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भारत में स्वतंत्रता पूर्व प्रसार शिक्षा के ऐतिहासिक विकास का वर्णन कीजिए।
भारत में स्वतंत्रता पूर्व प्रसार शिक्षा का ऐतिहासिक विकास परिचय भारत में स्वतंत्रता पूर्व प्रसार शिक्षा (Adult Education) का विकास एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया रही है, जिसने समाज के विभिन्न वर्गों को शिक्षा के लाभ पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस विकास का इतिहास सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक परिवरRead more
भारत में स्वतंत्रता पूर्व प्रसार शिक्षा का ऐतिहासिक विकास
परिचय
भारत में स्वतंत्रता पूर्व प्रसार शिक्षा (Adult Education) का विकास एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया रही है, जिसने समाज के विभिन्न वर्गों को शिक्षा के लाभ पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस विकास का इतिहास सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक परिवर्तनों के साथ जुड़ा हुआ है, जो भारत की स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक सुधार आंदोलनों से प्रभावित था।
प्रारंभिक प्रयास
स्वतंत्रता संग्राम और शिक्षा
प्रमुख नीतियां और योजनाएं
निष्कर्ष
स्वतंत्रता पूर्व प्रसार शिक्षा का विकास भारत में समाज सुधार, राष्ट्रीय जागरूकता, और शिक्षा के अधिकार के प्रति प्रतिबद्धता का परिणाम था। इस ऐतिहासिक विकास ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलावों की नींव रखी और एक समावेशी और सशक्त समाज के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
See lessबैदिक शिक्षा व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये एवं वर्तमान में इसकी सार्थकता का समीक्षा कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2019]
बैदिक शिक्षा व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ 1. वेदांत पर आधारित शिक्षा बैदिक शिक्षा व्यवस्था का आधार वेदों और उपनिषदों पर होता था। यह शिक्षा प्रणाली मुख्य रूप से धार्मिक और दार्शनिक विचारों को प्रोत्साहित करती थी, जिनमें ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, और अथर्ववेद शामिल हैं। 2. गुरु-शिष्य परंपरा इस व्यवस्थाRead more
बैदिक शिक्षा व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ
1. वेदांत पर आधारित शिक्षा
बैदिक शिक्षा व्यवस्था का आधार वेदों और उपनिषदों पर होता था। यह शिक्षा प्रणाली मुख्य रूप से धार्मिक और दार्शनिक विचारों को प्रोत्साहित करती थी, जिनमें ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, और अथर्ववेद शामिल हैं।
2. गुरु-शिष्य परंपरा
इस व्यवस्था में गुरु-शिष्य परंपरा का प्रमुख स्थान था। शिक्षा का प्रसार गुरुकुलों के माध्यम से होता था, जहां गुरु अपने शिष्यों को शास्त्रों और जीवन की नैतिकताओं की शिक्षा देते थे।
3. जीवन के विभिन्न पहलुओं की शिक्षा
वेदों में केवल धार्मिक शिक्षा ही नहीं, बल्कि अर्थशास्त्र, राजनीति, अध्यात्म, और संगीत जैसे विषयों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाता था।
वर्तमान में सार्थकता की समीक्षा
1. सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व
वर्तमान में बैदिक शिक्षा व्यवस्था का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व बना हुआ है। यह प्राचीन भारतीय ज्ञान और परंपराओं को संरक्षित करने में सहायक है। हाल ही में आयुष मंत्रालय और सरकारी योजनाएँ वेदों और संस्कृत की शिक्षा को बढ़ावा दे रही हैं।
2. नैतिक और आध्यात्मिक शिक्षा
बैदिक शिक्षा प्रणाली की नैतिकता और आध्यात्मिकता आज भी समाज में प्रासंगिक हैं। उदाहरण के लिए, आत्मसुधार और समाज सेवा के सिद्धांतों को आज भी कई धार्मिक और सामाजिक संगठन अपनाते हैं।
3. शिक्षा में समकालीन प्रभाव
हालांकि, आधुनिक शिक्षा प्रणाली की विभिन्न आवश्यकताएँ हैं, लेकिन गुरु-शिष्य परंपरा और आध्यात्मिक शिक्षा के तत्व आज भी मनोवैज्ञानिक और व्यक्तित्व विकास में मददगार हो सकते हैं।
इस प्रकार, बैदिक शिक्षा प्रणाली का आधुनिक संदर्भ में एक विशेष स्थान है, जो ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
See lessभारतीय शिक्षा के क्षेत्र में पाश्चात्य प्रभावों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में पाश्चात्य प्रभावों का आलोचनात्मक परीक्षण पाश्चात्य प्रभाव: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य पाश्चात्य शिक्षा प्रणाली का भारत पर प्रभाव ब्रिटिश शासन के दौरान शुरू हुआ। विद्यालयों और महाविद्यालयों की स्थापना, सिलेबस में पश्चिमी विषयों का समावेश, और अंग्रेजी भाषा का प्रचार भारतीय शिक्Read more
भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में पाश्चात्य प्रभावों का आलोचनात्मक परीक्षण
पाश्चात्य प्रभाव: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
पाश्चात्य शिक्षा प्रणाली का भारत पर प्रभाव ब्रिटिश शासन के दौरान शुरू हुआ। विद्यालयों और महाविद्यालयों की स्थापना, सिलेबस में पश्चिमी विषयों का समावेश, और अंग्रेजी भाषा का प्रचार भारतीय शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव लाए।
सकारात्मक प्रभाव
नकारात्मक प्रभाव
हाल के उदाहरण
निष्कर्ष
पाश्चात्य प्रभावों ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन इसने कुछ सांस्कृतिक और सामाजिक असमानताओं को भी जन्म दिया है। समावेशी और संतुलित शिक्षा प्रणाली की दिशा में सुधार आवश्यक है।
See lessचर्चा कीजिए कि अंग्रेजों द्वारा भारत में अंग्रेजी शिक्षा की शुरुआत ने किस प्रकार देश में उपनिवेशवाद विरोधी प्रवृत्ति को मजबूत करने में सहायता प्रदान की है। (उत्तर 150 शब्दों में दें)
अंग्रेजों द्वारा भारत में अंग्रेजी शिक्षा की शुरुआत ने देश में उपनिवेशवाद विरोधी प्रवृत्ति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीय समाज में जागरूकता और स्वतंत्रता की भावना को उत्पन्न किया। विद्यालयों में अंग्रेजी शिक्षा के माध्यम से विचारों का विस्तार हुआ और लोगों के मRead more
अंग्रेजों द्वारा भारत में अंग्रेजी शिक्षा की शुरुआत ने देश में उपनिवेशवाद विरोधी प्रवृत्ति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीय समाज में जागरूकता और स्वतंत्रता की भावना को उत्पन्न किया। विद्यालयों में अंग्रेजी शिक्षा के माध्यम से विचारों का विस्तार हुआ और लोगों के मानसिकता में बदलाव आया। यह शिक्षा ने उपनिवेशवाद के खिलाफ आवाज उठाने में मदद की, जिसने समाज को सामाजिक और राजनीतिक उठानों के लिए एकजुट किया। अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीय समाज को जागरूक और संवेदनशील बनाया, जो उपनिवेशवाद और अत्याचार के खिलाफ सहानुभूति एवं विरोध उत्पन्न करने में मदद करता है।
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