भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 2023 में आदित्य-एल1 को लॉन्ब करने के लिए पूर्ण रूप से तैयार है। आदित्य- एल1, आदित्य-1 से कैसे अलग है? साथ ही, आदित्य-एल1 के वैज्ञानिक उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
रिमोट सेंसिंग: परिभाषा और वर्गीकरण रिमोट सेंसिंग क्या है? रिमोट सेंसिंग एक तकनीक है जिसके माध्यम से पृथ्वी की सतह की जानकारी दूरस्थ उपकरणों के माध्यम से प्राप्त की जाती है। इसमें उपग्रहों, विमानों, और ड्रोन पर लगे सेंसर का उपयोग कर चित्र और अन्य डेटा एकत्र किए जाते हैं। यह तकनीक न केवल भूमि उपयोग कीRead more
रिमोट सेंसिंग: परिभाषा और वर्गीकरण
रिमोट सेंसिंग क्या है?
रिमोट सेंसिंग एक तकनीक है जिसके माध्यम से पृथ्वी की सतह की जानकारी दूरस्थ उपकरणों के माध्यम से प्राप्त की जाती है। इसमें उपग्रहों, विमानों, और ड्रोन पर लगे सेंसर का उपयोग कर चित्र और अन्य डेटा एकत्र किए जाते हैं। यह तकनीक न केवल भूमि उपयोग की निगरानी करती है, बल्कि पर्यावरणीय, भूगर्भीय और अन्य प्रकार की जानकारी भी प्रदान करती है।
कार्यक्षेत्र के आधार पर वर्गीकरण
रिमोट सेंसिंग को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है:
- ऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग:
- इसमें दृश्य और इन्फ्रारेड तरंगों का उपयोग होता है।
- उदाहरण: Landsat उपग्रहों द्वारा प्राप्त चित्र, जो वनस्पति, जल स्रोत और शहरी क्षेत्र का विश्लेषण करने में मदद करते हैं।
- रेडियोमेट्रिक रिमोट सेंसिंग:
- इसमें विभिन्न प्रकार की रेडियो तरंगों का उपयोग होता है।
- उदाहरण: RADAR तकनीक, जो बादल और रात के समय की स्थिति का विश्लेषण करने में सक्षम होती है।
- थर्मल रिमोट सेंसिंग:
- इसमें गर्मी (थर्मल) इन्फ्रारेड सेंसर का उपयोग होता है।
- उदाहरण: MODIS (Moderate Resolution Imaging Spectroradiometer) द्वारा प्रदान की गई थर्मल इमेजरी, जो वनाग्नि और मौसम की निगरानी करती है।
- लिडार रिमोट सेंसिंग:
- इसमें लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (LIDAR) तकनीक का उपयोग होता है।
- उदाहरण: 3D मॉडलिंग और उपग्रह मानचित्रण के लिए लिडार डेटा का उपयोग किया जाता है।
रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोग की सीमा
रिमोट सेंसिंग के अनुप्रयोग अत्यधिक विविध हैं:
- वातावरणीय निगरानी: वनस्पति की वृद्धि, जलवायु परिवर्तन, और प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी।
- उदाहरण: भारतीय उपग्रह INSAT-3DR द्वारा चक्रवातों और तूफानों की पूर्वानुमान और ट्रैकिंग।
- भूगर्भीय अध्ययन: भूमि उपयोग परिवर्तन, मृदा गुणसूत्र और भूकंपीय गतिविधियाँ।
- उदाहरण: भू-उपयोग के विश्लेषण के लिए IRS उपग्रहों का उपयोग।
- संसाधन प्रबंधन: जल, खनिज, और ऊर्जा संसाधनों का प्रबंधन।
- उदाहरण: जल स्रोतों की निगरानी के लिए Landsat उपग्रह डेटा का उपयोग।
- आपातकालीन प्रबंधन: प्राकृतिक आपदाओं के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया और राहत कार्य।
- उदाहरण: 2023 के भूकंप के बाद क्षेत्र की स्थिति की त्वरित समीक्षा के लिए सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग।
रिमोट सेंसिंग की तकनीक ने आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और इसके अनुप्रयोग की सीमा निरंतर बढ़ रही है।
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आदित्य-एल1 और आदित्य-1 में मुख्य अंतर उनकी मिशन प्राथमिकताओं और प्रौद्योगिकी में है। आदित्य-1, 2008 में प्रस्तावित किया गया था, परंतु तकनीकी और समय संबंधी मुद्दों के कारण इसे लॉन्च नहीं किया जा सका। आदित्य-एल1, इसकी उन्नत संस्करण है, जिसे 2023 में लॉन्च करने के लिए तैयार किया गया है। आदित्य-एल1 का मRead more
आदित्य-एल1 और आदित्य-1 में मुख्य अंतर उनकी मिशन प्राथमिकताओं और प्रौद्योगिकी में है। आदित्य-1, 2008 में प्रस्तावित किया गया था, परंतु तकनीकी और समय संबंधी मुद्दों के कारण इसे लॉन्च नहीं किया जा सका। आदित्य-एल1, इसकी उन्नत संस्करण है, जिसे 2023 में लॉन्च करने के लिए तैयार किया गया है।
आदित्य-एल1 का मुख्य उद्देश्य सूर्य की विभिन्न विशेषताओं का अध्ययन करना है। इसके वैज्ञानिक उद्देश्यों में शामिल हैं:
आदित्य-एल1 इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सूर्य के एक विशेष कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
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