प्रश्न का उत्तर अधिकतम 200 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 11 अंक का है। [MPPSC 2023] “भारतीय राजनीति में चरम राष्ट्रवादी भावना को जन्म देने का श्रेय तिलक को जाता है।” स्पष्ट कीजिए।
स्वतंत्र भारत के प्रथम आम चुनाव पर प्रकाश परिचय स्वतंत्र भारत का प्रथम आम चुनाव 1951-52 के बीच आयोजित किया गया। यह चुनाव भारतीय लोकतंत्र की नींव रखने के लिए महत्वपूर्ण था और नए स्वतंत्र राष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस चुनाव ने भारत के लोकतंत्र को स्थिरता प्रRead more
स्वतंत्र भारत के प्रथम आम चुनाव पर प्रकाश
परिचय
स्वतंत्र भारत का प्रथम आम चुनाव 1951-52 के बीच आयोजित किया गया। यह चुनाव भारतीय लोकतंत्र की नींव रखने के लिए महत्वपूर्ण था और नए स्वतंत्र राष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस चुनाव ने भारत के लोकतंत्र को स्थिरता प्रदान की और स्वतंत्रता के बाद की राजनीतिक व्यवस्था की दिशा निर्धारित की।
पृष्ठभूमि और तैयारी
- ब्रिटिश शासन का अंत: भारत ने 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की। स्वतंत्रता के बाद लोकतांत्रिक ढांचे की आवश्यकता तत्काल थी।
- संवैधानिक ढांचा: भारत की संविधान सभा ने संविधान का मसौदा तैयार किया, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। चुनाव आयोग की स्थापना की गई, जो चुनावों का आयोजन और निगरानी करेगा।
- चुनाव क्षेत्र: पहले आम चुनाव में 401 निर्वाचन क्षेत्रों का गठन किया गया, प्रत्येक क्षेत्र से एक सदस्य लोकसभा में चुना जाएगा। राज्यों को भी विधानसभाओं में बांटा गया।
चुनाव प्रक्रिया
- मतदाता पंजीकरण: मतदाता पंजीकरण की प्रक्रिया विशाल थी, जिसमें लगभग 173 मिलियन लोगों को मतदान का अधिकार था। इस विशाल आकार और सीमित बुनियादी ढांचे के बावजूद, चुनाव आयोग ने इसे सफलतापूर्वक संचालित किया।
- राजनीतिक दल और उम्मीदवार: प्रमुख राजनीतिक दलों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), भारतीय जनसंघ (BJS) और विभिन्न क्षेत्रीय दल शामिल थे। जवाहरलाल नेहरू ने INC का नेतृत्व किया, जो स्वतंत्रता संघर्ष का प्रमुख दल था।
- चुनावी अभियान और मुद्दे: अभियान में आर्थिक विकास, सामाजिक न्याय, और रियासतों के एकीकरण जैसे मुद्दे शामिल थे। INC ने स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान शुरू किए गए सुधारों को जारी रखने का वादा किया।
चुनाव परिणाम और प्रभाव
- परिणाम: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने लोकसभा में 401 में से 364 सीटें जीतकर भारी बहुमत प्राप्त किया। इसके परिणामस्वरूप जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री के रूप में पद पर बने रहने का अवसर मिला।
- सरकार का गठन: नेहरू की नेतृत्व में सरकार ने संस्थानों की स्थापना, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और सामाजिक समरसता को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया।
- लोकतंत्र पर प्रभाव: पहले आम चुनाव की सफलतापूर्वक संपन्नता ने भारतीय चुनाव प्रणाली की विश्वसनीयता स्थापित की। यह सिद्ध हुआ कि एक नव स्वतंत्र राष्ट्र जटिल लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को संचालित करने में सक्षम है।
हालिया उदाहरण और तुलनात्मक विश्लेषण
- आधुनिक चुनावी प्रक्रियाएँ: पहले आम चुनाव की तुलना में वर्तमान चुनावों में प्रौद्योगिकी और सुरक्षा उपायों में काफी सुधार हुआ है। जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) और उन्नत मतदाता सत्यापन प्रणालियों का उपयोग।
- मतदाता उपस्थिति: पहले आम चुनाव में मतदाता उपस्थिति लगभग 61.5% थी, जबकि हाल के चुनावों में उच्च भागीदारी दर देखी गई है, जो मतदाता जागरूकता और संलग्नता को दर्शाती है।
- चुनाव सुधार: समय के साथ कई चुनावी सुधार किए गए हैं जैसे मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट की शुरुआत, धार्मिक और जातिगत प्रचार पर प्रतिबंध, और राजनीतिक धन की निगरानी।
निष्कर्ष
स्वतंत्र भारत का प्रथम आम चुनाव एक ऐतिहासिक घटना थी जिसने देश के लोकतांत्रिक ढांचे की नींव रखी। यह चुनाव भारतीय लोकतंत्र की स्थिरता और परिपक्वता का प्रतीक था और यह आज भी देश के राजनीतिक जीवन की दिशा को प्रभावित करता है। चुनावी प्रणाली के विकास और सुधारों ने भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूत किया है, और यह देश की लोकतांत्रिक प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
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भारतीय राजनीति में चरम राष्ट्रवादी भावना को जन्म देने का श्रेय तिलक को जाता है परिचय बाल गंगाधर तिलक, जिन्हें "लोकमान्य" या "प्रिय नेता" के रूप में जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे। उनका योगदान भारतीय राजनीति में चरम राष्ट्रवादी भावना को जन्म देने में अत्यंत महत्वपूर्ण था।Read more
भारतीय राजनीति में चरम राष्ट्रवादी भावना को जन्म देने का श्रेय तिलक को जाता है
परिचय
बाल गंगाधर तिलक, जिन्हें “लोकमान्य” या “प्रिय नेता” के रूप में जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे। उनका योगदान भारतीय राजनीति में चरम राष्ट्रवादी भावना को जन्म देने में अत्यंत महत्वपूर्ण था। तिलक ने भारतीय राजनीतिक चेतना को संवारने और उग्र राष्ट्रवाद को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे स्वतंत्रता संघर्ष की दिशा और तीव्रता बदल गई।
तिलक की प्रारंभिक भूमिकाएँ
चरम राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने में तिलक के प्रमुख योगदान
भारतीय राजनीति पर प्रभाव
हालिया उदाहरण और तुलनात्मक विश्लेषण
निष्कर्ष
बाल गंगाधर तिलक का भारतीय राजनीति में चरम राष्ट्रवादी भावना को जन्म देने में अहम योगदान था। उनकी स्वदेशी आंदोलन, जनसाधारण को जुटाने की रणनीतियाँ, और उग्र राष्ट्रवादी विचारधारा ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की दिशा और तीव्रता को बदल दिया। तिलक का दृष्टिकोण भारतीय राजनीति की परंपरा में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जो आज भी आधुनिक राजनीतिक रणनीतियों और राष्ट्रीय आंदोलनों में प्रभावशाली है।
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