भारत में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के संबंध में, हड़प्पा सभ्यता के लोगों को वास्तविक प्रवर्तक माना जा सकता है। उपयुक्त उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
हरगोबिंद खुराना और नोबेल पुरस्कार नोबेल पुरस्कार का विषय: चिकित्सा या फिजियोलॉजी हरगोबिंद खुराना को 1968 में चिकित्सा या फिजियोलॉजी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला। उन्होंने यह पुरस्कार रॉबर्ट डब्ल्यू. होली और मार्शल डब्ल्यू. निरेनबर्ग के साथ साझा किया। यह पुरस्कार उनके द्वारा जीनटिक कोड और प्रोटRead more
हरगोबिंद खुराना और नोबेल पुरस्कार
नोबेल पुरस्कार का विषय: चिकित्सा या फिजियोलॉजी
हरगोबिंद खुराना को 1968 में चिकित्सा या फिजियोलॉजी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला। उन्होंने यह पुरस्कार रॉबर्ट डब्ल्यू. होली और मार्शल डब्ल्यू. निरेनबर्ग के साथ साझा किया। यह पुरस्कार उनके द्वारा जीनटिक कोड और प्रोटीन संश्लेषण की प्रक्रिया पर किए गए शोध के लिए प्रदान किया गया।
प्रमुख योगदान:
- जीनटिक कोड की पहचान:
- खुराना का अनुसंधान महत्वपूर्ण था क्योंकि उन्होंने यह स्पष्ट किया कि जीनटिक कोड में न्यूक्लियोटाइड्स की त्रिगुण (कोडन) होती हैं, जो प्रत्येक एमिनो एसिड को निर्दिष्ट करती हैं। इसने यह समझने में मदद की कि DNA की अनुक्रमणिका प्रोटीन की अनुक्रमणिका में कैसे परिवर्तित होती है।
- सिंथेटिक DNA:
- खुराना और उनकी टीम ने कृत्रिम जीनों का सफलतापूर्वक संश्लेषण किया, जो यह समझने में सहायक था कि जीनों का कार्य कैसे होता है और कैसे वे प्रोटीन संश्लेषण में योगदान करते हैं।
- प्रोटीन संश्लेषण की प्रक्रिया:
- खुराना के काम ने प्रोटीन संश्लेषण की प्रक्रिया को समझाने में मदद की, जिसमें यह दिखाया गया कि जीनटिक कोड कैसे प्रोटीन में अनुवादित होता है।
हाल के उदाहरण और प्रभाव:
- बायोटेक्नोलॉजी में प्रगति: खुराना के अनुसंधान के सिद्धांत आधुनिक बायोटेक्नोलॉजी के लिए आधारशिला हैं। CRISPR जीन संपादन तकनीक, जो जीनटिक कोड की समझ पर निर्भर करती है, खुराना के अनुसंधान पर आधारित है।
- mRNA टीके: COVID-19 के लिए उपयोग किए गए mRNA टीके, प्रोटीन संश्लेषण और जीनटिक जानकारी की समझ पर आधारित हैं, जिसे खुराना के काम ने स्पष्ट किया।
- जीनोमिक चिकित्सा: जीन अनुक्रमण और जीन संबंधी विकारों की समझ खुराना के जीनटिक कोड पर किए गए अनुसंधान के परिणामस्वरूप संभव हुई है।
हरगोबिंद खुराना के योगदान ने जीनोमिक्स, आणविक जीवविज्ञान, और बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है और उन्होंने वैज्ञानिक और चिकित्सा क्षेत्रों में कई आधुनिक प्रगति की नींव रखी है।
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हड़प्पा सभ्यता (2600-1900 ईसा पूर्व) को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और नवाचार के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा सकता है। इस सभ्यता के लोग कई ऐसे वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगतियों के प्रवर्तक थे, जिनका प्रभाव आज भी देखा जा सकता है। निम्नलिखित उदाहरणों के माध्यम से इस बात की पुष्टि की जा सकती है: नगर नियोजन औरRead more
हड़प्पा सभ्यता (2600-1900 ईसा पूर्व) को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और नवाचार के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा सकता है। इस सभ्यता के लोग कई ऐसे वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगतियों के प्रवर्तक थे, जिनका प्रभाव आज भी देखा जा सकता है। निम्नलिखित उदाहरणों के माध्यम से इस बात की पुष्टि की जा सकती है:
इन उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि हड़प्पा सभ्यता के लोग विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कई पहलुओं में अग्रणी थे। उनके नवाचार और तकनीकी उन्नति ने भारतीय उपमहाद्वीप की प्राचीन तकनीकी और वैज्ञानिक धरोहर को समृद्ध किया।
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