“चीन अपने आर्थिक संबंधों एवं सकारात्मक व्यापार अधिशेष को, एशिया में संभाव्य सैनिक शक्ति हैसियत को विकसित करने के लिए, उपकरणों के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।” इस कथन के प्रकाश में, उसके पड़ोसी के रूप में भारत पर ...
क्वाड में भारत की भागीदारी का औचित्य 1. सामरिक और रणनीतिक हित: QUAD (क्वाड) का गठन भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच सामरिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। भारत की भागीदारी उत्तरी हिंद महासागर और एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। 2Read more
क्वाड में भारत की भागीदारी का औचित्य
1. सामरिक और रणनीतिक हित: QUAD (क्वाड) का गठन भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच सामरिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। भारत की भागीदारी उत्तरी हिंद महासागर और एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
2. अर्थशास्त्र और व्यापार: QUAD के माध्यम से भारत को सामरिक वाणिज्यिक सहयोग और आर्थिक निवेश के अवसर मिलते हैं, जो वाणिज्यिक मार्ग और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देते हैं।
3. वैश्विक चुनौतियाँ: QUAD सदस्य देशों के साथ मिलकर भारत जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा, और पैथोजन परिदृश्य जैसे वैश्विक चुनौतियों का प्रभावी समाधान निकाल सकता है।
4. ज्योग्राफिकल स्थिति: भारत की सामरिक स्थिति और आधुनिक सैन्य क्षमता QUAD में एक प्रमुख सहयोगी की भूमिका निभाने में सहायक है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत किया जा सके।
निष्कर्ष: QUAD में भारत की भागीदारी सामरिक, आर्थिक, और वैश्विक स्थिरता की दृष्टि से उचित है, जो भारत की सुरक्षा और विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक है।
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चीन अपने आर्थिक संबंधों और व्यापार अधिशेष का उपयोग एशिया में अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने के लिए कर रहा है, जिससे क्षेत्रीय संतुलन में बदलाव आ रहा है। चीन की आर्थिक शक्ति उसे विशाल रक्षा बजट और सैन्य आधुनिकीकरण की क्षमता देती है, जिससे वह दक्षिण चीन सागर, पूर्वी चीन सागर, और भारतीय महासागर में अपनी उपस्थRead more
चीन अपने आर्थिक संबंधों और व्यापार अधिशेष का उपयोग एशिया में अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने के लिए कर रहा है, जिससे क्षेत्रीय संतुलन में बदलाव आ रहा है। चीन की आर्थिक शक्ति उसे विशाल रक्षा बजट और सैन्य आधुनिकीकरण की क्षमता देती है, जिससे वह दक्षिण चीन सागर, पूर्वी चीन सागर, और भारतीय महासागर में अपनी उपस्थिति को मजबूत कर रहा है।
भारत के लिए, यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि चीन का बढ़ता सैन्य प्रभाव उसकी सुरक्षा और रणनीतिक हितों के लिए खतरा पैदा कर सकता है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) और चीन की “String of Pearls” रणनीति भारत को घेरने का प्रयास मानी जाती है।
इसके जवाब में, भारत को अपनी सैन्य तैयारियों को बढ़ाना होगा, पड़ोसी देशों के साथ मजबूत रणनीतिक साझेदारी करनी होगी, और अपने आर्थिक और कूटनीतिक संबंधों को सुदृढ़ करना होगा। इसके अलावा, भारत को अपनी ‘एक्ट ईस्ट’ नीति को भी और अधिक प्रभावी बनाना चाहिए ताकि क्षेत्र में संतुलन कायम रखा जा सके।
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