प्रश्न का उत्तर अधिकतम 50 शब्दों/5 से 6 पंक्तियाँ में दीजिए। यह प्रश्न 05 अंक का है। [MPPSC 2023] पीयूष ग्रन्थि पर टिप्पणी कीजिए।
कोशिका सिद्धान्त का प्रतिपादन कोशिका सिद्धान्त, जैविकी की एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जिसे 19वीं शताब्दी के मध्य में तीन प्रमुख वैज्ञानिकों द्वारा प्रतिपादित किया गया: मैथियास श्लाइडन (1838): एक जर्मन वनस्पति विज्ञानी, श्लाइडन ने प्रस्तावित किया कि सभी पौधों की ऊतकों की संरचना कोशिकाओं से होती है और कRead more
कोशिका सिद्धान्त का प्रतिपादन
कोशिका सिद्धान्त, जैविकी की एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जिसे 19वीं शताब्दी के मध्य में तीन प्रमुख वैज्ञानिकों द्वारा प्रतिपादित किया गया:
- मैथियास श्लाइडन (1838): एक जर्मन वनस्पति विज्ञानी, श्लाइडन ने प्रस्तावित किया कि सभी पौधों की ऊतकों की संरचना कोशिकाओं से होती है और कोशिका पौधों की संरचना की मूल इकाई है।
- थियोडोर श्वान (1839): एक जर्मन प्राणीविज्ञानी, श्वान ने श्लाइडन की अवधारणाओं को जानवरों पर भी लागू किया और प्रस्तावित किया कि सभी पशु ऊतक भी कोशिकाओं से बने होते हैं। इस प्रकार, उन्होंने कोशिका को सभी जीवित जीवों की मूल इकाई के रूप में स्थापित किया।
- रुडोल्फ विरचो (1855): एक जर्मन चिकित्सक, विरचो ने यह विचार प्रस्तुत किया कि सभी कोशिकाएँ पूर्व-स्थित कोशिकाओं से उत्पन्न होती हैं, जिससे कोशिका विभाजन के माध्यम से जीवन की निरंतरता को समझाया गया।
आधुनिक उदाहरण:
हाल के वर्षों में कोशिका सिद्धान्त के सिद्धांतों की पुष्टि और विस्तार को कई आधुनिक उदाहरणों के माध्यम से देखा जा सकता है:
- कैंसर अनुसंधान: कैंसर कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि और विभाजन को समझने में कोशिका सिद्धान्त की अवधारणाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। वर्तमान में, कैंसर की कोशिकाएँ सामान्य कोशिकाओं की तरह विभाजित होती हैं, लेकिन उनकी वृद्धि और विभाजन का नियंत्रण खो जाता है।
- संवहनीयता और विकास: स्टेम सेल अनुसंधान में, कोशिका सिद्धान्त की अवधारणा यह समझने में मदद करती है कि स्टेम कोशिकाएँ विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में विभाजित होकर विशेष ऊतक और अंग बना सकती हैं।
- जैव प्रौद्योगिकी और कोशिका उपचार: कोशिका सिद्धान्त की मदद से कोशिका आधारित उपचार और चिकित्सीय तकनीकों जैसे कि कोशिका प्रतिस्थापन (cell replacement) और जनित कोशिका अनुसंधान (genetic cell research) की नई-नई विधियाँ विकसित की जा रही हैं।
इन सभी उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि कोशिका सिद्धान्त की मूल बातें आज भी जैविक विज्ञान और चिकित्सा अनुसंधान में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
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पीयूष ग्रन्थि पर टिप्पणी पीयूष ग्रंथि, जिसे "मास्टर ग्रंथि" भी कहा जाता है, मानव शरीर की अंतःस्रावी प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह मस्तिष्क के आधार पर स्थित होती है और इसके दो मुख्य भाग होते हैं: पूर्वकालीन पीयूष और पश्चकालीन पीयूष। अनुप्रस्थी और स्थान पीयूष ग्रंथि मस्तिष्क के निचले भागRead more
पीयूष ग्रन्थि पर टिप्पणी
पीयूष ग्रंथि, जिसे “मास्टर ग्रंथि” भी कहा जाता है, मानव शरीर की अंतःस्रावी प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह मस्तिष्क के आधार पर स्थित होती है और इसके दो मुख्य भाग होते हैं: पूर्वकालीन पीयूष और पश्चकालीन पीयूष।
अनुप्रस्थी और स्थान
कार्य
हाल के उदाहरण और अध्ययन
निष्कर्ष
पीयूष ग्रंथि शरीर के समुचित संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है। इसके विभिन्न हार्मोन आवश्यक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं, और चिकित्सा अनुसंधान में हाल के विकास इसके कार्यों और विकारों को समझने में मदद कर रहे हैं। इस ग्रंथि के महत्व को पहचानना स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिए आवश्यक है, जिससे यह UPSC मुख्य परीक्षा के लिए एक प्रासंगिक विषय बनता है।
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