आतंकवाद-प्रभावित क्षेत्रों में जनसमुदाय का विश्वास बहाल करने में ‘दिल और दिमाग’ जीतना एक आवश्यक कदम है। इस संबंध में जम्मू और कश्मीर में संघर्ष समाधान के भाग के रूप में सरकार द्वारा अपनाए गए उपायों पर चर्चा कीजिए। (150 ...
आई.एस.आई.एस. और इसका ध्येय 1. आई.एस.आई.एस. क्या है? आई.एस.आई.एस. (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया): यह एक कट्टरपंथी सुन्नी आतंकवादी संगठन है, जिसे इस्लामिक स्टेट (आई.एस.) या दाेश भी कहा जाता है। यह संगठन 2014 में अबू बक्र अल-बगदादी के नेतृत्व में एक स्वयं-घोषित खलीफत की स्थापना की घोषणा की थी। 2.Read more
आई.एस.आई.एस. और इसका ध्येय
1. आई.एस.आई.एस. क्या है?
- आई.एस.आई.एस. (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया): यह एक कट्टरपंथी सुन्नी आतंकवादी संगठन है, जिसे इस्लामिक स्टेट (आई.एस.) या दाेश भी कहा जाता है। यह संगठन 2014 में अबू बक्र अल-बगदादी के नेतृत्व में एक स्वयं-घोषित खलीफत की स्थापना की घोषणा की थी।
2. आई.एस.आई.एस. का ध्येय:
- खलीफत की स्थापना: आई.एस.आई.एस. का लक्ष्य एक वैश्विक इस्लामिक खलीफत की स्थापना करना है, जिसे अपने सख्त शरीअ कानूनों के तहत संचालित किया जाए।
- वैश्विक जिहाद: यह संगठन आतंकवाद और विद्रोह के माध्यम से अपने विचारधारा का प्रसार करता है और वर्तमान सरकारों को बदलने की कोशिश करता है।
आई.एस.आई.एस. के द्वारा उत्पन्न आंतरिक सुरक्षा के ख़तरे
1. युवा आतंकवाद में शामिल होना:
- डिजिटल प्रचार: आई.एस.आई.एस. डिजिटल मीडिया का उपयोग कर भारतीय युवाओं को उग्रवाद की ओर आकर्षित करता है। सोशल मीडिया की सुलभता और गुमनामी के कारण यह भर्ती और विचारधारा फैलाने में सक्षम होता है। उदाहरणस्वरूप, हाल ही में केरल और कर्नाटक में आई.एस.आई.एस. से जुड़े युवाओं की गिरफ्तारी ने इस खतरे को उजागर किया है।
2. आतंकी हमलों की संभावना:
- घुसपैठ और हमले: आई.एस.आई.एस. से जुड़े व्यक्ति या सेल भारत में आतंकवादी हमलों की योजना बना सकते हैं। केरल और कर्नाटक में गिरफ्तार किए गए आई.एस.आई.एस. समर्थकों ने यह दर्शाया है कि ये संगठन भारत में भी आतंकी गतिविधियों में संलग्न हो सकता है।
3. सामाजिक अशांति:
- सांप्रदायिक तनाव: आई.एस.आई.एस. के समर्थक भारतीय समाज में सांप्रदायिक तनाव और अशांति को बढ़ा सकते हैं। आतंकवादी गतिविधियों के कारण समाज में भय और अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है।
4. सुरक्षा एजेंसियों की चुनौतियाँ:
- आतंकवाद-विरोधी उपाय: आई.एस.आई.एस. की उन्नत तकनीक और एन्क्रिप्टेड संचार की विधियाँ भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौतीपूर्ण हैं। इसके लिए उन्नत खुफिया जानकारी और उग्रवाद-विरोधी रणनीतियों की आवश्यकता है।
हाल के उदाहरण:
- केरल और कर्नाटक: इन राज्यों में आई.एस.आई.एस. से जुड़े व्यक्तियों की गिरफ्तारियों ने इसके प्रभाव को स्पष्ट किया है।
- 2019 श्रीलंका बमबारी: जबकि यह सीधे तौर पर भारत से संबंधित नहीं है, 2019 की श्रीलंका बमबारी ने आई.एस.आई.एस. की वैश्विक क्षमता को उजागर किया है और इसके संभावित प्रभाव को दर्शाया है।
निष्कर्ष: आई.एस.आई.एस. भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करता है, इसके कट्टरपंथी प्रचार, संभावित आतंकवादी हमलों, और सुरक्षा उपायों की चुनौती के माध्यम से। इस खतरे से निपटने के लिए सख्त निगरानी, उग्रवाद-विरोधी रणनीतियाँ, और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक हैं।
See less
परिचय आतंकवाद-प्रभावित क्षेत्रों में जनसमुदाय का विश्वास बहाल करने के लिए 'दिल और दिमाग' जीतना एक महत्वपूर्ण रणनीति है। जम्मू और कश्मीर में, सरकार ने विकास, संवाद और युवाओं के सशक्तिकरण पर आधारित विभिन्न उपाय अपनाए हैं ताकि लोगों का विश्वास जीता जा सके और शांति स्थापित हो सके। विकासात्मक पहल सरकार नRead more
परिचय
आतंकवाद-प्रभावित क्षेत्रों में जनसमुदाय का विश्वास बहाल करने के लिए ‘दिल और दिमाग’ जीतना एक महत्वपूर्ण रणनीति है। जम्मू और कश्मीर में, सरकार ने विकास, संवाद और युवाओं के सशक्तिकरण पर आधारित विभिन्न उपाय अपनाए हैं ताकि लोगों का विश्वास जीता जा सके और शांति स्थापित हो सके।
विकासात्मक पहल
सरकार ने जम्मू-कश्मीर में प्रधानमंत्री विकास पैकेज (PMDP) के तहत बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। हाल के वर्षों में नए मेडिकल कॉलेजों और सड़क संपर्क परियोजनाओं की शुरुआत से क्षेत्र में जीवन स्तर और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है, जिससे आतंकवाद का समर्थन कम हुआ है।
युवाओं के साथ जुड़ाव
युवाओं को आतंकवाद से दूर रखने के लिए “मिशन यूथ” जैसी योजनाओं के माध्यम से कौशल विकास, छात्रवृत्ति और रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। इसके अलावा, उड़ान योजना के तहत युवाओं को प्रशिक्षण और नौकरी के अवसर दिए जा रहे हैं, जिससे उनकी आकांक्षाओं को एक सकारात्मक दिशा मिल रही है।
संवाद और सामान्य स्थिति बहाल करना
सरकार ने स्थानीय नेताओं और समुदायों के साथ बैक-चैनल वार्ता शुरू की है, जिससे विश्वास बहाली हो सके। इसके अलावा, “स्पोर्ट्स फॉर पीस” जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया गया है, जो सामान्य स्थिति और एकता की भावना को पुनः स्थापित कर रहे हैं।
निष्कर्ष
See lessजम्मू-कश्मीर में जनसमुदाय का विश्वास जीतने के लिए सरकार द्वारा अपनाए गए विकास, संवाद और सशक्तिकरण के उपाय शांति और स्थिरता लाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।