वर्ग के उत्थान में मदद
हालिया उदाहरण: 2023 में, भारत ने ‘आयुष्मान भारत योजना’ के तहत सस्ती बायोफार्मास्युटिकल्स और स्वास्थ्य सेवाओं को व्यापक रूप से उपलब्ध कराया है, जो गरीब वर्ग के स्वास्थ्य में सुधार करने में सहायक रही है।
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