Who played a major role in partiton? Significance of partition ?
सरदार वल्लभभाई पटेल की रियासतों के एकीकरण में भूमिका नेतृत्व और प्रभाव: सरदार वल्लभभाई पटेल, जो भारत के उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री थे, ने स्वतंत्रता के बाद रियासतों के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सफल वार्ताएँ: पटेल ने द्वारका वल्लभजी और जम्मू और कश्मीर के महाराजा जैसे प्रमुख रियासतों के सRead more
सरदार वल्लभभाई पटेल की रियासतों के एकीकरण में भूमिका
नेतृत्व और प्रभाव: सरदार वल्लभभाई पटेल, जो भारत के उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री थे, ने स्वतंत्रता के बाद रियासतों के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सफल वार्ताएँ: पटेल ने द्वारका वल्लभजी और जम्मू और कश्मीर के महाराजा जैसे प्रमुख रियासतों के साथ प्रभावशाली वार्ताएँ की। उन्होंने आयोग की संधि का उपयोग कर अधिकांश रियासतों को भारत संघ में शामिल किया।
ऑपरेशन पोलो: 1948 में, पटेल ने ऑपरेशन पोलो का नेतृत्व किया, जिसने हैदराबाद को भारत में शामिल किया और किसी भी प्रतिरोध को समाप्त किया।
विरासत: पटेल के प्रयासों ने 500 से अधिक रियासतों को सफलतापूर्वक भारतीय संघ में शामिल किया, जिससे देश की एकता और स्थिरता सुनिश्चित हुई।
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भारतीय राजनीति में चरम राष्ट्रवादी भावना को जन्म देने का श्रेय तिलक को जाता है परिचय बाल गंगाधर तिलक, जिन्हें "लोकमान्य" या "प्रिय नेता" के रूप में जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे। उनका योगदान भारतीय राजनीति में चरम राष्ट्रवादी भावना को जन्म देने में अत्यंत महत्वपूर्ण था।Read more
भारतीय राजनीति में चरम राष्ट्रवादी भावना को जन्म देने का श्रेय तिलक को जाता है
परिचय
बाल गंगाधर तिलक, जिन्हें “लोकमान्य” या “प्रिय नेता” के रूप में जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे। उनका योगदान भारतीय राजनीति में चरम राष्ट्रवादी भावना को जन्म देने में अत्यंत महत्वपूर्ण था। तिलक ने भारतीय राजनीतिक चेतना को संवारने और उग्र राष्ट्रवाद को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे स्वतंत्रता संघर्ष की दिशा और तीव्रता बदल गई।
तिलक की प्रारंभिक भूमिकाएँ
चरम राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने में तिलक के प्रमुख योगदान
भारतीय राजनीति पर प्रभाव
हालिया उदाहरण और तुलनात्मक विश्लेषण
निष्कर्ष
बाल गंगाधर तिलक का भारतीय राजनीति में चरम राष्ट्रवादी भावना को जन्म देने में अहम योगदान था। उनकी स्वदेशी आंदोलन, जनसाधारण को जुटाने की रणनीतियाँ, और उग्र राष्ट्रवादी विचारधारा ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की दिशा और तीव्रता को बदल दिया। तिलक का दृष्टिकोण भारतीय राजनीति की परंपरा में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जो आज भी आधुनिक राजनीतिक रणनीतियों और राष्ट्रीय आंदोलनों में प्रभावशाली है।
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