“200 वर्षों के ब्रिटिश शासन ने भारतीय अर्थव्यवस्था के मेरुदण्ड की क्षतिग्रस्त कर दिया था।” व्याख्या कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2018]
अठारहवीं शताब्दी के मध्य से स्वतंत्रता तक अंग्रेज़ों की आर्थिक नीतियों ने भारत की आर्थिक संरचना और समाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला। सकारात्मक पहलू: परिवहन अवसंरचना: अंग्रेज़ों ने रेलवे, सड़कों और बंदरगाहों का निर्माण किया, जिससे व्यापार और वाणिज्य में सुधार हुआ। कानूनी और प्रशासनिक सुधार: ब्रिटिश न्यRead more
अठारहवीं शताब्दी के मध्य से स्वतंत्रता तक अंग्रेज़ों की आर्थिक नीतियों ने भारत की आर्थिक संरचना और समाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला।
सकारात्मक पहलू:
परिवहन अवसंरचना: अंग्रेज़ों ने रेलवे, सड़कों और बंदरगाहों का निर्माण किया, जिससे व्यापार और वाणिज्य में सुधार हुआ।
कानूनी और प्रशासनिक सुधार: ब्रिटिश न्यायपालिका और प्रशासनिक सुधारों ने कुछ हद तक कानूनी व्यवस्था को सुव्यवस्थित किया।
नकारात्मक पहलू:
उपनिवेशवादी शोषण: ब्रिटिश नीतियाँ भारत की संसाधनों की लूट और आर्थिक शोषण पर केंद्रित थीं, जैसे उच्च कर और व्यापारिक एकाधिकार।
वाणिज्यिक प्राथमिकताएँ: भारत की औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था ब्रिटिश व्यापारिक हितों के अनुरूप बनाई गई, जिससे भारतीय उद्योग और हस्तशिल्प की दृष्टि से पतन हुआ।
धातु और कृषि संकट: ब्रिटिश नीतियों ने भारतीय कृषि और स्थानीय उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला, जिससे सूखा और खाद्य संकट बढ़े।
इन नीतियों ने भारत की आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया, जिसमें संसाधनों की शोषण, सामाजिक असमानता और आर्थिक पिछड़ेपन की प्रवृत्तियाँ शामिल थीं।
ब्रिटिश शासन और भारतीय अर्थव्यवस्था: प्रस्तावना: ब्रिटिश शासन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार पुनर्गठित करने के लिए अपनी नीतियों को लागू किया। व्याख्या: ब्रिटिश शासन के दौरान, भारतीय अर्थव्यवस्था को उसके स्वाभाविक मार्ग से हटाकर नए मार्गों पर ले जाने का प्रयास किया गया। इसका एक उRead more
ब्रिटिश शासन और भारतीय अर्थव्यवस्था:
प्रस्तावना:
ब्रिटिश शासन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार पुनर्गठित करने के लिए अपनी नीतियों को लागू किया।
व्याख्या:
ब्रिटिश शासन के दौरान, भारतीय अर्थव्यवस्था को उसके स्वाभाविक मार्ग से हटाकर नए मार्गों पर ले जाने का प्रयास किया गया। इसका एक उदाहरण है ब्रिटिश शासन की नीतियां जैसे व्यापारिकीकरण, उद्यमिता को बढ़ावा देना, और भारतीय उत्पादन को विदेशी बाजारों के साथ मिलान।
क्षतिग्रस्त कारण:
इस प्रक्रिया ने भारतीय अर्थव्यवस्था के मेरुदण्ड को अध:रूप में क्षतिग्रस्त किया। यहाँ तक कि भारतीय उद्यमिता को भी नुकसान पहुंचा, क्योंकि उन्हें विदेशी उत्पादों के साथ मुकाबला करना पड़ा।
नए मार्ग:
इसके विपरीत, अब भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को आधुनिकीकृत किया है और उद्यमिता को बढ़ावा दिया है। वर्तमान में, भारत आत्मनिर्भर भारत के दिशानिर्देश में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
समाप्ति:
See lessइस प्रक्रिया में, ब्रिटिश शासन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनर्गठित करने का प्रयास किया, जिससे उसने उसके मेरुदण्ड को क्षतिग्रस्त कर दिया। यह एक महत्वपूर्ण शिक्षाग्रंथ है जो भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के साथ एक प्रेरणा स्रोत भी है।