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"विगत दो दशकों में अनियंत्रित ढंग से बढ़े अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से विश्वशांति को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। इससे निबटने के लिये प्रत्येक राष्ट्र को वैश्विक स्तर पर एक साथ मिलकर लड़ना होगा।" इस कथन की व्याख्या कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2019]
अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद और वैश्विक शांति विगत दो दशकों में, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद ने वैश्विक शांति और सुरक्षा को गंभीर खतरे में डाल दिया है। आतंकवादी समूहों ने विभिन्न देशों में हिंसा, उग्रवाद और अस्थिरता फैलाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक और नेटवर्किंग का उपयोग किया है। 1. आतंकवाद का वैश्विक स्वरूप: आधRead more
अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद और वैश्विक शांति
विगत दो दशकों में, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद ने वैश्विक शांति और सुरक्षा को गंभीर खतरे में डाल दिया है। आतंकवादी समूहों ने विभिन्न देशों में हिंसा, उग्रवाद और अस्थिरता फैलाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक और नेटवर्किंग का उपयोग किया है।
1. आतंकवाद का वैश्विक स्वरूप: आधुनिक आतंकवाद ने सार्वभौमिक स्तर पर सीमा पार की है। 9/11 हमले, पेरिस में आईएसआईएस के हमले, और धार्मिक कट्टरपंथ से प्रेरित हिंसक गतिविधियाँ इसका स्पष्ट उदाहरण हैं। आतंकवादी संगठनों की नेटवर्किंग और सूचना साझा करने की क्षमता ने इसे अधिक व्यापक और घातक बना दिया है।
2. वैश्विक सहयोग की आवश्यकता: आतंकवाद का सामना करने के लिए एकल देश की कोशिशें अपर्याप्त हैं। सहयोगात्मक रणनीतियों और सूचना साझा करने की आवश्यकता है। अंतर्राष्ट्रीय समझौतों और संस्थाओं जैसे संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय पुलिस (इंटरपोल) को सशक्त बनाना अनिवार्य है। देशों को सुरक्षा नीतियों, वित्तीय निगरानी, और गुप्तचर सहयोग के माध्यम से एक साथ काम करना होगा।
3. वैश्विक शांति की रक्षा: आतंकवाद से निपटने के लिए संविधानिक और कानूनी उपाय आवश्यक हैं, जो मानवाधिकार और सामाजिक न्याय की रक्षा करें। वैश्विक स्तर पर सहयोग से ही शांति और सुरक्षा को बनाए रखा जा सकता है।
निष्कर्ष: अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद की बढ़ती चुनौती ने स्पष्ट किया है कि वैश्विक शांति के लिए सभी देशों को सामूहिक प्रयास और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। इस संदर्भ में, साझा रणनीतियाँ और मजबूत वैश्विक गठबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
See less'नाकों आतंकवाद' भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिये खतरा है। इसकी विवेचना कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2020]
नक्सलवाद और भारत की आंतरिक सुरक्षा नक्सलवाद भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है: सुरक्षा चुनौती: नक्सलवादी समूहों द्वारा हिंसात्मक गतिविधियों, जैसे कि लैंडमाइंस और आत्मघाती हमले, से सुरक्षा बलों और नागरिकों की जान जोखिम में पड़ती है। उदाहरण: छत्तीसगढ़ और झारखंड में नक्सलवादी हमलों से कई मRead more
नक्सलवाद और भारत की आंतरिक सुरक्षा
नक्सलवाद भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है:
निष्कर्ष: नक्सलवाद भारत की आंतरिक सुरक्षा को प्रभावित करता है, जिसमें सुरक्षा चुनौतियाँ, सामाजिक अशांति और विकास में रुकावट शामिल हैं। इसे रोकने के लिए समन्वित सुरक्षा उपायों और विकासात्मक प्रयासों की आवश्यकता है।
