प्रवासी भारतीयों का भारत के आर्थिक व्यवस्था में योगदान पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।(125 Words) [UPPSC 2018]
भारत प्रवासी-नीति और वर्तमान चुनौतियाँ 1. भारत प्रवासी-नीति: भारत प्रवासी-नीति (Diaspora Policy) भारत सरकार की नीति है जो विदेशों में बसे भारतीय नागरिकों और विदेशी मूल के भारतीयों के साथ संबंध को मजबूती प्रदान करती है। इसका उद्देश्य समाज-आर्थिक योगदान को सहमति और सुरक्षा प्रदान करना है। प्रमुख पहलुओRead more
भारत प्रवासी-नीति और वर्तमान चुनौतियाँ
1. भारत प्रवासी-नीति:
भारत प्रवासी-नीति (Diaspora Policy) भारत सरकार की नीति है जो विदेशों में बसे भारतीय नागरिकों और विदेशी मूल के भारतीयों के साथ संबंध को मजबूती प्रदान करती है। इसका उद्देश्य समाज-आर्थिक योगदान को सहमति और सुरक्षा प्रदान करना है। प्रमुख पहलुओं में प्रवासी मामलों के मंत्रालय, प्रवासी भारतीय दिवस, और प्रवासी भारतीय केंद्र शामिल हैं।
2. वर्तमान में प्रवासियों के समक्ष चुनौतियाँ:
- विधायी और कानूनी समस्याएँ: कई देशों में प्रवासी भारतीयों को सिटिज़नशिप और वीजा संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है। खाड़ी देशों में कार्यकारी शर्तें और वेतन विवाद जैसे मुद्दे आम हैं।
- आर्थिक और सामाजिक एकीकरण: प्रवासियों को सांस्कृतिक भिन्नता और आर्थिक असमानता से जूझना पड़ता है। कोविड-19 महामारी ने प्रवासी कामकाजी पर असर डाला, विशेषकर नौकरी की सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल में।
निष्कर्ष:
भारत प्रवासी-नीति प्रवासियों के कल्याण और संबंध को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन विधायी, आर्थिक, और सामाजिक चुनौतियाँ अभी भी उनके समक्ष हैं।
प्रवासी भारतीयों का भारत के आर्थिक व्यवस्था में योगदान 1. निवेश और प्रेषण: प्रवासी भारतीय विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) और प्रेषण के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। उदाहरण के लिए, भारतीय-अमेरिकियों द्वारा किए गए निवेश ने स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा दिया है, और प्रेषण नRead more
प्रवासी भारतीयों का भारत के आर्थिक व्यवस्था में योगदान
1. निवेश और प्रेषण: प्रवासी भारतीय विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) और प्रेषण के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। उदाहरण के लिए, भारतीय-अमेरिकियों द्वारा किए गए निवेश ने स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा दिया है, और प्रेषण ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है।
2. कौशल हस्तांतरण और उद्यमिता: प्रवासी भारतीय विशेषज्ञता और नवाचार लाते हैं। नंदन नीलेकणी और सुंदर पिचाई जैसे व्यक्तियों ने भारत में तकनीकी स्टार्टअप्स और उद्योगों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
3. दान और विकास परियोजनाएँ: प्रवासी भारतीयों के दान और फ philanthropic प्रयासों से कई विकास परियोजनाओं को समर्थन मिला है। रतन टाटा की शिक्षण संस्थानों और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए की गई योगदान इसका उदाहरण है।
निष्कर्ष: प्रवासी भारतीय भारत के आर्थिक परिदृश्य को निवेश, कौशल हस्तांतरण, और दान के माध्यम से आकार देते हैं।
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