भारत में स्त्रियों की बदलती प्रस्थिति का मूल्यांकन कीजिये। (125 Words) [UPPSC 2018]
समकालीन भारत में प्रमुख महिला संगठनों के योगदान अधिकार और न्याय: राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) और ब्रेकथ्रू जैसे संगठनों ने महिला अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, कानूनी सुधारों और न्याय की दिशा में प्रयास किए हैं। शिक्षा और कौशल विकास: सेवा (SEWA) और प्रथम जैसे संगठनोंRead more
समकालीन भारत में प्रमुख महिला संगठनों के योगदान
- अधिकार और न्याय: राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) और ब्रेकथ्रू जैसे संगठनों ने महिला अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, कानूनी सुधारों और न्याय की दिशा में प्रयास किए हैं।
- शिक्षा और कौशल विकास: सेवा (SEWA) और प्रथम जैसे संगठनों ने शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने का काम किया है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है।
- स्वास्थ्य और कल्याण: आदिवासी महिला संगठन और सच्ची संजीवनी जैसे समूहों ने स्वास्थ्य सेवाओं और पोषण संबंधी कार्यक्रमों के जरिए महिलाओं की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार किया है।
- यातना और हिंसा: जागोरी और संगठन ने घरेलू हिंसा और यौन शोषण के खिलाफ जागरूकता फैलाने और राहत प्रदान करने का कार्य किया है।
अलोचनात्मक परीक्षण: जबकि ये संगठनों ने महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, उनकी पहुंच और प्रभाव सीमित हो सकते हैं। क्षेत्रीय भिन्नताओं और संसाधनों की कमी उनके काम में बाधाएँ उत्पन्न कर सकती हैं।
निष्कर्ष: प्रमुख महिला संगठनों ने महिलाओं के अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन इनकी प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास और सुधार की आवश्यकता है।
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भारत में स्त्रियों की बदलती स्थिति कानूनी सुधार: भारत में स्त्रियों की स्थिति में सुधार कानूनी सुधारों के कारण हुआ है। निर्भया क़ानून (2013) ने यौन हिंसा के खिलाफ कड़ी सज़ा सुनिश्चित की है, जिससे सुरक्षा में वृद्धि हुई है। शिक्षा और रोजगार: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना और मुद्रा योजना जैसी पहलों ने शिRead more
भारत में स्त्रियों की बदलती स्थिति
कानूनी सुधार: भारत में स्त्रियों की स्थिति में सुधार कानूनी सुधारों के कारण हुआ है। निर्भया क़ानून (2013) ने यौन हिंसा के खिलाफ कड़ी सज़ा सुनिश्चित की है, जिससे सुरक्षा में वृद्धि हुई है।
शिक्षा और रोजगार: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना और मुद्रा योजना जैसी पहलों ने शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़ाए हैं। इनसे महिलाओं की साक्षरता दर और उद्यमिता में सुधार हुआ है।
सामाजिक दृष्टिकोण: फिर भी, समाज में गहरे पैठी हुई पितृसत्ता का प्रभाव बना हुआ है। कटुवा बलात्कार मामला जैसी घटनाएं इसे उजागर करती हैं।
राजनीतिक भागीदारी: महिलाओं की राजनीति में भागीदारी बढ़ी है, जैसे निर्मला सीतारमण का रक्षा मंत्री के पद पर होना, लेकिन नेतृत्व में लैंगिक समानता अभी भी चुनौतीपूर्ण है।
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