See lessआतंकावाद और भ्रष्टाचार किसी देश की आन्तरिक सुरक्षा को बाधित करते हैं। समीक्षा कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
आतंकवाद और भ्रष्टाचार किसी भी देश की आन्तरिक सुरक्षा को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं। आतंकवाद: स्थिरता में बाधा: आतंकवादी गतिविधियाँ समाज में भय और असुरक्षा फैला देती हैं, जिससे सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है और सरकारी संस्थाओं पर जनता का विश्वास कमजोर होता है। हाल का उदाहरण: कश्मीर में 2023Read more
आतंकवाद और भ्रष्टाचार किसी भी देश की आन्तरिक सुरक्षा को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं।
आतंकवाद:
भ्रष्टाचार:
निष्कर्ष: आतंकवाद और भ्रष्टाचार दोनों आन्तरिक सुरक्षा को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं, जिससे राष्ट्रीय स्थिरता और सार्वजनिक विश्वास कमजोर होता है। इन समस्याओं का प्रभावी समाधान आन्तरिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य है।
See lessआतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश लगाने हेतु किए गए अनेक प्रयासों के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए यह एक मुख्य चुनौती बना हुआ है। चर्चा कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
आतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश लगाना अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए एक गंभीर चुनौती बनी हुई है, चाहे इसके लिए कितने भी प्रयास किए गए हों। आतंकवाद को आर्थिक सहायता मिलना, आतंकवादी संगठनों के लिए जीवन रेखा के समान है। यह उन्हें हथियार खरीदने, नई भर्ती करने और प्रचार-प्रसार करने में सक्षम बनाता है। पहला बRead more
आतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश लगाना अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए एक गंभीर चुनौती बनी हुई है, चाहे इसके लिए कितने भी प्रयास किए गए हों। आतंकवाद को आर्थिक सहायता मिलना, आतंकवादी संगठनों के लिए जीवन रेखा के समान है। यह उन्हें हथियार खरीदने, नई भर्ती करने और प्रचार-प्रसार करने में सक्षम बनाता है।
पहला बड़ा प्रयास संयुक्त राष्ट्र द्वारा किया गया, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की निगरानी और सुधार हेतु कई संधियाँ और समझौते किए गए। इनमें FATF (Financial Action Task Force) जैसी संस्थाओं का गठन हुआ, जो देशों को आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ कठोर कदम उठाने के लिए प्रेरित करती हैं। इन संगठनों ने नियमों को लागू करने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों को कड़े निर्देश दिए हैं।
हालांकि, इसके बावजूद आतंकवाद का वित्तपोषण जारी है, और इसका प्रमुख कारण आतंकवादियों के लिए उपलब्ध कई वैकल्पिक वित्तपोषण स्रोत हैं। अवैध व्यापार, जबरन वसूली, अपहरण, और ड्रग्स की तस्करी जैसे अवैध तरीकों से भी आतंकवादी संगठनों को धन मिलता है। इसके अलावा, कुछ देश या संगठन भी अपने राजनीतिक या धार्मिक एजेंडा के तहत इन्हें गुप्त रूप से समर्थन प्रदान करते हैं।
तकनीकी और डिजिटल वित्तीय प्रणालियों का दुरुपयोग भी एक बड़ी चुनौती है। क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल माध्यमों के माध्यम से आतंकवादी संगठन धन हस्तांतरित कर सकते हैं, जिससे वित्तीय निगरानी और भी कठिन हो जाती है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इन चुनौतियों से निपटने के लिए अधिक सहयोग, तकनीकी नवाचार, और सख्त निगरानी की आवश्यकता है। साथ ही, वैश्विक स्तर पर समन्वित प्रयास और कानूनों का कठोर क्रियान्वयन ही इस समस्या का समाधान हो सकता है।
See lessसंगठित अपराधों की विशिष्ट और सुपरिभाषित विशेषताएं उनके नियंत्रण को अप्रभावी बना देती हैं। चर्चा कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
