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चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सी० पी० ई० सी०) को चीन की अपेक्षाकृत अधिक विशाल 'एक पट्टी एक सड़क' पहल के एक मूलभूत भाग के रूप में देखा जा रहा है। सी० पी० ई० सी० का एक संक्षिप्त वर्णन प्रस्तुत कीजिए और भारत द्वारा उससे किनारा करने के कारण गिनाइए। (150 words) [UPSC 2018]
प्रस्तावना चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC), चीन की 'एक पट्टी एक सड़क' पहल का एक प्रमुख घटक है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान में बुनियादी ढाँचा विकसित करना और चीन को पाकिस्तान के माध्यम से पश्चिम एशिया से जोड़ना है। CPEC की प्रमुख विशेषताएँ बुनियादी ढाँचा विकास: CPEC में $60 बिलियन से अधिक का निवेश शRead more
प्रस्तावना
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC), चीन की ‘एक पट्टी एक सड़क’ पहल का एक प्रमुख घटक है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान में बुनियादी ढाँचा विकसित करना और चीन को पाकिस्तान के माध्यम से पश्चिम एशिया से जोड़ना है।
CPEC की प्रमुख विशेषताएँ
भारत द्वारा किनारा करने के कारण
निष्कर्ष
See lessइस प्रकार, जबकि CPEC आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का प्रयास करता है, भारत की संप्रभुता, सामरिक चिंताओं और पारदर्शिता की कमी के कारण इससे किनारा करने की स्थिति स्पष्ट है।
"बहुधार्मिक व बहुजातीय समाज के रूप में भारत की विविध प्रकृति, पड़ोस में दिख रहे अतिवाद के संधात के प्रति निरापद नहीं है।" ऐसे बातावरण के प्रतिकार के लिए अपनाए जाने वाली रणनीतियों के साथ विवेचना कीजिए। (200 words) [UPSC 2014]
परिचय: भारत की बहुधार्मिक और बहुजातीय प्रकृति उसे पड़ोसी देशों में दिखाई दे रहे अतिवाद के प्रभावों से बचा नहीं सकती। अतिवाद की यह प्रवृत्ति भारत के सामाजिक ताने-बाने और आंतरिक सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है। इस वातावरण के प्रतिकार के लिए कुछ प्रभावी रणनीतियाँ अपनाई जा सकती हैं। भारत पर अतिवाद का प्रRead more
परिचय: भारत की बहुधार्मिक और बहुजातीय प्रकृति उसे पड़ोसी देशों में दिखाई दे रहे अतिवाद के प्रभावों से बचा नहीं सकती। अतिवाद की यह प्रवृत्ति भारत के सामाजिक ताने-बाने और आंतरिक सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है। इस वातावरण के प्रतिकार के लिए कुछ प्रभावी रणनीतियाँ अपनाई जा सकती हैं।
भारत पर अतिवाद का प्रभाव:
अतिवाद के प्रतिकार के लिए रणनीतियाँ:
हाल के उदाहरण:
निष्कर्ष: भारत की विविध प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, पड़ोसी देशों में अतिवाद के प्रभावों को कम करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। सुरक्षा उपाय, सामाजिक एकता, शिक्षा, कानूनी ढांचे, और सामुदायिक भागीदारी जैसे रणनीतियाँ भारत को इस चुनौती का सामना करने में सक्षम बना सकती हैं।
See lessभारत की आन्तरिक सुरक्षा के लिए बाह्य राज्य और गैर-राज्य कारकों द्वारा प्रस्तुत बहुआयामी चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए। इन संकटों का मुकाबला करने के लिए आवश्यक उपायों की भी चर्चा कीजिए । (250 words) [UPSC 2021]
भारत की आन्तरिक सुरक्षा के लिए बाह्य राज्य और गैर-राज्य कारकों द्वारा प्रस्तुत बहुआयामी चुनौतियाँ बाह्य राज्य कारकों से उत्पन्न चुनौतियाँ: सीमा पार आतंकवाद: पाकिस्तान: पाकिस्तान से उत्पन्न सीमा पार आतंकवाद एक प्रमुख चुनौती है। हाल ही में 2023 में जम्मू और कश्मीर में हुए हमले में पाकिस्तान आधारित आतंRead more
भारत की आन्तरिक सुरक्षा के लिए बाह्य राज्य और गैर-राज्य कारकों द्वारा प्रस्तुत बहुआयामी चुनौतियाँ
बाह्य राज्य कारकों से उत्पन्न चुनौतियाँ:
गैर-राज्य कारकों से उत्पन्न चुनौतियाँ:
इन संकटों का मुकाबला करने के लिए आवश्यक उपाय:
इन बहुआयामी चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए रणनीतिक, परिचालन और नीतिगत उपायों के संयोजन की आवश्यकता है, ताकि भारत की आन्तरिक सुरक्षा को मजबूत किया जा सके।
See lessभारत सरकार ने हाल ही में विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (यू० ए० पी० ए०), 1967 और एन० आइ० ए० अधिनियम के संशोधन के द्वारा आतंकवाद-रोधी कानूनों को मजबूत कर दिया है। मानवाधिकार संगठनों द्वारा विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम का विरोध करने के विस्तार और कारणों पर चर्चा करते समय वर्तमान सुरक्षा परिवेश के संदर्भ में, परिवर्तनों का विश्लेषण कीजिए। (250 words) [UPSC 2019]
संशोधन और मानवाधिकार संगठनों का विरोध: यूएपीए और एनआईए अधिनियम 1. यूएपीए और एनआईए अधिनियम में हालिया संशोधन: संशोधन: हाल ही में, भारत सरकार ने विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (यूएपीए), 1967 और राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए) अधिनियम में संशोधन किए हैं। ये संशोधन आतंकवाद-रोधी कानूनों को मजबूRead more
संशोधन और मानवाधिकार संगठनों का विरोध: यूएपीए और एनआईए अधिनियम
1. यूएपीए और एनआईए अधिनियम में हालिया संशोधन:
2. मानवाधिकार संगठनों का विरोध:
3. संशोधनों का विश्लेषण:
4. आलोचनाओं और न्यायिक चुनौती:
5. संतुलन और सुधार की आवश्यकता:
इन संशोधनों के परिणामस्वरूप, सुरक्षा बलों को सशक्त किया गया है, लेकिन मानवाधिकार की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक नियम और निगरानी की आवश्यकता बनी रहती है।
