भारत का उत्तर-पूर्वीय प्रदेश बहुत लम्बे समय से विद्रोह ग्रसित है। इस प्रदेश में सशस्त्र विद्रोह की अतिजीविता के मुख्य कारणों का विश्लेषण कीजिए। (150 words) [UPSC 2017]
वामपंथी उग्रवाद और सुधारक रणनीतियाँ: मल्कानगिरि और नक्सलबाड़ी के संदर्भ में 1. पृष्ठभूमि: विकास अभियान और विलगन: पिछड़े क्षेत्रों में बड़े उद्योगों के विकास के प्रयासों ने जनजातीय लोगों और किसानों को विस्थापित किया है, जिससे उनके सामाजिक और आर्थिक जीवन में संकट आया है। यह स्थिति वामपंथी उग्रवाद (LWERead more
वामपंथी उग्रवाद और सुधारक रणनीतियाँ: मल्कानगिरि और नक्सलबाड़ी के संदर्भ में
1. पृष्ठभूमि:
- विकास अभियान और विलगन: पिछड़े क्षेत्रों में बड़े उद्योगों के विकास के प्रयासों ने जनजातीय लोगों और किसानों को विस्थापित किया है, जिससे उनके सामाजिक और आर्थिक जीवन में संकट आया है। यह स्थिति वामपंथी उग्रवाद (LWE) को बढ़ावा देती है, जैसे कि मल्कानगिरि (ओडिशा) और नक्सलबाड़ी (पश्चिम बंगाल) में देखा गया है।
2. मल्कानगिरि और नक्सलबाड़ी का प्रभाव:
- मल्कानगिरि: ओडिशा का यह जिला उग्रवाद का एक प्रमुख केंद्र है, जहां विकास परियोजनाओं की वजह से जनजातीय समुदायों का विस्थापन हुआ है। इन परियोजनाओं की कमी के कारण बुनियादी सुविधाओं का अभाव और सामाजिक अवसाद बढ़ गया है।
- नक्सलबाड़ी: पश्चिम बंगाल का यह क्षेत्र नक्सली आंदोलन का गढ़ है, जो भूमि अधिकारों और गरीबी जैसे मुद्दों से उत्पन्न हुआ है। स्थानीय लोगों की समस्याओं का समाधान न होने के कारण इन आंदोलनों को बढ़ावा मिला है।
3. सुधारक रणनीतियाँ:
a. समावेशी विकास:
- स्थानीय भागीदारी: विकास योजनाओं में स्थानीय समुदायों को शामिल करें ताकि उनकी आवश्यकताओं और अधिकारों का सम्मान किया जा सके। उदाहरण के तौर पर, नरेगा (MGNREGA) कार्यक्रम स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करने में सहायक हो सकता है।
- स्थायी प्रथाएँ: पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों को न्यूनतम करने के लिए स्थायी विकास प्रथाओं को अपनाएं। जैसे कि उद्यमिता के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP)।
b. सामाजिक और आर्थिक एकीकरण:
- बुनियादी ढांचे का विकास: दूरदराज और जनजातीय क्षेत्रों में सड़क, स्कूल, और स्वास्थ्य सुविधाओं का सुधार करें। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत सड़क निर्माण इसका उदाहरण है।
- जीविका समर्थन: विस्थापित व्यक्तियों के लिए वैकल्पिक जीविका और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करें। दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY) इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
c. सुरक्षा और शासन:
- सुरक्षा उपाय: सुरक्षा बलों की कार्रवाई को समुदाय के अनुकूल बनाएं और भारी-भरकम तरीकों से बचें। स्थानीय नेताओं और बुद्धिजीवियों के साथ सहयोग करें।
- गुणवत्ता शासन: पारदर्शी और उत्तरदायी प्रशासन सुनिश्चित करें। वामपंथी उग्रवाद पर मंत्रियों की समिति की रिपोर्ट के अनुसार, शासन सुधारों की आवश्यकता है।
d. पुनर्वास और पुनर्स्थापन:
- पुनर्वास योजनाएं: विस्थापितों के लिए व्यापक पुनर्वास योजनाएं तैयार करें, जिसमें उचित मुआवजा, भूमि अधिकार, और नई बस्तियों में सहायक सुविधाएं शामिल हों।
- सामुदायिक विकास कार्यक्रम: शिक्षा, स्वास्थ्य, और आर्थिक सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करने वाले कार्यक्रमों की शुरुआत करें। प्रधानमंत्री ग्राम विकास योजना इसका एक उदाहरण हो सकती है।
4. हाल के उदाहरण:
- ओडिशा की पहल: ओडिशा ने जनजातीय समुदायों के विकास और समावेश के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, जैसे कि राजीव गांधी पंचायत सशक्तिकरण योजना।
- छत्तीसगढ़ की पहल: छत्तीसगढ़ ने स्थानीय बुनियादी ढांचे में सुधार और विस्थापितों के लिए सहायता प्रदान करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।
निष्कर्ष: वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें समावेशी विकास, सामाजिक और आर्थिक एकीकरण, बेहतर शासन, और प्रभावी पुनर्वास योजनाएं शामिल हों। इन रणनीतियों के माध्यम से प्रभावित समुदायों को मुख्यधारा में लाने में मदद मिल सकती है और उग्रवाद को कम किया जा सकता है।
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परिचय भारत का उत्तर-पूर्वीय क्षेत्र लंबे समय से सशस्त्र विद्रोहों का शिकार रहा है। विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कारण इन विद्रोहों की निरंतरता को बनाए रखते हैं। सशस्त्र विद्रोह की अतिजीविता के मुख्य कारण जातीय विविधता और पहचान की राजनीति इस क्षेत्र में कई जातीय समूह हैं, जिनकी अलग-अलग सांस्कृतRead more
परिचय
भारत का उत्तर-पूर्वीय क्षेत्र लंबे समय से सशस्त्र विद्रोहों का शिकार रहा है। विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कारण इन विद्रोहों की निरंतरता को बनाए रखते हैं।
सशस्त्र विद्रोह की अतिजीविता के मुख्य कारण
इस क्षेत्र में कई जातीय समूह हैं, जिनकी अलग-अलग सांस्कृतिक और भाषाई पहचान है। अधिक स्वायत्तता या स्वतंत्रता की मांग विद्रोह को बढ़ावा देती है, जैसे एनएससीएन (नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड) और उल्फा (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम) द्वारा।
उत्तर-पूर्व को भौगोलिक अलगाव और केंद्र सरकार द्वारा उपेक्षा का अहसास होता है। इससे अलगाव की भावना और स्वतंत्रता की मांग उत्पन्न होती है।
प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर होते हुए भी, इस क्षेत्र की आर्थिक स्थिति खराब है। आवश्यक आधारभूत संरचना और रोजगार की कमी विद्रोहियों के लिए एक मजबूत आधार बनाती है।
उत्तर-पूर्व की पारगम्य सीमाएं जैसे म्यांमार, बांग्लादेश, और चीन के साथ सशस्त्र विद्रोहियों को हथियारों की तस्करी और आसानी से आवाजाही की सुविधा देती हैं।
कुछ विद्रोही समूहों को पड़ोसी देशों से सहायता मिलती है, जिससे उन्हें हथियार, प्रशिक्षण, और वित्तीय सहायता प्राप्त होती है, जिससे विद्रोह की निरंतरता बनाए रहती है।
निष्कर्ष
See lessउत्तर-पूर्व के सशस्त्र विद्रोह की निरंतरता की जटिलता जातीय तनाव, ऐतिहासिक उपेक्षा, अविकास, और बाहरी समर्थन के कारण है। इसका समाधान आर्थिक विकास, समावेशी शासन, और सुरक्षा उपायों के समन्वित प्रयासों के माध्यम से किया जा सकता है।