संगठित अपराधों की विशिष्ट और सुपरिभाषित विशेषताएँ उनके नियंत्रण को चुनौतीपूर्ण बना देती हैं। इन अपराधों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं: संगठित ढांचा: संगठित अपराध समूह अक्सर सुव्यवस्थित होते हैं, जिनके पास मजबूत नेटवर्क, संरचित पदानुक्रम, और संसाधनों की भरपूर उपलब्धता होती है। यह उन्हें लंबे समयRead more
संगठित अपराधों की विशिष्ट और सुपरिभाषित विशेषताएँ उनके नियंत्रण को चुनौतीपूर्ण बना देती हैं। इन अपराधों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
इन विशेषताओं के कारण, संगठित अपराध का प्रभावी नियंत्रण और निवारण अत्यंत चुनौतीपूर्ण हो जाता है, और इसके लिए व्यापक और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता होती है।
See less'लांन-वुल्फ़' हमले आतंकवाद के नए चेहरे के रूप में विकसित हुए है तथा ये आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए विशिष्ट चुनौतियां उत्पन्न कर रहे हैं। चर्चा कीजिए। साथ ही, इस संदर्भ में भारत की सुभेद्यताओं पर प्रकाश डालिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
'लोन वुल्फ' हमले, जहाँ एक व्यक्ति या छोटे समूह स्वतंत्र रूप से हमला करता है, आतंकवाद का नया चेहरा बन चुका है। इन हमलों की विशिष्ट विशेषताएँ हैं—इनमें जटिल संगठनात्मक ढांचे की कमी होती है और इनकी योजना अक्सर छोटे पैमाने पर होती है। यह आतंकवाद को जटिल और अप्रत्याशित बना देता है, जिससे पहचान और रोकथामRead more
‘लोन वुल्फ’ हमले, जहाँ एक व्यक्ति या छोटे समूह स्वतंत्र रूप से हमला करता है, आतंकवाद का नया चेहरा बन चुका है। इन हमलों की विशिष्ट विशेषताएँ हैं—इनमें जटिल संगठनात्मक ढांचे की कमी होती है और इनकी योजना अक्सर छोटे पैमाने पर होती है। यह आतंकवाद को जटिल और अप्रत्याशित बना देता है, जिससे पहचान और रोकथाम की प्रक्रिया कठिन हो जाती है।
भारत की सुभेद्यताएँ:
इन चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत को बेहतर खुफिया और निगरानी प्रणालियाँ, और समर्पित काउंटर-टेररिज़्म उपायों को लागू करने की आवश्यकता है।
See lessयुद्ध का स्वरूप निरंतर बदलता रहा है तथा ड्रोन एवं काउंटर-ड्रोन सिस्टम के आगमन ने भविष्य में हमारे लड़ने के तरीके को मौलिक रूप से बदल दिया है। टिप्पणी कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
युद्ध का स्वरूप निरंतर विकसित होता रहा है और ड्रोन तथा काउंटर-ड्रोन सिस्टम का आगमन इस बदलाव को और भी गहरा कर रहा है। ड्रोन, जो स्वचालित हवाई वाहन होते हैं, युद्धक्षेत्र में निगरानी, हवाई हमलों और सटीक लक्ष्यीकरण के लिए उपयोग किए जा रहे हैं। ये कम लागत वाले और आसानी से तैनात किए जा सकने वाले होते हैंRead more
युद्ध का स्वरूप निरंतर विकसित होता रहा है और ड्रोन तथा काउंटर-ड्रोन सिस्टम का आगमन इस बदलाव को और भी गहरा कर रहा है। ड्रोन, जो स्वचालित हवाई वाहन होते हैं, युद्धक्षेत्र में निगरानी, हवाई हमलों और सटीक लक्ष्यीकरण के लिए उपयोग किए जा रहे हैं। ये कम लागत वाले और आसानी से तैनात किए जा सकने वाले होते हैं, जो पारंपरिक सैन्य रणनीतियों को चुनौती देते हैं।
काउंटर-ड्रोन सिस्टम, जैसे कि रेडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियाँ, और लेजर तकनीक, ड्रोन के खतरों को पहचानने और नष्ट करने के लिए विकसित किए गए हैं। इन प्रणालियों के जरिए, ड्रोन हमलों को विफल किया जा सकता है और उनकी प्रभावशीलता को कम किया जा सकता है।
भविष्य में, ड्रोन और काउंटर-ड्रोन तकनीकें युद्ध की रणनीतियों, युद्धक्षेत्र की गतिशीलता और सैन्य अभियानों की प्रकृति को मौलिक रूप से बदल देंगी, जिससे युद्ध की अवधारणाओं और तकनीकों में क्रांतिकारी परिवर्तन होंगे।
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