See lessवैश्वीकरण के युग में राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों की विवेचना कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
वैश्वीकरण के युग में राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियाँ वैश्वीकरण, जो देशों के बीच आर्थिक, सामाजिक, और संस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है, ने राष्ट्रीय सुरक्षा को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना कराया है: साइबर हमले: वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप डिजिटल तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी का व्यापक उपयोग बढ़ाRead more
वैश्वीकरण के युग में राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियाँ
वैश्वीकरण, जो देशों के बीच आर्थिक, सामाजिक, और संस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है, ने राष्ट्रीय सुरक्षा को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना कराया है:
निष्कर्ष: वैश्वीकरण ने राष्ट्रीय सुरक्षा को साइबर खतरे, आतंकवाद, अंतर्राष्ट्रीय अपराध, स्वास्थ्य संकट, और सामाजिक अस्थिरता जैसी चुनौतियाँ प्रदान की हैं। इनसे निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, साइबर सुरक्षा उपाय, और स्वास्थ्य प्रबंधन पर ध्यान देना आवश्यक है।
See lessभारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में विद्रोही हिंसा और नागरिकों की मृत्यु के मामले में भारी गिरावट देखी गई है। हालांकि, शांति के एक युग के उदय के समक्ष कई चुनौतियां विद्यमान हैं जिनका समाधान किए जाने की आवश्यकता है। चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में विद्रोही हिंसा और नागरिकों की मृत्यु के मामलों में भारी गिरावट आई है, जो क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। लेकिन शांति के इस युग के समक्ष कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ विद्यमान हैं, जिनका समाधान किए जाने की आवश्यकता है। आर्थिक और सामाजिक विकास: हिRead more
भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में विद्रोही हिंसा और नागरिकों की मृत्यु के मामलों में भारी गिरावट आई है, जो क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। लेकिन शांति के इस युग के समक्ष कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ विद्यमान हैं, जिनका समाधान किए जाने की आवश्यकता है।
इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए, केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। उन्हें प्रभावी नीति, निवेश, और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना होगा ताकि पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थायी शांति और समृद्धि सुनिश्चित की जा सके।
See lessभारत में ड्रग की तस्करी के विकास हेतु उत्तरदायी कारक विश्व के सबसे बड़े ड्रग उत्पादन नेटवर्कों में से एक के साथ मात्र इसकी निकटता से कहीं परे हैं। चर्चा कीजिए। साथ ही, इस बढ़ते हुए खतरे से निपटने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों पर भी प्रकाश डालिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
भारत में ड्रग की तस्करी के विकास के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं, और यह समस्या केवल देश की भौगोलिक स्थिति तक सीमित नहीं है। भारत का अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे देशों के निकट होना, जो विश्व के सबसे बड़े अफीम उत्पादक क्षेत्रों में से हैं, इस समस्या को और गंभीर बनाता है। इसे "गोल्डन क्रिसेंट" के नाम सेRead more
भारत में ड्रग की तस्करी के विकास के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं, और यह समस्या केवल देश की भौगोलिक स्थिति तक सीमित नहीं है। भारत का अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे देशों के निकट होना, जो विश्व के सबसे बड़े अफीम उत्पादक क्षेत्रों में से हैं, इस समस्या को और गंभीर बनाता है। इसे “गोल्डन क्रिसेंट” के नाम से जाना जाता है। लेकिन इसके अलावा भी अन्य कारक हैं जो ड्रग तस्करी को बढ़ावा देते हैं।
भारत में गरीबी, बेरोजगारी और सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास की कमी भी ड्रग तस्करी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सीमावर्ती क्षेत्रों की कठिन भौगोलिक स्थिति और सीमाओं की प्रभावी निगरानी की कमी से तस्करी का काम आसान हो जाता है। इसके अतिरिक्त, ड्रग्स की बढ़ती मांग और देश में असमानता की गहरी जड़ें, विशेष रूप से युवाओं में नशे की प्रवृत्ति को बढ़ावा देती हैं।
सरकार ने इस खतरे से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) का गठन और ड्रग्स एंड कसमेटिक्स एक्ट, 1940 जैसे कानून बनाए गए हैं। इसके अलावा, सीमाओं पर सुरक्षा बलों की निगरानी को मजबूत किया गया है और तस्करी के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। ड्रग्स की तस्करी के खिलाफ जन जागरूकता अभियानों को भी प्राथमिकता दी गई है।
हालांकि, इस समस्या से पूरी तरह निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है, जिसमें समाज, सरकार, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की साझेदारी महत्वपूर्ण है।
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