वर्तमान समय में अंतर्राष्ट्रीय संघर्षों के प्रबंधन में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की प्रभावशीलता पर टिप्पणी कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
जलवायु परिवर्तन का विकासशील देशों पर प्रभाव परिचय जलवायु परिवर्तन विकासशील देशों के लिए एक गंभीर चुनौती प्रस्तुत करता है, जो उनकी सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता को प्रभावित करता है। इन देशों की संवेदनशीलता और सीमित संसाधन उन्हें अधिक प्रभावी बनाते हैं। **1. आर्थिक प्रभाव विकासशील देश अक्सर जलRead more
जलवायु परिवर्तन का विकासशील देशों पर प्रभाव
परिचय
जलवायु परिवर्तन विकासशील देशों के लिए एक गंभीर चुनौती प्रस्तुत करता है, जो उनकी सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता को प्रभावित करता है। इन देशों की संवेदनशीलता और सीमित संसाधन उन्हें अधिक प्रभावी बनाते हैं।
**1. आर्थिक प्रभाव
विकासशील देश अक्सर जलवायु-संवेदनशील क्षेत्रों जैसे कृषि और पर्यटन पर निर्भर होते हैं। उदाहरण के लिए, बांग्लादेश और भारत में बाढ़ और चक्रवात जैसी चरम मौसम घटनाओं से फसलों को भारी नुकसान होता है, जिससे खाद्य सुरक्षा और कृषि आधारित आजीविका पर प्रभाव पड़ता है। विश्व बैंक का अनुमान है कि जलवायु परिवर्तन 2030 तक 100 मिलियन से अधिक लोगों को गरीबी में धकेल सकता है, जिनमें अधिकांश विकासशील देशों में हैं।
**2. स्वास्थ्य पर प्रभाव
जलवायु परिवर्तन स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाता है। उप-सहारा अफ्रीका में, गर्म तापमान और असामान्य वर्षा के पैटर्न से मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों का क्षेत्र बढ़ गया है। इसके अलावा, हीटवेव और बाढ़ से जलजनित बीमारियों जैसे कोलेरा की घटनाएं बढ़ रही हैं, जो कमजोर आबादी को प्रभावित करती हैं।
**3. पर्यावरणीय विघटन
विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरणीय विघटन तेज हो रहा है। उदाहरण के लिए, पेसिफिक के छोटे द्वीप राष्ट्र जैसे कि किरीबाती में समुद्र स्तर में वृद्धि हो रही है, जो उनके अस्तित्व को खतरे में डाल रही है। तटीय कटाव और लवणीय जल प्रवेश कृषि उत्पादकता और अवसंरचना को प्रभावित कर रहे हैं।
**4. सामाजिक विस्थापन
चरम मौसम घटनाएँ और पर्यावरणीय परिवर्तन मजबूरन प्रवास का कारण बनते हैं। सीरिया जैसे देशों में, लंबे समय तक सूखा सामाजिक अशांति और संघर्ष का कारण बना है, जिससे आंतरिक विस्थापन और सीमा पार प्रवास हुआ है।
निष्कर्ष
जलवायु परिवर्तन विकासशील देशों को विभिन्न मोर्चों पर प्रभावित करता है, जो उनके आर्थिक स्थिरता, स्वास्थ्य, पर्यावरण और सामाजिक ढांचे को प्रभावित करता है। इन प्रभावों का समाधान अंतर्राष्ट्रीय समर्थन और प्रभावी अनुकूलन रणनीतियों की आवश्यकता है।
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) अंतर्राष्ट्रीय संघर्षों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, लेकिन इसकी प्रभावशीलता सीमित भी हो सकती है। सकारात्मक पहलू: शांति रक्षण: UNSC ने कई संघर्षों में शांति रक्षक मिशनों को तैनात किया है, जैसे कि सियर्रा लियोन और दक्षिण सूडान में। संकट समाधान: UNSCRead more
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) अंतर्राष्ट्रीय संघर्षों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, लेकिन इसकी प्रभावशीलता सीमित भी हो सकती है।
सकारात्मक पहलू:
शांति रक्षण: UNSC ने कई संघर्षों में शांति रक्षक मिशनों को तैनात किया है, जैसे कि सियर्रा लियोन और दक्षिण सूडान में।
संकट समाधान: UNSC ने आर्थिक और सैन्य प्रतिबंधों के माध्यम से कई देशों पर दबाव डाला है, जैसे कि उत्तर कोरिया पर।
सीमाएँ:
वेटो पावर: UNSC के स्थायी सदस्यों के पास वेटो शक्ति है, जो कभी-कभी विवादों को हल करने में बाधा डालती है, जैसे कि सीरिया संघर्ष में।
See lessनिर्णायक कार्रवाई की कमी: कभी-कभी UNSC की कार्रवाइयाँ धीमी या अपर्याप्त साबित होती हैं, जिससे संघर्षों के समाधान में देरी होती है।
इन चुनौतियों के बावजूद, UNSC वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बनी हुई है।