विश्व में घटित कौन-सी मुख्य राजनीतिक, आर्थिक औरः सामाजिक गतिविधियों ने भारत में उपनिवेश-विरोधी (ऐंटी-कॉलोनियल) संघर्ष को प्रेरित किया ? (150 words) [UPSC 2014]
ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में कई विदेशी व्यक्तियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनमें प्रमुख थे: लाल बलजीत सिंह (Lala Lajpat Rai): हालांकि भारतीय थे, उन्होंने अमेरिका और इंग्लैंड में भारतीय स्वतंत्रता की वकालत की। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रचार में महत्वपूRead more
ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में कई विदेशी व्यक्तियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनमें प्रमुख थे:
लाल बलजीत सिंह (Lala Lajpat Rai): हालांकि भारतीय थे, उन्होंने अमेरिका और इंग्लैंड में भारतीय स्वतंत्रता की वकालत की। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रचार में महत्वपूर्ण योगदान दिया और विदेशों में भारतीय समुदाय को संगठित किया।
सुब्रमण्यम भारती (Subramania Bharati): एक प्रमुख तमिल कवि और स्वतंत्रता सेनानी, जो विदेशों में भारतीय स्वतंत्रता की आवाज़ बने। उन्होंने अमेरिका और इंग्लैंड में भारत के स्वतंत्रता संग्राम को प्रचारित किया।
सुभाष चंद्र बोस (Subhas Chandra Bose): सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) की स्थापना की और जर्मनी तथा जापान से समर्थन प्राप्त किया। उन्होंने विदेश में रहकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को अंतर्राष्ट्रीय समर्थन दिलाने का प्रयास किया।
वी.डी. सावरकर (Veer Savarkar): उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विदेशी धरती पर भारतीय स्वतंत्रता की मांग की। सावरकर ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ एक अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए विदेश में अपने लेखन और विचारों के माध्यम से प्रयास किए।
रवींद्रनाथ ठाकुर (Rabindranath Tagore): नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रवींद्रनाथ ठाकुर ने अपनी लेखनी और भाषणों के माध्यम से भारत की स्वतंत्रता के समर्थन में अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारतीय दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।
चंद्रशेखर आज़ाद (Chandrasekhar Azad): वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारी थे जिन्होंने विदेशी मदद प्राप्त करने के प्रयास किए और दुनिया भर में भारतीय स्वतंत्रता की मांग को उठाया।
इन विदेशियों और भारतीय प्रवासी नेताओं ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई, जिससे अंतर्राष्ट्रीय समर्थन प्राप्त हुआ और स्वतंत्रता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए गए।
See less
भारत में उपनिवेश-विरोधी संघर्ष को प्रेरित करने वाली प्रमुख वैश्विक गतिविधियाँ **1. राजनीतिक गतिविधियाँ द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) ने वैश्विक शक्ति संतुलन को बदल दिया और भारत में उपनिवेश-विरोधी भावना को तेज किया। युद्ध के दौरान, ब्रिटिश साम्राज्य की कमजोरी स्पष्ट हुई और भारत के स्वतंत्रता संग्राRead more
भारत में उपनिवेश-विरोधी संघर्ष को प्रेरित करने वाली प्रमुख वैश्विक गतिविधियाँ
**1. राजनीतिक गतिविधियाँ
द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) ने वैश्विक शक्ति संतुलन को बदल दिया और भारत में उपनिवेश-विरोधी भावना को तेज किया। युद्ध के दौरान, ब्रिटिश साम्राज्य की कमजोरी स्पष्ट हुई और भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं ने इसका लाभ उठाया। अटलांटिक चार्टर (1941) और ब्रिटिश राष्ट्रीय धारा (1942) ने आत्मनिर्णय और स्वतंत्रता के लिए वैश्विक समर्थन को बढ़ावा दिया, जिससे भारतीय नेताओं को अपने अभियान को और तेज करने में मदद मिली।
**2. आर्थिक गतिविधियाँ
महामंदी (1929-1939) ने वैश्विक आर्थिक संकट को जन्म दिया, जिसने उपनिवेशीय अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया। भारतीय अर्थव्यवस्था भी संकट में आई, जिससे स्थानीय व्यापारियों और किसानों के बीच असंतोष बढ़ा। इसने उपनिवेश-विरोधी आंदोलन को बल प्रदान किया, क्योंकि आर्थिक कठिनाइयों ने ब्रिटिश शासन की विफलताओं को उजागर किया।
**3. सामाजिक गतिविधियाँ
अंतरराष्ट्रीय सामाजिक आंदोलनों जैसे कि अफ्रीकी अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन और स्वतंत्रता संग्राम ने भारतीय समाज को प्रेरित किया। महात्मा गांधी और अन्य नेताओं ने इन आंदोलनों से प्रेरणा लेकर समाजवादी और समानता की विचारधाराओं को अपनाया। भारत में सामाजिक सुधार और स्वतंत्रता की मांग में तेजी आई।
**4. उपनिवेश-विरोधी संघर्ष
वैश्विक उपनिवेश-विरोधी संघर्ष जैसे कि सुप्रेमे कोर्ट के विरोध और गांधीजी के नेतृत्व वाले असहमति आंदोलन ने भारतीय उपनिवेश-विरोधी आंदोलनों को प्रेरित किया और उनके संघर्ष को वैश्विक समर्थन मिला।
इन गतिविधियों ने भारत में उपनिवेश-विरोधी संघर्ष को प्रेरित किया और स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा और ऊर्जा प्रदान की।
See less