वामपंथी उग्रवादी विचारधारा से प्रभावित नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक संवृद्धि की मुख्यधारा में आने की सुधारक रणनीतियों पर चर्चा करें। (125 Words) [UPPSC 2018]
स्वतंत्रता के उपरान्त पूर्वोत्तर भारत में विद्रोह की स्थिति 1. सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: विविधता: पूर्वोत्तर भारत में सांस्कृतिक और भाषाई विविधता ने अलगाववाद को बढ़ावा दिया। इस क्षेत्र में कई आदिवासी और जातीय समूह रहते हैं, जिनकी भाषा और संस्कृति अलग है। 2. आर्थिक और सामाजिक असमानता: विकास कRead more
स्वतंत्रता के उपरान्त पूर्वोत्तर भारत में विद्रोह की स्थिति
1. सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- विविधता: पूर्वोत्तर भारत में सांस्कृतिक और भाषाई विविधता ने अलगाववाद को बढ़ावा दिया। इस क्षेत्र में कई आदिवासी और जातीय समूह रहते हैं, जिनकी भाषा और संस्कृति अलग है।
2. आर्थिक और सामाजिक असमानता:
- विकास की कमी: स्वतंत्रता के बाद भी इस क्षेत्र में आर्थिक और सामाजिक असमानता बनी रही। उपयुक्त बुनियादी ढाँचा और विकास की योजनाओं की कमी ने असंतोष को जन्म दिया।
3. विद्रोही आंदोलन:
- उग्रवाद और अलगाववाद: कई जातीय समूह जैसे उल्फा (Assam), एनडीएफबी (Bodo) और एनएससीएन (Nagaland) ने अपने राज्य के लिए स्वतंत्रता या अधिक स्वायत्तता की मांग की। ये समूह सैन्य कार्रवाई और हिंसा का सहारा लेते हैं।
4. केंद्र-राज्य संबंध:
- राजनीतिक तनाव: केंद्र सरकार की नीतियों और अधिकारियों पर विश्वास की कमी ने तनाव को बढ़ाया। विद्रोही समूह अक्सर केंद्र सरकार और राज्य प्रशासन के खिलाफ होते हैं।
5. शांति प्रयास:
- वार्ताएं और समझौते: केंद्र सरकार ने विभिन्न विद्रोही समूहों के साथ शांति वार्ताएं और समझौते किए हैं। उदाहरण के तौर पर, सुलह समझौता और मुलायम उपाय लागू किए गए हैं।
निष्कर्ष: स्वतंत्रता के बाद पूर्वोत्तर भारत में विद्रोह की स्थिति आर्थिक असमानता, सांस्कृतिक भिन्नता, और राजनीतिक असंतोष के कारण उत्पन्न हुई। इसके समाधान के लिए केंद्र-राज्य समन्वय, शांति वार्ताएं, और विकासात्मक प्रयास आवश्यक हैं।
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वामपंथी उग्रवादी विचारधारा से प्रभावित नागरिकों के सामाजिक और आर्थिक संवृद्धि की मुख्यधारा में शामिल करने के सुधारक रणनीतियाँ: सामाजिक समावेशन: शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का प्रसार सुनिश्चित कर नागरिकों को आधारभूत सेवाएँ प्रदान की जानी चाहिए। सामाजिक जागरूकता अभियानों के माध्यम से वामपंथी उग्रवादी वRead more
वामपंथी उग्रवादी विचारधारा से प्रभावित नागरिकों के सामाजिक और आर्थिक संवृद्धि की मुख्यधारा में शामिल करने के सुधारक रणनीतियाँ:
निष्कर्ष: वामपंथी उग्रवादी विचारधारा से प्रभावित नागरिकों को मुख्यधारा में लाने के लिए शिक्षा, आर्थिक अवसर, स्थानीय भागीदारी, और कानूनी उपाय महत्वपूर्ण हैं। इन उपायों से समाज में सामाजिक समावेशन और आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा मिल सकता है।
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